TRENDING TAGS :
रिएलिटी चेक: योगी जी देखें, यहां गंभीर मरीजों का भी इलाज जमीन पर हो रहा
आखिर स्वास्थ विभाग के लिए आया बजट जाता कहां है? हम बात कर रहे हैं यूपी के शाहजहांपुर के शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संयुक्त जिला चिक%
आसिफ अली
शाहजहांपुर : आखिर स्वास्थ विभाग के लिए आया बजट जाता कहां है? हम बात कर रहे हैं यूपी के शाहजहांपुर के शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संयुक्त जिला चिकित्सालय की। इस अस्पताल का नाम एक बङे शहीद के नाम पर रखा गया है। लेकिन यहां पर गरीबों की व्यवस्था देखकर आप यही कहेंगे कि नाम बड़े दर्शन छोटे।
दरअसल, इस अस्पताल का नाम प्रदेश के चुनिंदा अस्पतालों में से एक है जो अच्छी स्वास्थ सेवाएं देने के लिए जाना जाता है। लेकिन newstrack.com आपको अस्पताल की ऐसी अवस्थाओं से भरी तस्वीरें दिखाएगा जिसे देखकर आप यही कहेंगे कि आखिर चुनिंदा अस्पतालों में इस अस्पताल का नाम क्यों आता है। यहां तो गंभीर मरीजों का इलाज जमीन पर लिटाकर किया जाता है। एक-एक स्ट्रेचर पर दो-दो मरीजों को देखा जा सकता है।
यहां तक कि एक पत्थर की बनी स्लिप पर कई मरीज आपको आसानी से लेटे दिख जाएंगे। ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्या इस अस्पताल के लिए बजट नहीं आता है, या फिर अगर आता है तो जाता कहां है?
आगे की स्लाइड्स में पढ़ें पूरी खबर...
जस के तस है हालात
आप आगे की स्लाइड्स में लगे फोटो में देख सकते हैं किस तरह जमीन पर मरीज लेटे हैं। एक स्ट्रेचर पर दो-दो मरीज लेटे हैं। साथ ही आप देख सकते हैं कि एक छोटे से पत्थर के स्लिप पर चार मरीज लेटे हैं। शाहजहांपुर के जिला अस्पताल की हालत देखकर आप कह सकते हैं कि योगी सरकार आने के बाद भी हालात जस के तस बने हैं।
कई घंटों तक जमीन पर लेटे रहे मरीज
खास बात ये भी है कि जमीन पर लेटे मरीज ऐसे भी है जो सात घंटे से जमीन पर पड़े है लेकिन इन्हें देखने वाला कोई नही है। हम आपको ऐसे ही कुछ मरीजो के बारे मे बताएंगे जिनको कई घंटो तक नहीं देखा गया और वह जमीन पर लेटे रहे हैं। थाना कांट क्षेत्र के रहने वाले 64 साल के राम प्रेम निवासी ग्राम पिपरिया को काफी तेज बुखार था। जो दोपहर में 2 बजे जिला अस्पताल दवा लेने आए। लेकिन डॉक्टर साहब के पास इतना टाइम नही था कि बुखार की दवा इस मरीज को देकर घर भेज देते। ये मरीज ऐसे ही सात घंटे से जमीन पर पड़ा रहा।
आगे की स्लाइड्स में जानें क्या हाल है जिला अस्पताल का...
