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बौद्ध धर्म अपनाने के बाद काशी आए थे अंबेडकर, BHU में दिया था ये भाषण
14 अप्रैल को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्मदिवस है। इस मौके पर NEWZTRACK.COM इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें आपको बताने जा रहा है।
वाराणसी: डॉ. भीमराव अंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया था। उन्होंने नागपुर के शिवाजी पार्क में करीब 5 लाख लोगों के साथ एक बौद्ध भिक्षु से पारंपरिक तरीके से तीन रत्न ग्रहण कर पंचशील अपनाया था।
बहुत कम लोग जानते होंगे कि इसके बाद पहली बार लुंबनी से बोधगया होते हुए वे 23 नवंबर को काशी पहुंचे थे। यहां उन्होंने सारनाथ में बौद्ध मंदिर में भी दर्शन किया था।
काशी में हुआ था भव्य स्वागत
इस दौरान जब डॉ. भीमराव अंबेडकर वाराणसी के कैंट स्टेशन पर रात के एक बजे पहुंचे तो वहां बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के छात्रों के साथ बौद्ध अनुयायियों ने उनका भव्य स्वागत किया था।
बौद्ध धर्म के बारे में ये कहा था बाबा साहब ने
-इसके बाद वे सारनाथ के बौद्ध मंदिर पहुंचे। फिर 24 नवंबर को वे बीएचयू गए।
-24 नवंबर को बाबा साहब ने सारनाथ में आयोजित सभा में कहा था कि बौद्ध धर्म के लोग हर रविवार को बौद्ध विहार जाएं और वहां उपदेश सुनें।
-बौद्ध धर्म केवल अछूतों के लिए ही नहीं, बल्कि मानव समाज के लिए कल्याणकारी धर्म है।
बीएचयू में भी दिया था भाषण
-बीएचयू के छात्रसंघ ने बाबा साहब के स्वागत के लिए आर्ट्स कॉलेज के मैदान में समारोह का आयोजन किया था।
-अपने संबोधन में बाबा साहब ने कहा था, कि इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्या हमारे धर्मशास्त्रों में वर्णित जीवन-पद्धति हमारे संविधान से मेल खाती हैं या नहीं ?
विद्यापीठ के छात्र संघ का किया था उद्घाटन
-24 नवंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर ने काशी विद्यापीठ के छात्रसंघ का उद्घाटन किया था।
-इस दौरान उन्होंने कहा था कि बौद्ध धर्म की शुरुआत ठोस आधार पर हुई है।
-ये मानव धर्म है और मानव कल्याण के लिए इससे बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं है।
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