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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी नहीं रखती प्रोफेसर की रिसर्च एक्टिविटी का RECORD
लखनऊ: इलाहाबाद विश्वविद्यालय का इकोनॉमिक्स विभाग अपने प्रोफेसर की रिसर्च एक्टिविटी का कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है। जी हां यह सच है। आरटीआई के तहत मिली जानकारी में इसका खुलासा हुआ है।
रिकॉर्ड नहीं रखती यूनिवर्सिटी
-एक आरटीआई के जवाब में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कहा कि आमतौर पर 5-6 साल पुराने रिसर्च के रिकार्ड नहीं रखे जाते हैं।
-यह जवाब यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स विभाग के एचओडी मनमोहन कृष्णा ने दी है।
-आरटीआई में बनारस विवि के वाइस चांसलर जीसी त्रिपाठी की रिसर्च एक्टिविटी की जानकारी मांगी गई थी।
-ऐक्टिविस्ट ने पूछा था कि प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी ने अलग अलग एकेडमिक सेशन में क्या विषय पढ़ाए।
-प्रो जीसी त्रिपाठी के कितने रिसर्च पेपर पब्लिश हुए।
-कितने छात्रों ने प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी के साथ डी फिल पूरा किया।
यूनिवर्सिटी नहीं रखती प्रोफेसर की ऐक्टिविटीज का रिकॉर्ड
डिपार्टमेंट के जवाब
-डिपार्टमेंट ने जवाब दिया कि प्रोेफेसर त्रिपाठी ने बीए पार्ट1 को माइक्रो इकोनॉमिक्स पढ़ाया।
-बीए पार्ट2 को मैक्रो इकोनॉमिक्स पढ़ाया।
-बीए पार्ट3 को उन्होंने हिस्ट्री आफ इकोनॉमिक्स थाट्स विषय की पढ़ाई कराई।
-एमए पार्ट1 और फाइनल ईयर के छात्रों को उन्होंने इकोनॉमिक्स आफ इंडस्ट्री पढाई।
-इसके पहले उन्होंने अन्य पेपर पढ़ाए।
-लेकिन विभागीय स्तर पर इसकी विस्तार में जानकारी प्राप्त करना आसान नहीं है।
विभाग को नहीं मालूम
-फैकल्टी मेम्बर्स ने कितने पेपर पब्लिश कराए, विभाग को इसकी जानकारी नहीं है।
-आरटीआई के जवाब में कहा गया कि डिपार्टमेंट इस तरह की कोई इनफॉर्मेशन मेंटेन नहीं करता।
-डिपार्टमेंट ऐसे रिकॉर्ड भी नहीं रखता कि किस रिसर्च स्कालर ने निजी तौर पर किसी फैकल्टी मेम्बर के साथ डी फिल पूरा किया।
-विभाग सिर्फ उन्हीं रिसर्च स्कॉलर्स का ब्यौरा रखता है, जो डॉक्टोरल रिसर्च के लिए मौजूदा समय में फैकल्टी मेम्बर के साथ सुपरविजन के लिए रजिस्टर हैं।
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