गंभीर हालत में भी दो घंटे बाद देखा
इसके अलावा ट्रामा सेंटर की गेलरी मे लेटे मरीजों को देख सकते है। इनमे एक घायल मरीज भी लेटा है जो मारपीट का बचाव करने के चलते घायल हो गया था। हरी टी शर्ट मे लेटा कुरेंदर पाल थाना सिंधौली के ग्राम नौगवां निवासी है। गांव में किसी दो लोगों के बीच विवाद होने के बाद मारपीट हो गई थी जिसका बीच बचाव करने कुरेंदर चला गया था। तभी उसको सिर मे चोट आ गई। उसके बाद ये जिला अस्पताल आया हालत गंभीर थी। सिर से काफी खून बहे चुका था। लेकिन उसके बावजूद इसको डॉक्टरों ने दो घंटे बाद देखा। खास बात ये है इतना खून बहे जाने के बाद भी इसकी ड्रेसिंग करने मे आधा घंटे का समय लगा दिया।
जमीन पर पड़े खून से अंदाजा लगा सकते है कि कितनी गंभीर चोटें आई है। इस गंभीर मरीज को स्ट्रेचर से लेकर जिला अस्पताल के अंदर बेड तक नसीब नही हुआ। ऐसी हालत मे ये जमीन पर पड़ा रहा।
बहुत बुरी हालत में मरीज
आप लाल साड़ी मे जमीन पर लेटी इस महिला को देख रहे हैं ये रौजा थाना क्षेत्र की रहने वाली 40 साल की सुनीता है। इस महिला के साथ इस बूढ़ी मां आई है उनका कहना है कि उसकी बेटी को दौरे पड़ते है। वह इतनी दूर से जिला अस्पताल आई है क्योंकि उसके पास इतने पैसे नहीं है कि वह प्राईवेट नर्सिंग होम मे अच्छा इलाज करा सके। लेकिन जिला अस्पताल आने के बाद भी वह तीन घंटे से जमीन पर पड़ी है और उसकी बेटी को अभी भी दौरे पड़ रहे हैं। डॉक्टर आते जाते है नजर भी पड़ती है बेटी पर लेकिन दवा नहीं देते है। ये हाल है शाहजहाँपुर के जिला अस्पताल का।
आगे की स्लाइड्स में जानें आखिर कौन है जिम्मेदार...
कौन है जिम्मेदार?
अब बात करते है कि आखिर इन मरीजों को जिला अस्पताल की जमीन पर लिटाकर इलाज करने का जिम्मेदार कौन है। दरअसल, जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर पर तैनात सभी डॉक्टर मरीज ज्यादा आने पर रोना रोते है कि सीएचसी पर डॉक्टर मरीजों को देखने के बजाए फौरन जिला अस्पताल के लिए रेफर कर देते है। हालांकि, जिला अस्पताल का कोई भी डॉक्टर ये बात कैमरे पर बोलने को राजी नहीं है, लेकिन रोज पत्रकारों से डॉक्टर यही रोना रोते है। दबी जुबान में बताते है कि सीएचसी पर तैनात डॉक्टर रात मे सीएचसी पर ताला डालकर घर चले जाते है। जबकि 24 घंटे डॉक्टर की ड्यूटी सीएचसी पर रहती है। लेकिन डॉक्टर रात मे मिलते नही है और अगर मिल भी जाते है तो बुखार खांसी तक के मरीज जिला अस्पताल रेफर कर देते है। जिससे यहां पर जगह कम पड़ जाती है। हालत ये हो जाती है कि मरीजों को जमीनों पर लिटाना पड़ रहा है।
सिर्फ 22 डॉक्टर तैनात
आपको बताते है कि शाहजहांपुर का शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संयुक्त जिला चिकित्सालय मे 300 बेड है। ये अस्पताल प्रदेश के चुनिंदा सबसे अच्छे अस्पतालों मे गिना जाता है। इस अस्पताल मे 45 डॉक्टर होने चाहिए। जबकि मौजूदा समय मे मात्र 22 डॉक्टर तैनात है, जो 300 बेड पर भर्ती मरीजों से लेकर ट्रामा सेंटर मे आने वाले एक्सीडेंट मारपीट में घायल मरीज के आलावा बीमारियों से ग्रसित मरीजों को देखते है।
कोई सुधार नहीं
उत्तरप्रदेश मे करीब चार महीने बीत चुके है बीजेपी सरकार बनने से स्वास्थ्य विभाग में गरीबो के लिए व्यवस्थाएं पहले जैसी ही है। जिसमे बिल्कुल भी सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में भारी भरकम स्वास्थ्य विभाग के लिए बजट आता है तो वो इस अस्पताल में पहुंचता नही या फिर अगर पहुंचता भी है तो अधिकारियों के जेबों तक ही सीमित रह जाता है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!