वोटर का नाम कैसे होता है डिलीट? क्या सिस्टम को हैक करना मुमकिन है, राहुल गांधी के बातों में कितना दम

राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट से नाम डिलीट होने और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या सॉफ्टवेयर से सिस्टम को हैक करना संभव है? जानें पूरी हकीकत।

Harsh Srivastava
Published on: 18 Sept 2025 3:20 PM IST
वोटर का नाम कैसे होता है डिलीट? क्या सिस्टम को हैक करना मुमकिन है, राहुल गांधी के बातों में कितना दम
X

Rahul Gandhi Press Conference Today: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग को निशाने पर लिया है। गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के अलंद विधानसभा चुनाव में वोटरों के नाम सॉफ्टवेयर के जरिए हटाकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब कर्नाटक सीआईडी ने इस मामले की जांच में चुनाव आयोग से सहयोग मांगा, तो आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया। राहुल गांधी के ये आरोप बेहद गंभीर हैं, जो सीधे तौर पर भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।

क्या है वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया?

राहुल गांधी के आरोपों के बाद, यह समझना जरूरी है कि किसी का नाम वोटर लिस्ट से कैसे हटाया जाता है।

कब हटता है नाम: किसी व्यक्ति का नाम तब हटाया जाता है जब उसकी मृत्यु हो गई हो, वह कहीं और शिफ्ट हो गया हो, या उसका नाम गलती से दो बार चढ़ गया हो।

कौन कर सकता है आवेदन: नाम हटाने के लिए फॉर्म-7 भरना होता है, जिसे ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा किया जा सकता है।

जांच प्रक्रिया: फॉर्म मिलने के बाद, बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर जाकर जांच करते हैं। नाम हटाने से पहले, संबंधित मतदाता को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है।

अंतिम निर्णय: सारी जांच और जवाब सुनने के बाद ही निर्वाचन अधिकारी अंतिम निर्णय लेते हैं।

चुनाव आयोग का कहना है कि किसी भी बाहरी सॉफ्टवेयर से वोटर लिस्ट में छेड़छाड़ करना संभव नहीं है, क्योंकि उनकी वेबसाइट और ऐप्स OTP, आधार लिंकिंग और कैप्चा वेरिफिकेशन जैसी सिक्योरिटी लेयर्स से सुरक्षित हैं।

चुनाव आयोग का 'फैक्ट-चैक'

राहुल गांधी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने भी तुरंत प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने कहा कि "किसी भी आम व्यक्ति के द्वारा किसी वोटर का नाम डिलीट नहीं किया जा सकता है।" आयोग ने यह भी बताया कि अलंद विधानसभा में 2023 के चुनाव में ऐसी कुछ कोशिशें हुई थीं, जिसकी FIR खुद चुनाव आयोग द्वारा दर्ज कराई गई थी। और सबसे दिलचस्प बात यह है कि 2018 में जहां बीजेपी इस सीट पर जीती थी, वहीं 2023 में कांग्रेस ने उसे हरा दिया। हालांकि, राहुल गांधी के कुछ आरोपों पर चुनाव आयोग का जवाब आना बाकी है। जैसे, कर्नाटक सीआईडी ने अलंद मामले में जिन कंप्यूटरों के IP एड्रेस और मोबाइल नंबरों की जानकारी मांगी थी, वह क्यों नहीं दी गई? राहुल गांधी का यह दावा कि जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, वे कांग्रेस के वोटर हैं, दम नहीं रखता है, क्योंकि भारत में वोटर किसी पार्टी के नाम पर रजिस्टर नहीं होते हैं। यह पूरा मामला भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है, और अब यह देखना होगा कि इसका क्या समाधान निकलता है।

Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

Mail ID - [email protected]

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!