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Uproar Over Sonia Statement: बेचारी तो सोनिया हैं ! सोनिया गांधी ने बताया था राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "बेचारी"

Uproar Over Sonia Statement: क्या विपक्ष पार्टी की नेता का गणतंत्र के प्रथम नागरिक का अपमान करने का हक बनता है ? भावार्थ यही कि राष्ट्रनायक केवल सवर्ण, कुलन, अभिजात, खानदानी, सुकुल में ही जन्मे हों। इस मापदंड पर तो सोनिया गांधी कभी फिट नहीं बैठेंगी।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 1 Feb 2025 8:19 PM IST (Updated on: 1 Feb 2025 8:40 PM IST)
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Sonia News (Photo Social Media)

Uproar Over Sonia Statement: सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "बेचारी" बताया क्योंकि वे संसद में अपना संबोधन ठीक से कर नहीं पाईं। इस शब्द बेचारी (अंग्रेजी में पुवर-लेडी) के पर्याय शब्दकोश में हैं : "तुच्छ, नगण्य, अकिंचन, अदना, दीनहीन, कंगाल, मिस्कीन" आदि। सोनिया गांधी की मानसिकता झलक गई। स्पष्ट तौर पर। क्या विपक्ष पार्टी की नेता का गणतंत्र के प्रथम नागरिक का अपमान करने का हक बनता है ? भावार्थ यही कि राष्ट्रनायक केवल सवर्ण, कुलन, अभिजात, खानदानी, सुकुल में ही जन्मे हों। इस मापदंड पर तो सोनिया गांधी कभी फिट नहीं बैठेंगी। कौन हैं वे ? उनका असली नाम है एडविगे एंटोनिया अलबिना माइनो जो इटली की विसेंजो गांव के निकट जन्मी थी। उनके पिता स्टीफनों मियानों एक मिस्त्री (निर्माण कारीगर) थे। वे फिर फासिस्ट नेता और हिटलर के साथी बेनिटो मसोलिनी की फासिस्ट सेना में भर्ती होकर सोवियत संघ पर हुए हमले के समय इतालियन सैनिक थे। स्टालिनग्राड में फासिस्ट सेना की हार पर वे युद्ध बंदी बनाए गए। बाद में रिहा हुए।

फासिस्ट पिता की यह कमपढ़ी बड़ी बेटी एयर होस्टेस (जहाज में सेविका) बनने ब्रिटेन गई। वहां कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कॉलेज के रेस्त्रां में परिचारिका (बार-बाला) की नौकरी की। रेस्त्रां में ही भारतीय छात्र राजीव फिरोज घांडी से भेंट हुई। प्यार हुआ। शादी हुई। अब भारतीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्षा है। सोनिया-पति राजीव गांधी की शैक्षिक अर्हताएं ? वे अपने अनुज संजय गांधी के साथ ब्रिटेन में उच्च शिक्षा पाना चाहते थे। उनके नाना (प्रधानमंत्री) जवाहरलाल नेहरू ने अपने वित्त मंत्री मोरारजी देसाई से आग्रह किया कि दोनों को छात्रवृत्ति दे दी जाए। वित्त मंत्री का जवाब था कि इंदिरा गांधी के इन दोनों पुत्रों की निम्नतम शैक्षिक अर्हता इतनी नहीं थी कि उन्हें ब्रिटेन में शिक्षा पाने हेतु कोई शासकीय मदद दी जा सके।

अपनी पुस्तक में डॉ. एस. राधाकृष्णन ने लिखा था कि जवाहरलाल नेहरू के देहांत के बाद राष्ट्रपति ने इंदिरा गांधी को अध्यापिका की नौकरी दिलवाने का प्रयास किया था। इंदिरा गांधी अयोग्य पाई गईं क्योंकि उनके पास पर्याप्त शैक्षणिक प्रमाण पत्र नहीं थे। हाई स्कूल भी नहीं। तो इस संदर्भ में सोनिया गांधी की हैसियत की समीक्षा हो कि वे राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं आदिवासी महिला को "बेचारी" कह सकती हैं ? याद रहे पिछली लोकसभा में कांग्रेस विपक्ष के नेता अधीरंजन बनर्जी ने मुर्मू को राष्ट्रपत्नी कहा था। वे चुनाव हार गए। अर्थात सूप बोले तो बोले चलनी भी बोले जिसमें सौ छेद।

K Vikram Rao

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