Tihar Jail Ka Itihas: तिहाड़ सिर्फ एक जेल नहीं बल्कि एक विशाल किला है, जानिए इस एशिया के सबसे बड़े कारागार से जुड़े रोचक पहलुओं के बारे में

Tihar Jail History in Hindi: तिहाड़ जेल देश की सामाजिक, राजनीतिक और आपराधिक कहानियों का जीवित दस्तावेज़ है। आइए जानते हैं इस जेल से जुड़े रोचक पहलुओं के बारे में।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 10 April 2025 3:55 PM IST
Tihar Jail History
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Tihar Jail History

Tihar Jail Information in Hindi: "कभी-कभी दीवारें सिर्फ कैदियों को नहीं, बल्कि कहानियों को भी कैद कर लेती हैं।" दिल्ली की हलचल भरी ज़िंदगी से कुछ दूर, एक विशाल परिसर में बसी है तिहाड़ जेल (Tihar Jail)। यह केवल ईंटों और सुरक्षाकर्मियों से घिरा एक बंदीगृह नहीं, बल्कि देश की सामाजिक, राजनीतिक और आपराधिक कहानियों का जीवित दस्तावेज़ है। यहां वक्त ने सैकड़ों जिंदगियों को बदलते देखा है...कुछ अपराध की सजा काटते हुए, कुछ पश्चाताप की राह पर, तो कुछ सुधार की कोशिश करते हुए...

तिहाड़ जेल का इतिहास: बंदीगृह से सुधार केंद्र तक (Tihar Jail History in Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तिहाड़ जेल की स्थापना 1957 में हुई थी। इसे प्रारंभ में किंग्सवे कैंप जेल के स्थान पर बसाया गया था, लेकिन 1966 में के.एफ. रुस्तमजी की अगुवाई में इसका पुनर्गठन किया गया और इसे आधुनिक सुधारात्मक केंद्र का स्वरूप दिया गया। इसका संचालन दिल्ली पुलिस के अधीन हुआ करता था, लेकिन 1986 में यह दिल्ली सरकार के गृह विभाग को सौंपा गया। तिहाड़ अब 9 केंद्रीय जेलों का एक समूह है। तिहाड़ जेल, भारत की सबसे बड़ी और एशिया की प्रमुख जेलों में से एक है। यह दिल्ली में स्थित है और लगभग 16,000 से अधिक कैदियों को रखने की क्षमता रखती है।

यह जेल उच्च प्रोफ़ाइल अपराधियों, आतंकवादियों, राजनीतिक कैदियों, और अंतरराष्ट्रीय अपराधियों को भी रख चुकी है। इस वजह से तिहाड़ भारत की सबसे महत्वपूर्ण जेलों में गिनी जाती है।

तिहाड़ की विशेषताएं: क्यों है यह जेल सबसे अलग? (Features of Tihar Jail In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. ‘TJ’ ब्रांड: आत्मनिर्भरता की ओर कदम

यहां के कैदी वस्त्र, फर्नीचर, पेपर उत्पाद, मोमबत्तियाँ, और बेकरी सामग्री जैसे उत्पाद बनाते हैं जिन्हें ‘TJ’ (Tihar Jail) ब्रांड के तहत दिल्ली भर में बेचा जाता है। यह पहल न केवल बंदियों के आत्मविश्वास को पुनर्जीवित करती है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी सशक्त करती है।

2. साहित्यिक और रचनात्मक अभिव्यक्ति

तिहाड़ से कई बंदियों की कविताएं, आत्मकथाएं और पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। यहां कैदी हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू जैसी भाषाओं में लेखन कार्य करते हैं।

3. संगीत और रंगमंच की भूमिका

'मुक्त रंगमंच' और ‘तिहाड़ बैन्ड’ जैसी सांस्कृतिक पहलों से यहाँ बंदियों को मंच पर आने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर मिलता है।

4. महिला बंदियों और बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था

गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और उनके बच्चों के लिए अलग विंग, पोषण, चिकित्सा और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध है। बच्चे जब तक 6 वर्ष के होते हैं, उन्हें जेल परिसर में ही रखा जाता है।

कुख्यात और राजनीतिक अपराधियों की फेहरिस्त है तिहाड़

तिहाड़ ने अनेक चर्चित और विवादास्पद नामों को बंदी के रूप में देखा है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख मामलों और उनके अपराधों के बारे में:-

चार्ल्स शोभराज – 'बिकिनी किलर'

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

मूल देश: फ्रांस (भारतीय माँ, वियतनामी पिता)

