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West Bengal By Election 2024: पश्चिम बंगाल के उपचुनाव में टूटा कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन, वाम दलों ने पांच सीटों पर घोषित किए प्रत्याशी
West Bengal By Election 2024: कांग्रेस ने अभी इन सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं मगर पार्टी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा में जुटी हुई है।
West Bengal By Election 2024: पश्चिम बंगाल में छह विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस और वाम दलों का गठबंधन टूट गया है। 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए वाम दलों ने पांच सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं जबकि छठी सीट पर भी जल्द ही प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया जाएगा।
कांग्रेस ने अभी इन सीटों पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं मगर पार्टी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा में जुटी हुई है। वाम दलों की ओर से अपने प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद साफ हो गया है कि उपचुनाव के दौरान दोनों दलों की राहें अलग हो गई हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने वाम दलों के साथ गठबंधन किया था मगर उपचुनाव में दोनों एक-दूसरे को चुनौती देते हुए नजर आएंगे।
वाम दलों ने उतारे पांच सीटों पर प्रत्याशी
पश्चिम बंगाल की छह विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने वाला है। जिन छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होंगे,उनमें कूचबिहार जिले की सीताई, अलीपुरद्वार जिले की मदारीहाट, उत्तर 24 परगना में नैहाटी और हरोआ, पश्चिमी मिदनापुर जिले में मेदिनीपुर और बांकुरा जिले में तालडांगरा हैं। वाम मोर्चा की ओर से इनमें से पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं।
इनमें सिताई से फॉरवर्ड ब्लॉक के अरुण कुमार बर्मा, आरएसपी के पदम उरांव (मदारीहाट), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनवादी(भाकपा-माले) के देबज्योति मजूमदार (नैहाटी),भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मणि कुंतल खमरुई (मेदिनीपुर) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के देबकांति महंती (तालडांगरा) शामिल हैं। मोर्चा की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि हरोआ विधानसभा सीट के लिए उम्मीदवार के नाम की घोषणा बाद में की जाएगी।
2016 से चल रहा दोनों का गठबंधन
कांग्रेस और वाम दलों के बीच 2016 में गठबंधन हुआ था और दोनों ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था। हालांकि इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे थे। टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी और भाजपा के सामने विफल होने के बाद दोनों ने 2020 में फिर गठबंधन का फैसला किया था।
2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, वाममोर्चा और आईएसएफ ने मिलकर चुनाव लड़ा था। हालांकि कांग्रेस और वाम दलों को एक भी सीट हासिल नहीं हो सकी थी। आईएसएएफ ने जरूर एक सीट पर जीत हासिल की थी।
गठबंधन के बावजूद लगातार लगे झटके
2021 के विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम लों ने गठबंधन बनाए रखने का फैसला किया था। दोनों के मिलकर चुनाव लड़ने के बावजूद लोकसभा चुनाव के दौरान भी अच्छा नतीजा सामने नहीं आ सका था।
कांग्रेस को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी जबकि वाम मोर्चा का खाता नहीं खुल सका था। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी को भी हार का मुंह देखना पड़ा था।अब कई चुनाव मिलकर लड़ने के बाद उपचुनाव के दौरान वाम मोर्चा और कांग्रेस की राहें अलग हो गई हैं।
अब उपचुनाव में टूट गया गठबंधन
दरअसल लगातार मिल रही विफलता के बाद वाम दलों के बीच भी यह बहस तेज हो गई है कि आगे कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं। लेफ्ट के कई नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण वाम मोर्चा को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
माना जा रहा है कि इसी कारण उपचुनाव में अलग उतरने का फैसला किया गया है। कांग्रेस ने अभी उपचुनाव के लिए अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं मगर पार्टी की राज्य इकाई की ओर से संभावित उम्मीदवारों के नाम केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजे गए हैं। जानकारों का कहना है कि केंद्रीय चुनाव समिति की मंजूरी के बाद जल्द ही कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम का भी ऐलान किया जाएगा।