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Asian Games 2018 : महिला टीम ने स्वर्ण व ओलम्पिक का टिकट गंवाया
जकार्ता : भारतीय महिला हॉकी टीम को यहां 18वें एशियाई खेलों के फाइनल में शुक्रवार को जापान के हाथों 1-2 से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। जापान के लिए शिहोरी ओइकावा ने 11वें, मोतोमी कावामुरा ने 44वें मिनट में गोल किए। वहीं भारतीय टीम के लिए नेहाल गोयल ने 25वें मिनट में एकमात्र गोल किया।
इस हार के साथ ही भारतीय महिला टीम एशियाई खेलों में 36 साल बाद दूसरा स्वर्ण पदक जीतने से चूक गईं। भारत ने 1982 में नई दिल्ली में हुए नौवें एशियाई खेलों में पहली बार स्वर्ण पदक जीता था।
स्वर्ण से चूकने के कारण भारतीय महिला टीम को टोक्यो ओलम्पिक-2020 का टिकट भी गंवाना पड़ा। टोक्यो ओलम्पिक खेलने के लिए भारतीय टीम को अब क्वालिफाईंग मैच खेलने होंगे।
अमित फाइनल में, विकास का स्वर्णिम सपना चोटिल
भारत के लिए यहां जारी 18वें एशियाई खेलों के 13वें दिन शुक्रवार को मुक्केबाजी में एक अच्छी खबर आई और एक बुरी खबर। पुरुषों के 49 किलोग्राम भारवर्ग में अमित पंघल फाइनल में जगह बनाने में सफल रहे, लेकिन 75 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे विकास कृष्ण चोट के कारण सेमीफाइनल मुकाबले में नहीं उतर सके। विकास ने 2010 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और 2014 में कांस्य पदक जीता था। वह अगर इस बार स्वर्ण जीतते तो एशियाई खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले मुक्केबाज बन जाते।
अमित ने हालांकि विकास के हिस्से से आई निराशा की भरपाई करते हुए स्वर्ण पदक की उम्मीदों को जिंदा रखा है।
राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाले अमित ने सेमीफाइनल में फिलीपींस के पालम कार्लो को 3-2 से मात देकर फाइनल में जगह पक्की की। फाइनल में उनका सामना उज्बेकिस्तान के हसनबॉय दुसामातोव से होगा।
अमित के लिए यह जीत आसान नहीं रही। उन्हें शुरू से काफी कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा। इस मुकाबले में अमित का डिफेंस काम आया जिसके दम पर वह ज्यादा अंक बटोरने में सफल रहे।
कार्लो पहले सेकेंड से ही बेहद आक्रामक थे और अमित पर मुक्के बरसा रहे थे। शुरुआत में अमित कमजोर पड़े, लेकिन वक्त रहते उन्होंने अपने गार्ड को संभाला और बेहतरीन रक्षात्मक खेल दिखाया। इस बीच वह कुछ अच्छे जैब मारने में भी सफल रहे।
दूसरे राउंड में अमित ने अपने डिफेंस को और मजबूत किया। साथ ही कार्लो को चकमा देने की नीति अपनाई जो कारगर साबित हुई। इस नीति ने अमित को आक्रामक खेलने का मौका भी दिया जिससे वह सटीक पंच मारने में कामयाब रहे।
तीसरे राउंड की शुरुआत अमित ने धैर्य के साथ की और कार्लो को गलती पर बाध्य किया। हालांकि कार्लो अमित पर कुछ पंच मारने में सफल रहे लेकिन अमित ने तुरंत आक्रामकता का जवाब आक्रामकता से दिया।
मुकाबला इतना कड़ा था कि पांच रेफरियों में से तीन ने अमित के पक्ष में फैसला किया तो वहीं दो ने कार्लो के।
उधर, विकास के सेमीफाइनल से बाहर होने की पुष्टि टीम के मैनजेर के अलावा भारतीय मुक्केबाजी संघ (बीएफआई) ने भी की।
विकास को शुक्रवार को कजाकिस्तान के अबिलखान अमानकुल के खिलाफ सेमीफाइनल मैच खेलना था, लेकिन बाईं आंख की पलक में चोट लगने के कारण वह इस मैच को नहीं खेल पाए और ऐसे में उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।
