Tamilnadu News: तमिलनाडु के गवर्नर का तरीका अवैध और मनमाना,SC का बड़ा फैसला,विधेयकों को मंजूरी न देने पर जताई नाराजगी

Tamilnadu News: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से तमिलनाडु के गवर्नर को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने गवर्नर और राज्य सरकार के अधिकारों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 8 April 2025 12:56 PM IST (Updated on: 8 April 2025 1:01 PM IST)
SC on RN Ravi
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सुप्रीम कोर्ट (Social media)

Tamil Nadu News: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने गवर्नर और राज्य सरकार के अधिकारों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने राज्यपाल की ओर से 10 विधेयकों को मंजूरी न दिए जाने के फैसले को मनमाना और अवैध करार दिया है। अदालत ने कहा कि गवर्नर ने अपनी शक्तियों से परे जाकर काम किया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि जब विधानसभा से दोबारा पारित करके बिलों को राज्यपाल के पास भेजा गया तो उन्हें इन बिलों पर तुरंत मंजूरी दे देनी चाहिए थी।

इन बिलों को रोकने का कोई तुक नहीं बनता। पीठ ने कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई वीटो पावर नहीं है कि वह बिलों को रोक कर बैठा रहे और उन पर कोई फैसला न ले। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को नया ब्रह्मास्त्र मिल गया है। स्टालिन और गवर्नर आरएन रवि के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है।

राज्यपाल ने संविधान के हिसाब से जिम्मेदारी नहीं निभाई

जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने साफ तौर पर कहा कि राज्यपाल ऐसा नहीं कर सकते कि पहले बिलों को मंजूरी देने से इनकार कर दें और फिर उन्हें राष्ट्रपति के पास भेज दें। राज्यपाल का यह कदम पूरी तरह गलत है और इसलिए इसे रद्द किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से भेजे गए 10 बिलों को लेकर राज्यपाल और राष्ट्रपति की ओर से जो भी कदम उठाए गए हैं,वे कानूनी रूप से अमान्य हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा की ओर से जिस तारीख को इन बिलों को मंजूर करके दोबारा भेजा गया था, ये बिल उस तारीख से मंजूर माने जाएंगे। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्होंने ईमानदारी से अपना काम नहीं किया। उनके कदम से साफ है कि उन्होंने संविधान के हिसाब से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई है। अदालत ने कहा कि इन 10 विधेयकों को लेकर राज्यपाल की ओर से किए गए सारे फैसलों को हम खारिज करते हैं।

विधेयकों को रोकना संविधान का स्पष्ट उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने कहा कि हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि गवर्नर की ओर से विधेयकों को रोके जाने का कदम संविधान के अनुच्छेद 200 का स्पष्ट उल्लंघन था। उनका यह कदम विधि सम्मत नहीं था। पीठ ने तीखी भाषा का इस्तेमाल करते हुए कहा कि इस मामले में गवर्नर ने नियमों के अनुसार काम नहीं किया है। इस मामले में फैसला ही न लेना पूरी तरह गलत था।

उन्हें या तो बिलों को तुरंत मंजूर कर लेना चाहिए था या उन्हें लौटाना चाहिए था या फिर वे इन बिलों को राष्ट्रपति के पास भेज सकते थे। गवर्नर संविधान के तहत कोई भी कदम उठा सकते थे मगर इन बिलों को दबाए रखना कतई उचित नहीं था। भले ही संविधान में यह नहीं बताया गया है कि राज्यपाल को कितने दिनों में फैसला लेना चाहिए मगर वह असीमित समय तक बिलों को दबाकर नहीं बैठ सकते।

स्टालिन सरकार को मिली बड़ी जीत

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि राज्यपाल के पास मनमाने तरीके से बिलों को रोकने या राष्ट्रपति के पास भेजने की ताकत नहीं है। संविधान में राज्यपाल का रोल सीमित है और उन्हें चुनी हुई सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन की बड़ी जीत माना जा रहा है।

स्टालिन और गवर्नर के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है और बिलों को रोके जाने का मामला इसी कारण सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था जिसमें स्टालिन की सरकार को बड़ी जीत मिली है। माना जा रहा है कि अब स्टालिन सरकार के फैसलों को लेकर राज्यपाल अड़ंगा नहीं लगा पाएंगे।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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