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Justice Hema Committee Report: जानिए क्या है जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट, जिसने खोली मलयालम फ़िल्म इंडस्ट्री की पोल
Justice Hema Committee Report: केरल हाई कोर्ट ने हेमा कमेटी की रिपोर्ट को मान लिया है। जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि किस तरह मलयालम फ़िल्म उद्योग में महिलाओं का इस्तेमाल होता आ रहा है।
Justice Hema Committee Report: हेमा कमेटी की रिपोर्ट में यह साफ़ तौर पर कहा गया है कि अलग- अलग स्तर पर फ़िल्मी जगत में प्रवेश देने के उद्देश्य से महिलाओं का शारीरिक शोषण होता रहा है, और इसके लिए इंडस्ट्री में कोड वर्ड का प्रयोग किया जाता है। रिपोर्ट में उस कोड वर्ड का भी जिक्र किया गया है जिनमें 'समझौता' और 'एडजस्टमेंट्स' जैसे शब्द हैं। उस रिपोर्ट के हिसाब से उन दोनों शब्दों का मतलब महिला को 'सेक्स ऑन डिमांड' के लिए खुद को उपलब्ध बनाए रखना है। फिल्म उद्योग में ‘कास्टिंग काउच’ जैसी प्रचलित धारणा ने पूरी तरह से अपना कब्ज़ा किया हुआ है। जिसमें फिल्म बनाने वालों लोगों को हमेशा फायदा होता आया है।
केरल हाई कोर्ट ने जारी की 290 पन्नों की रिपोर्ट
हेमा कमेटी की रिपोर्ट को साढ़े चार साल बाद केरल हाई कोर्ट ने जारी किया है। जिसमें कुल मिलकर 290 पन्ने हैं। हाई कोर्ट की तरफ से जारी रिपोर्ट में अभी 44 पन्ने गायब किए गए हैं क्योंकि उन पन्नों में महिलाओं ने अपने साथ शोषण और उत्पीड़न करने वाले पुरुषों के नाम बताए हैं। रिपोर्ट में एक महिला की बात का जिक्र किया गया है जिसमें महिला यह बता रही है कि मुझे उस आदमी के साथ पत्नी की भूमिका निभानी पड़ी जिसने मेरे साथ एक दिन पहले यौन शोषण किया था।
साल 2017 में हुआ था इस कमेटी का गठन
हेमा कमेटी का गठन साल 2017 में किया गया था। जिसे अब केरल हाई कोर्ट द्वारा लोगों के सामने पेश किया गया। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि फिल्म उद्योग में लोगों को ऐसा लगता है कि महिलाएं पैसे कमाने आती हैं और इसके लिए वो किसी भी चीज का आत्मसमर्पण कर देंगी। वे ये बात पूरी तरह भूल जाते है कि कला और अभिनय के क्षेत्र में लोग अपने जूनून की वजह से आते हैं। इंडस्ट्री में रह रहे आदमी को ऐसा लगता है कि एक मौका पाने के लिए महिलाएं किसी के साथ भी सो सकती हैं।