अपराध: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवतियों की हत्याएं

मुख्य घटनाएं: 1970 के दशक में दक्षिण एशिया में विदेशी पर्यटकों को अपना शिकार बनाया। उन्हें नशीला पदार्थ देकर लूटना, हत्या करना और शव को जलाना या टुकड़े-टुकड़े करना इनका तरीका था। भारत में गिरफ्तार होकर 1976 में तिहाड़ लाया गया।

जेल के अंदर भी उसने अधिकारियों को प्रभावित किया और 1986 में चकमा देकर भाग निकला। 1997 में रिहा होने के बाद नेपाल में फिर गिरफ्तार होकर वहां जेल गया।

चार्ल्स शोभराज से जुड़े तिहाड़ में विशिष्ट पहलू: चार्ल्स शोभराज जेल के भीतर अंग्रेज़ी पढ़ाना, लॉ की पढ़ाई करना और जेल स्टाफ से निकट संबंध बनाना उसकी रणनीति का हिस्सा था।

संजय गांधी (राजनीतिक बंदी)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

संजय गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र, 1975-77 के आपातकाल के दौरान एक विवाद में फंसे। उन पर आरोप था कि उन्होंने राजनीतिक व्यंग्य फिल्म 'किस्सा कुर्सी का' की सभी प्रतियों को नष्ट करवा दिया था। 1977 में सत्ता परिवर्तन के बाद, जनता पार्टी सरकार द्वारा स्थापित शाह आयोग ने संजय गांधी को दोषी ठहराया। उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई और तिहाड़ जेल में रखा गया। यह तिहाड़ में बंद होने वाले पहले बड़े राजनीतिक हस्तियों में से एक थे।

सतवंत सिंह और केहर सिंह – इंदिरा गांधी हत्याकांड

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अपराध: प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या (1984)

घटना विवरण:

ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद आक्रोशित सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने इंदिरा गांधी की गोली मारकर हत्या की।

बेअंत सिंह मौके पर मारा गया जबकि सतवंत और केहर सिंह को गिरफ्तार किया गया।

1989 में तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।

विशेष तथ्य: फांसी की सज़ा के खिलाफ कई सिख संगठनों ने विरोध किया था। ये सज़ा तिहाड़ में दी जाने वाली प्रारंभिक राजनीतिक फांसियों में से एक थी।

रंगा और बिल्ला – गीता-संजय चोपड़ा हत्याकांड (1978)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अपराध: दो किशोर भाई-बहनों का अपहरण, बलात्कार और हत्या

घटना: स्कूली बच्चों को कार में लिफ्ट देने के बहाने अगवा किया गया। गीता के साथ बलात्कार और दोनों की निर्मम हत्या कर शव झाड़ियों में फेंके गए। देशभर में उबाल आया, लोगों ने न्याय की मांग की। दोनों अपराधियों को तिहाड़ लाया गया और 1982 में फांसी दी गई।

महत्त्व: भारत में पहली बार मीडिया ट्रायल और जनआक्रोश के चलते शीघ्र न्याय प्रक्रिया में तेजी आई।

अफजल गुरु – संसद पर हमला (2001)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अपराध: भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला

मूल स्थान: जम्मू-कश्मीर

घटना: 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमले में 9 सुरक्षाकर्मी और एक माली मारा गया। हमलावरों का मकसद भारत के लोकतंत्र को चुनौती देना था। अफजल गुरु पर हमले की साजिश, सहयोग और आतंकवादी गतिविधियों का आरोप लगा।

तिहाड़ में फांसी: 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में गुप्त रूप से फाँसी दी गई।

विवाद: मानवाधिकार संगठनों ने निष्पक्ष सुनवाई और पर्याप्त सबूतों पर सवाल उठाए।

मकबूल भट – जेकेएलएफ संस्थापक

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अपराध: देशद्रोह, कश्मीर में आतंकवाद और पाकिस्तान से संबंध

पृष्ठभूमि: जमात-ए-इस्लामी का सदस्य रहा मकबूल कश्मीर की आज़ादी के लिए संघर्षरत था। 1966 में भारत में पकड़ा गया, जेल से भागकर पाकिस्तान गया और फिर दोबारा गिरफ्तार हुआ।

फांसी: 11 फरवरी 1984 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई।

परिणाम: कश्मीर घाटी में व्यापक विरोध और अलगाववादी आंदोलन को नई ऊर्जा मिली।

शाहबुद्दीन – ‘सीवान का डॉन’

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राजनीतिक पार्टी: राष्ट्रीय जनता दल (राजद)

अपराध: हत्या, अपहरण, रंगदारी, जेल से अपराध संचालन,राजीव रोशन हत्याकांड और तेजस्वी पत्रकार मर्डर केस चर्चित। बिहार की जेलों में रहते हुए लगातार धमकियां और अपराध चलाते रहे। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में तिहाड़ ट्रांसफर का आदेश दिया

