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भीमा-कोरेगांव हिंसा: इस मामले में पुणे पुलिस लेगी अमेरिकी जांच एजेंसी की मदद
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस ने अब अमेरिका की एफबीआई से मदद लेगी। हिंसा के एक आरोपी के कंप्यूटर के हार्ड डिस्क से डाटा हासिल करने के लिए पुलिस ने एफबीआई की मदद लेने का निर्णय लिया है।
पुणे: भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस ने अब अमेरिका की एफबीआई से मदद लेगी। हिंसा के एक आरोपी के कंप्यूटर के हार्ड डिस्क से डाटा हासिल करने के लिए पुलिस ने एफबीआई की मदद लेने का निर्णय लिया है।
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पुलिस के अनुसार, उसने हार्ड डिस्क से डाटा हासिल करने के लिए फोरेंसिक टीम और लैब की मदद ली लेकिन कामयाबी नहीं मिली। अब फोरेंसिक विशेषज्ञों की एक टीम अमेरिका जाएगी और एफबीआई से मदद लेगी। ये हार्ड डिस्क इस मामले में गिरफ्तार किए गए एक आरोपी वरवरा राव के घर से बरामद की गई थी।
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पूरा मामला
कई दलित समूह कोरेगांव भीमा युद्ध की सालगिरह मनाते हैं जिसमें अंग्रेजों ने महाराष्ट्र के पेशवाओं को हराया था। पुणे-अहमदनगर मार्ग पर पेरणे गांव में स्थित स्मारक, अंग्रेजों ने युद्ध में मारे गए सैनिकों की याद में बनवाया था। दलित नेता अंग्रेजों की जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी के बल का हिस्सा थे। पेशवा ब्राह्मण थे और इस जीत को दलितों की दृढ़ता के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।
31 दिसंबर, 2017 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं पर महार रेजिमेंट की जीत के 200 साल पूरे हुए थे जिसके उपलक्ष्य में पुणे के शनिवारवाड़ा में यल्गार परिषद ने जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें सुधीर धावले, पूर्व जस्टिस बीजी कोल्से पाटिल के अलावा कई अन्य संगठन दलितों और अल्पसंख्यकों पर मौजूदा सरकार के अत्याचारों का दावा करते हुए एकजुट हुए थे। इस जश्न के अगले ही दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी।
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