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SC का दहेज मामलों में दंड प्रावधान लागू करने संबंधी दिशा-निर्देश तय करने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह यह दिशा-निर्देश नहीं बना सकता कि दहेज उत्पीड़न के मामलों की जांच कैसे की जाए क्योंकि ऐसा करना वैधानिक प्रावधानों से परे जाना हो सकता है।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह यह दिशा-निर्देश नहीं बना सकता कि दहेज उत्पीड़न के मामलों की जांच कैसे की जाए क्योंकि ऐसा करना वैधानिक प्रावधानों से परे जाना हो सकता है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ ने यह बात कही और इस बात का संकेत दिया कि यह दो जजों की बेंच द्वारा दिए गए फैसले की समीक्षा करेगा, जिसने पुलिस कार्रवाई से पहले दहेज उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए समिति के गठन के निर्देश दिए थे।
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जस्टिस ए.के. गोयल की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने दहेज उत्पीड़न शिकायतों को निपटाने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए थे।
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एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट वकील वी. शेखर और इंदु मल्होत्रा ने फैसले पर रोक लगाने की मांग की है, जिसके तहत दिशानिर्देश तय किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि वह "इसे स्वीकार कर सकता है या खारिज कर सकता है।"
दिशा-निर्देश इस मसले पर तय हुए थे कि पुलिस को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न के मामलों में कैसी कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन, कोर्ट ने कहा कि दहेज उत्पीड़न मामले में 498ए के वैधानिक प्रावधानों को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश की जरूरत नहीं है।
--आईएएनएस
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