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अयोध्या विवाद: SC में सिब्बल की मांग- 2019 चुनाव के बाद हो सुनवाई
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (5 दिसंबर) को अयोध्या विवाद पर सुनवाई शुरू हो गई। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच के सामने दलीलें रखी गईं। सबसे पहले शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से दलील पेश की गई। शिया बोर्ड की तरफ से विवादित स्थल पर मंदिर बनाए जाने का समर्थन हुआ तो, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इसका कड़ा विरोध किया।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा, कि 'मामले से जुड़े सारे दस्तावेज भी पेश नहीं हो पाए हैं।' इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुन्नी बोर्ड के दावे का विरोध किया। मेहता बोले, 'कोर्ट में सारे कागजात जमा हैं।' बता दें कि सुनवाई कर रही इस स्पेशल बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने पहले तो अनुवाद किए दस्तावेज को यूपी सरकार की ओर से न दिए जाने की दलील दी। इसके बाद वो सीधे सियासी मुद्दे पर आ गए। उनका कहना था कि अदालत इस मामले की सुनवाई जुलाई 2019 तक के लिए टाल दे।
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मामले से जुड़े सारे दस्तावेज रेकॉर्ड में नहीं हैं
शिया वक्फ बोर्ड की दलील के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई के लिए 5 जजों की बेंच बनाए जाने की मांग की। सिब्बल बोले, 'अभी मामले से जुड़े सारे दस्तावेज रेकॉर्ड में नहीं हैं।'
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2019 चुनाव पर असर पड़ सकता है असर
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने इसका विरोध करते हुए कहा, कि 'सारे दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए हैं।' इसके बाद कपिल सिब्बल ने कोर्ट से मांग की, कि इस मामले की सुनवाई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद की जाए। इसके पीछे उन्होंने दलील दी, कि सुनवाई का 2019 के आम चुनाव पर असर पड़ सकता है। इस पर केंद्र सरकार के वकील ने कहा, कि 'सरकार मामले की रोजाना सुनवाई के पक्ष में है।'
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