#Chitrakoot जीत : हार किसकी शिवराज, मोदी या फिर नीतियों की

Rishi
Published on: 12 Nov 2017 8:16 PM IST
#Chitrakoot जीत : हार किसकी शिवराज, मोदी या फिर नीतियों की
X

भोपाल : मध्यप्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के साथ खास तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए अहम था। वजह यह कि चित्रकूट राम की तपोभूमि तो है ही, साथ ही चौहान अपने को विकास का पैरोकार बताते रहे हैं। परिणाम कांग्रेस के खाते में गया, इसीलिए सवाल उठ रहा है कि 'आखिर हारा कौन?'

कांग्रेस विधायक प्रेम सिंह के निधन के बाद यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस के लिए अपनी साख बचाने की चुनौती थी, तो भाजपा यहां जीतकर यह बताना चाहती थी कि प्रदेश के हर हिस्से का मतदाता उसके साथ है, शिवराज के किए विकास का पक्षधर है। यही कारण रहा कि भाजपा ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी।

ये भी देखें: #Chitrakoot जीत : कांग्रेस ने कहा- BJP के लग गए काम, जय श्रीराम …

विंध्य क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शर्मा कहते हैं, "भाजपा के लिए चित्रकूट सीट अहम थी, क्योंकि उत्तर प्रदेश से सटे इस विधानसभा क्षेत्र में वहां के विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के असर को भुनाने का मौका था। इतना ही नहीं, राम की तपोभूमि होने के कारण भाजपा राम के नाम पर भी वोट पाना चाहती थी, मगर ऐसा हुआ नहीं। इससे लगता है कि लोग कई वजहों से बहुत नाराज थे।"

शर्मा आगे कहते हैं, "इस बार पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के मतदान का प्रतिशत ज्यादा देखा गया। यह कई सवाल खड़े कर रहा है। नतीजों से तो यही लग रहा है कि महिलाओं ने आगे आकर नोटबंदी से हुई परेशानी, रोजगार छिनने और जीएसटी के कारण महंगाई बढ़ने के खिलाफ वोट डाला है। यह सिर्फ शिवराज या राज्य भाजपा इकाई ही नहीं, पूरी पार्टी के लिए चिंता में डालने वाली हार है।"

इस क्षेत्र के बीते तीन चुनावों पर नजर दौड़ाएं, तो यह बात साफ हो जाती है कि इस बार के उपचुनाव में कांग्रेस की जीत का अंतर सबसे ज्यादा है। वर्ष 2003 में कांग्रेस के प्रेम सिंह 8,799 वाटों के अंतर से जीते थे, वहीं 2008 में भाजपा के सुरेंद्र सिंह गहरवार 722 वोट से जीते। इसके बाद के वर्ष 2013 के चुनाव में प्रेम सिंह 10,970 वोटों के अंतर से जीते, जबकि इस बार नीलांशु चतुर्वेदी 14,133 वोटों के अंतर से जीते।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान इस हार पर एक ही जवाब दे रहे हैं कि 'यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है, इसलिए हम हारे हैं। कारणों की समीक्षा की जाएगी। भाजपा वहां विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन जनता ने परंपरा को चुना, विकास को नहीं।'

ये भी देखें: गुजरात चुनाव से पता चलेगा ! कौन नेता ‘जबरदस्त’ कौन ‘जबरदस्ती’ : केशव

चौहान से जब पूछा गया कि आपने तो अगले विधानसभा चुनाव के लिए नारा दिया है 'अबकी बार दो सौ पार' यह कैसे पूरा होगा? इस पर उनका जवाब है, "भाजपा ने उन 30 सीटों को छोड़ा है, जिन पर कांग्रेस कई बार जीती है, उन्हीं में से एक चित्रकूट भी थी। उसके बाद भी हम अपने नारे के मुताबिक जीतकर एक बार फिर सरकार बनाएंगे।"

वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है, "कांग्रेस पार्टी के सत्ता से वनवास का यह 14वां साल है, जिसके खत्म होने की शुरुआत चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र से हुई है। चित्रकूट में जातीय संतुलन और सामंजस्य का नया प्रयोग किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा।"

उन्होंने कहा, "इससे पहले सतना लोकसभा में पार्टी ने ठाकुर-ब्राह्मण के एक नए गठजोड़ का विश्वास अर्जित किया था, उसी का परिणाम था कि मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस मात्र सात हजार वोटों से हारी थी। इस इलाके में कांग्रेस ब्राह्मण, आदिवासी, ठाकुर (बेट) के गठजोड़ पर आगे काम करेगी, सफलता मिलना तय है।"

ये भी देखें :शिवराज ने अपने ही पैर गले में फंसा लिए, भावांतर भुगतान योजना बनीं सिरदर्द

आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा, "राज्य की जनता भाजपा और कांग्रेस दोनों के कुशासन को जान चुकी है। कांग्रेस को अपनी जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा, वहीं भाजपा के दिग्गज नेता और पूरी की पूरी सरकार डेरा डाले रही, मगर जीत नहीं मिली। जनता बदलाव चाहती है और आगामी चुनाव में आप की सरकार आएगी, जो दिल्ली की तरह राज्य की जनता से किए हर वादे पूरे करेगी। सस्ती दर पर बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं मुहैया कराएगी।"

एक और खास बात कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पार्टी के अंदर एकता दर्शाने की कोशिश की। इस बार प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने प्रचार अभियान में अपनी भागीदारी निभाकर कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि 'एकजुट होकर भाजपा का मुकाबला करो।'

कहने के लिए तो यह एक सीट का उपचुनाव था, मगर चित्रकूट में हुई हार-जीत बड़ा संदेश और संकेत देने वाली है। सवाल उठ रहे हैं कि भाजपा से प्रत्याशी चयन में गड़बड़ी हुई या केंद्र के नोटबंदी जैसे फैसलों का अब असर होने लगा है या शिवराज का तिलिस्म टूटने लगा है? सत्तारूढ़ भाजपा को यह मंथन करना होगा कि वास्तव में हारा कौन?

Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!