मुक्केबाजी टीम के मैनेजर निरवान मुखर्जी ने आईएएनएस से कहा था, "बाईं आंख की पलक में लगी चोट के कारण उनकी आंख में सूजन आ गई और इस कारण चिकित्सकों ने उन्हें अस्वस्थ घोषित कर दिया है। ऐसे में विकास अपना सेमीफाइनल मैच नहीं खेल पाएंगे।"
विकास को 29 अगस्त को क्वार्टर फाइनल में चीन के तोहेता तांग्लातियान के खिलाफ खेले गए मैच के दौरान आंख में चोट लगी थी। इस मैच को उन्होंने 3-2 से जीतकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने ट्वीट किया, "भारत के मुक्केबाज विकास को दुर्भाग्य से चोटिल होने के कारण सेमीफाइनल के मुकाबले से बाहर होना पड़ा है, क्योंकि उन्हें अस्वस्थ घोषित कर दिया गया है। उनके हिस्से में 75 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक आया।"
भारतीय महिला टीम ने स्वर्ण व ओलम्पिक का टिकट गंवाया
भारतीय महिला हॉकी टीम को यहां 18वें एशियाई खेलों के फाइनल में शुक्रवार को जापान के हाथों 1-2 से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। जापान के लिए शिहोरी ओइकावा ने 11वें और मोतोमी कावामुरा ने 44वें मिनट में गोल किए। वहीं भारतीय टीम के लिए नेहाल गोयल ने 25वें मिनट में एकमात्र गोल किया।
इस हार के साथ ही भारतीय महिला टीम एशियाई खेलों में 36 साल बाद दूसरा स्वर्ण पदक जीतने से चूक गईं। भारत ने 1982 में नई दिल्ली में हुए नौवें एशियाई खेलों में पहली बार स्वर्ण पदक जीता था।
स्वर्ण से चूकने के कारण भारतीय महिला टीम को टोक्यो ओलम्पिक-2020 का टिकट भी गंवाना पड़ा। टोक्यो ओलम्पिक खेलने के लिए भारतीय टीम को अब क्वालिफाइंग मैच खेलने होंगे।
भारत को मुकाबले के 10वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर मिला जिसपर उसके खिलाड़ी गोल करने से चूक गए। वहीं जापान ने 11वें मिनट में मिले पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर मैच में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली।
पहले क्वार्टर में 0-1 से पिछड़ने के बाद भारतीय महिलाओं ने दूसरे क्वार्टर में अच्छी वापसी की और गेंद को अपने नियंत्रण में रखा।
भारतीय टीम को इसका फायदा उस समय मिला जब नेहा ने 25वें मिनट में नवनीत के रिवर्स शॉट पर गेंद को नेट के अंदर डिफ्लेक्शन कर भारत को 1-1 की अहम बराबरी दिला दी।
हाफ टाइम के बाद मैच 1-1 से बराबरी रहने के बाद भारतीय टीम तीसरे क्वार्टर में एक अलग रणनीति के साथ उतरी।
मैच के 35वें मिनट में नवजोत और वंदना ने अच्छा मूव बनाने की कोशिश की, लेकिन वंदना नवजोत के पास को ट्रैप नहीं कर पाई और जापान के गोलकीपर ने अच्छा बचाव कर लिया।
जापान को 44 मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर मिला जिस पर मोतोमी कावामुरा ने गोल कर अपनी टीम को 2-1 की महत्वपूर्ण बढ़त दिला दी।
मैच में 1-2 से पिछड़ने के बाद भारतीय टीम के लिए चौथा क्वार्टर करो या मरो वाला हो गया क्योंकि मैच में बने रहने के लिए टीम को हर हाल में बराबरी हासिल करनी थी।
हालांकि भारतीय टीम के पास चौथे क्वार्टर के आखिरी मिनट में गोल करने का शानदार मौका था।
लेकिन वंदना यह मौका चूक गई और भारतीय टीम बराबरी हासिल नहीं कर पाई तथा और उसे 1-2 से हार के कारण स्वर्ण के साथ-साथ टोक्यो ओलम्पिक-2020 का टिकट भी गंवाना पड़ा।
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