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PM मोदी ने नवरात्रि के पहले दिन त्रिपुरा के प्राचीन मंदिर में किए दर्शन, पुनर्विकास का किया उद्घाटन
नवरात्रि के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा के प्रसिद्ध त्रिपुरसुंदरी मंदिर में पूजा अर्चना की और इसके पुनर्विकसित परिसर का उद्घाटन किया। जानिए इस शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व, इतिहास और धार्मिक महत्व।
PM Modi visits Tripura temple
PM Modi update: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन त्रिपुरा के प्रसिद्ध त्रिपुरसुंदरी (त्रिपुरा सुंदरी) मंदिर में पूजा अर्चना की है। इस दौरान पीएम मोदी ने गोमती जिले के उदयपुर शहर में स्थित इस तीर्थ के पुनर्विकसित स्वरूप का उद्घाटन भी किया है। इस धाम को माता के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। स्थानीय लोगों के बीच इसे त्रिपुरेश्वरी मंदिर या माताबाड़ी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, माता सती के शरीर के पैर का दक्षिण चरण, दक्षिण पैर की अंगुली सहित यहाँ गिर गया था, इसलिए यह स्थान बेहद पवित्र माना जाता है। इसे ‘कुर्भपीठ’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह मंदिर एक ऐसे टीले पर बना है जो कछुए की पीठ जैसा दिखता है। इसके अलावा यह तांत्रिक साधना के लिए शुभ भी माना जाता है।
महाराजा धन्य माणिक्य ने कराया था मंदिर का निर्माण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं कि पर्यटन हमारे विरासत और विकास के बीच एक सेतु है। खासकर आध्यात्मिक पर्यटन को उन्होंने भारत की प्रगति में एक अहम भूमिका दी है। तीर्थ स्थल न केवल आस्था के केंद्र होते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान और समुदाय की भावना के जीवंत प्रतीक भी हैं। इसी कड़ी का पालन करते हुए वे अक्सर ही भारत के किसी न किसी प्राचीन धार्मिक स्थलों पर जाकर उनके विकास कार्यों को प्रगति देने के प्रयास में लगे रहते हैं। त्रिपुरा में स्थित इस मंदिर का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य ने 1501 ईस्वी में करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि महाराजा को रात में स्वप्न आया जिसमें देवी त्रिपुरेश्वरी ने उन्हें उदयपुर नगर के पास पहाड़ी पर पूजा आरंभ करने के लिए कहा। बार-बार स्वप्न आने के बाद महाराजा ने मां त्रिपुरा सुंदरी की प्रतिमा स्थापित की।
शिव और शक्ति के अद्वितीय संगम का प्रतीक
यह ऐतिहासिक मंदिर वैष्णव और शाक्त परंपराओं का अद्भुत संगम है, जो विविधता में एकता का प्रतीक है। यहां भगवान विष्णु की पूजा शालग्राम शिला के रूप में की जाती है। किसी शक्ति पीठ या काली मंदिर में देवी के साथ विष्णु की पूजा का यह दुर्लभ उदाहरण है। यह मंदिर शिव और शक्ति के अद्वितीय संगम का भी प्रतीक है।
मंदिर की विशेषताएं
यहां देवी शक्ति की पूजा मां त्रिपुरासुंदरी के रूप में और भैरव की पूजा त्रिपुरेश के रूप में होती है। मंदिर का गर्भगृह वर्गाकार है और यह विशिष्ट बंगाली ‘एक-रत्न’ शैली में बना है। यह जिस पहाड़ी पर स्थित है वह कछुए (कूर्म) के आकार की प्रतीत होती है, इसलिए इसे ‘कूर्म पीठ’ कहा जाता है। देवी के चरणों के नीचे श्री यंत्र पत्थर पर अंकित है, जो पूरे ब्रह्मांड और स्त्री-पुरुष ऊर्जा के दिव्य मिलन का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इस श्री यंत्र का दर्शन या पूजा करना अनेक पुण्य कर्मों के समान फलदायी होता है।
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