मौत: 2021 में कोरोना के दौरान मौत, लेकिन इसकी परिस्थितियों पर सवाल उठते रहे।

अमर मणि त्रिपाठी और मधुमणि – कवियित्री हत्या केस

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अपराध: कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या

घटना: गर्भवती मधुमिता की हत्या कथित रूप से राजनीतिक रंजिश और अवैध संबंध के कारण हुई। सीबीआई जांच में खुलासा हुआ और दोनों पति-पत्नी को उम्रकैद हुई।

कुछ समय के लिए यहां रखा गया, बाद में अन्य जेलों में शिफ्ट

दिल्ली के मंत्री – सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अपराध: मनी लॉन्ड्रिंग (सत्येंद्र जैन), आबकारी नीति घोटाला (सिसोदिया)

राजनीतिक प्रभाव: तिहाड़ में रहते हुए वीडियो लीक, जेल सुविधाओं पर विवाद, और सरकार बनाम एजेंसियों का संघर्ष चर्चा में रहा। इनके अतिरिक्त आप पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल और मनीष सिसोदिय विभिन्न भ्रष्टाचार और शराब नीति घोटालों में तिहाड़ में बंद रहे हैं।

तहव्वुर राणा केस

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तिहाड़ में बंद होने वाले हाइप्रोफाइल अपराधियों की इस लिस्ट में आतंकी तहव्वुर राणा का भी नाम जोड़ा जा रहा है।

तहव्वुर राणा: केस हिस्ट्री

तहव्वुर हुसैन रंदा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, लेकिन वह कनाडा का नागरिक बन गया। 1980 के दशक में वह एक सिख अलगाववादी समूह, बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के संपर्क में आया और कनिष्क बम कांड में उसकी संलिप्तता सिद्ध हुई। 23 जून 1985 को मॉन्ट्रियल से दिल्ली जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट 182 आयरलैंड के तट के पास समुद्र में विस्फोट से गिर गई। इस त्रासदी में 329 लोग मारे गए। यह घटना आज भी भारत और कनाडा के इतिहास में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक मानी जाती है।

जांच और गिरफ्तारी:

तहव्वुर राणा को कनाडा में गिरफ्तार किया गया और उस पर आतंकवादी साजिश, हत्या, और विमान को बम से उड़ाने का आरोप लगाया गया। उसे 1992 में दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा दी गई। बाद में कुछ कानूनी तकनीकी आधारों पर उसे रिहा कर दिया गया, लेकिन भारत ने उसकी प्रत्यर्पण की मांग की।

भारत लाया जाना:

हालांकि तहव्वुर राणा को कभी औपचारिक रूप से तिहाड़ जेल में नहीं लाया गया, लेकिन भारत ने लंबे समय तक उसका प्रत्यर्पण मांगा। मीडिया में कई बार यह अटकलें आईं कि यदि प्रत्यर्पण होता है, तो उसे तिहाड़ जेल में ही रखा जाएगा क्योंकि तिहाड़ भारत की सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती है।

किरण बेदी का योगदान: तिहाड़ जेल का रूपांतरण

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1993 में, किरण बेदी ने तिहाड़ जेल की महानिरीक्षक (Inspector General) के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने जेल में कई सुधारात्मक कार्यक्रम शुरू किए, जिनमें योग, विपश्यना ध्यान, शिक्षा, और कौशल विकास शामिल थे। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य कैदियों के मानसिक और शारीरिक सुधार में सहायता करना था। किरण बेदी के इन प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और उन्हें 1994 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

किरण बेदी के नेतृत्व में, तिहाड़ जेल में कई नवाचार हुए। उन्होंने कैदियों के लिए शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए, जिससे उन्हें जेल से बाहर निकलने के बाद रोजगार के अवसर मिल सकें। इसके अलावा, उन्होंने जेल में एक बैंक, बेकरी, और अन्य उत्पादन इकाइयों की स्थापना की, जहां कैदी काम कर सकते थे और आय अर्जित कर सकते थे। इन सुधारों के परिणामस्वरूप, तिहाड़ जेल का वातावरण सकारात्मक दिशा में बदल गया और यह सुधारात्मक न्याय प्रणाली का एक मॉडल बन गया।

तिहाड़ जेल की दीवारों के भीतर सिर्फ कैदी नहीं, बल्कि कहानियां हैं पश्चाताप की, बदलाव की और कभी-कभी घृणा की भी। यह स्थान आज भारतीय आपराधिक न्याय व्यवस्था का आईना है, जहां कठोरता के साथ-साथ करुणा की भी जगह है।

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