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क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा? केरल में बरपा रहा कहर, अब तक 19 लोगों की गयी जान, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
Brain Eating Amoeba: इस साल केरल में अब तक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के 67 से ज्यादा केस सामने आए है।
Brain Eating Amoeba
Brain Eating Amoeba: केरल में एक दुर्लभ और प्राणघातक बीमारी ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा’ कहर बरपा रहा हे। इस सूक्ष्मजीव का नाम नेगलेरिया फाउलेरी है। जिसे आम बोलचाल की भाषा में ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कहा जाता है। इस साल केरल में अब तक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस के 67 से ज्यादा केस सामने आए है। इस बीमारी के चपेट में तीन माह के नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग तक आ चुके हैं। जिसमें इस घातक बीमारी के कारण 19 लोगों की असमय मौत भी हो चुकी है। ब्रेन ईटिंग अमीबा के बढ़ते मामलों को लेकर लोगों में दहशत है। वहीं स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है।
क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा?
ब्रेन ईटिंग अमीबा एक दुर्लभ बीमारी है। यह मस्तिष्क संक्रमण है जिसके चलते मृत्यु दर काफी अधिक है। यह आमतौर पर अमीबा युक्त पानी में नहाने वाले अधिकांश लोगों में से किसी एक को ही संक्रमित करती है। किसी भी व्यक्ति को यह संक्रमण तब होता है जब वह अमीबायुक्त पानी में तैरता है। पानी के मौजूद जीवाणु व्यक्ति के नाक या कान के जरिए दिमाग तक पहुंच जाते है और फिर ब्रेन को नुकसान पहुंचाते हैं।
संक्रमण के बाद मस्तिष्क में जटिलताएं बढ़ने पर मरीज की मौत तक हो सकती है। हालांकि यह बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति को नहीं होती है। इस बीमारी के सामान्य लक्षण बुखार, सिरदर्द और उल्टी है। यह संक्रमण नेग्लेरिया फाउलेरी की वजह से होता है। इसे आम बोलचाल की भाषा में ‘दिमाण खाने वाला अमीबा’ के नाम से जाना जाता है। इस साल केरल में अब तक 67 से अधिक मामले सामने आ चुके है। जिसमें 19 लोगों की जान जा चुकी है।
केरल के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक जुलाई माह में ‘मस्तिष्क ज्वर’ के मामलों में बढ़ोत्तरी के मद्देनजर कुओं और तालाबों के क्लोरीनीकरण के साथ ही सफाई अभियान चलाया जा रहा है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज के मुताबिक केरल गंभीर जनस्वास्थ्य चुनौती से जूझ रहा है। कोझिकोड और मलप्पुरम के बाद अब पूरे राज्य से इस बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं।
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