...लेकिन सच यही है! देश में सिर्फ 1,707 बूचड़खाने वैध और अवैध 30,000 से ज्यादा

Rishi
Published on: 16 April 2017 9:44 PM IST
...लेकिन सच यही है! देश में सिर्फ 1,707 बूचड़खाने वैध और अवैध 30,000 से ज्यादा
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इंदौर: इस समय यदि देश भर में किसी बात की चर्चा हो रही है, तो वो हैं तीन तलाक और अवैध बूचड़खानों के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारों की मुहिम की। पिछले लगभग 2 महीनों से ये दोनों मुद्दे सभी पर हावी हैं। वहीं, आरटीआई के ज़रिए सामने आया है, हैरतअंगेज सच जिसके मुताबिक देश में सिर्फ 1,707 बूचड़खाने वैध हैं।

यानी के खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं। जबकि तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर काबिज हैं। वहीँ नार्थ ईस्ट के अरणाचल प्रदेश और केंद्रशासित चंडीगढ़ सहित 8 प्रदेशों में तो एक भी बूचड़खाना लाइसेंसी नहीं है।

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आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बूचड़खानों को लेकर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) कुछ सूचनाएं मांगी थीं। जिसके बाद उन्हें जवाब भी मिला, आंकड़े देखने के बाद उन्होंने कहा आरटीआई के तहत मुहैया कराये गये इन आंकड़ों की रोशनी में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, कि देश में कितनी बड़ी तादाद में अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं।

जो आकड़ें मिले हैं, उसके मुताबिक मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा व नगर हवेली, दमन व दीव सहित त्रिपुरा में एक भी बूचड़खाना वैध नहीं है। एफएसएसएआई के मुताबिक तमिलनाडु में 425, मध्यप्रदेश में 262 और महाराष्ट्र में 249 बूचड़खाने पंजीकृत हैं।

वहीँ यूपी में सिर्फ 58 बूचड़खाने पंजीकृत हैं जम्मू-कश्मीर 23, झारखंड 11, कर्नाटक 30, केरल 50, लक्षद्वीप 65, मणिपुर 4 आंध्रप्रदेश 1, अंडमान और निकोबार 9, असम 51, बिहार 5, छत्तीसगढ़ 111, दिल्ली 14, गोवा 4, गुजरात 4, हरियाणा 18, हिमाचल प्रदेश 82 और मेघालय में 1 पंजीकृत है।

वहीँ ओडिशा 5, पुडुचेरी 2 , पंजाब 112, राजस्थान 84, उत्तराखंड 22 और पश्चिम बंगाल में 5 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के अंतर्गत पंजीकृत हैं। जबकि देश के 162 बूचड़खाने प्रदेश में पंजीकृत हैं, वहीँ 117 केंद्र में पंजीकृत हैं। जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली पेटा इंडिया के मुताबिक देश में 30,000 से ज्यादा अवैध बूचड़खाने हैं।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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