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मोदी आश्चर्य में डाल सकते हैं- 2018 के अंत में आम चुनाव कराने के कदम से !
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाले दिनों में देश को उसी तरह आश्चर्यचकित कर सकते हैं जिस तरह 2004 के आरंभ में पूर्व एनडीए सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। ऐसे संकेत हैं कि प्रधानमंत्री मोदी इस साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के साथ ही देश के आम चुनाव भी एक साथ कराने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि मोदी इस रणनीति के तहत संसद व विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की व्यापक योजना पर विचार कर रहे हैं।
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इस पूरी रणनीति पर मंगलवार को प्रधानमंत्री ने भाजपाध्यक्ष अमित शाह से लंबी बातचीत की तथा एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं को अमलीजामा पहनाने की तैयारियों पर बात की। बैठक में देश की राजनीतिक स्थितियों और विधानसभा चुनाव होने जा रहे राज्यों में पार्टी की सांगठनिक हालात पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार इस रणनीति पर पार्टी में निचले स्तर से फीडबैक लेने का निर्णय लिया गया है।
आम चुनावों के लिए पर्याप्त वक्त बचा होने के बावजूद भाजपा ने आंतरिक तौर पर यह तय करना भी आंरभ कर दिया है कि कितने मौजूदा सांसदों का टिकट काटा जाएगा। हालांकि ऐसे उम्रदराज सांसदों की सूची अलग से है जिन्हें स्वास्थ्य अच्छा न होने और 70 पार होने के कारण टिकट नहीं मिलेगा लेकिन उनके अलावा ऐसे भी सांसद हैं जिनके बारे में संगठन व क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की ओर से फीडबैक लेने के बाद उनके टिकट पर फैसला होगा। भाजपा के एक सूत्र का कहना है कि मौजूदा 270 सांसदों में करीब एक चौथाई का टिकट कटना तय है। उन सीटों पर जहां सांसद बदले जाएंगे वहां जीत की संभावनाओं वाले पार्टी के चेहरों की छंटनी का काम भी प्रोफेशनल ऐजेंसियों के जरिए करने की तैयारी है।
ज्ञात रहे कि करीब 14 साल पूर्व जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तो भाजपा को राजस्थान, मप्र व छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत मिला था। तब भाजपा के रणनीतिकार इस उत्साह से लबालब थे कि भारत में वाजपेयी सरकार की भारी लोकप्रियता है। उस वक्त बंटे हुए प्रतिपक्षी दल तथा कांग्रेस का आत्मविश्वास इतनी बुरी तरह डिगा हुआ था कि वे भाजपा व उसके सहयोगी दलों का मुकाबला करने की हालत में नहीं दिख रहे थे।
ज्ञात रहे कि तब भाजपा ने भारत उदय यानी शाईनिंग इंडिया का नारा देकर देश की जनता को फील गुड फैक्टर की याद दिलाते हुए दावा किया था कि देश में उस वक्त नई उम्मीदें हिलौरें ले रही है तथा भाजपा दोबारा सत्ता में आने की दहलीज पर है। उक्त तीन प्रदेशों के चुनावों के बाद भी प्रधानमंत्री वाजपेयी ने आम चुनाव मई 2005 में करवा दिए थे जबकि वास्तव में चुनाव अक्तूबर तक संपन्न होने थे।
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