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माया ने कहा- समाजवादियों की लिस्ट से मुलायम को निकाल देते लोहिया
लखनऊ. चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकीं बसपा सुप्रीमो मायावती का आज 60वां बर्थडे है। इस मौके पर मायावती ने सपा और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। पार्टी कार्यालय में केक काटने के बाद मायावती ने कहा, ''अपने जन्मदिन पर मुलायम सिंह यादव जनता के पैसों की बर्बादी करते हैं। यह लोहिया की विचारधारा के खिलाफ है। यदि आज लोहिया जीवित होते तो मुलायम सिंह यादव को समाजवादियों की लिस्ट से बाहर निकाल देते।''
केंद्र पर साधा निशाना
-मायावती ने कहा-केंद्र सरकार महापुरुषों के नाम का गलत इस्तेमाल कर रही है।
-संविधान के जनक डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती पर सरकार को गरीबों के लिए कल्याणकारी योजना बनानी चाहिए थी।
-बीजेपी केवल बाबा साहब की राजनीतिक विचार को वोट बैंक लिए इस्तेमाल करती है।
पार्टी ऑफिस में काटा केक
-बीएसपी सुप्रीमो ने केक पार्टी कार्यालय में काटते हुए कहा-हम काशीराम के विचारों पर चलते है।
-पार्टी कार्यकर्ता मेरा जन्मदिन जनकल्याणकारी दिवस के रुप में मनाते हैं।
अपनी किताब का किया विमोचन
बर्थडे पर मायावती ने खुद की लिखी गई किताब 'मेरे संघर्षमय जीवन और बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा' का विमोचन किया। यह किताब हिंदी और इंग्लिश में है। इसके साथ ही पार्टी का मिशनरी कैलेंडर और ब्लू बुक भी लांच किया गया।
वर्कर मना रहे जन क्लयाणकारी दिवस
बसपाइयों ने बहनजी का जन्मदिन धूमधाम से मनाने की पूरी तैयारी की। उनके जन्मदिन को जन कल्याणाकारी दिवस के तौर पर मना रहे हैं। मायावती की भाषण को यूपी के सभी 75 जिलों के पार्टी कार्यालयों में लाइव दिखाया गया। मायावती ने वर्कर्स से 2017 चुनाव की तैयारी में जुटने को कहा।
ऐसे आई राजनीति में
-बसपा सुप्रीमो मायावती कभी आईएएस बनने का ही सपना देखती थीं।
-उन्होंने कुछ साल तक टीचर की भी नौकरी की है।
-साल 1977 उनके जीवन में बड़ा मोड़ लेकर आया जब उनकी मुलाकात स्वर्गीय कांशीराम से हुई।
-सितंबर 1977 में जनता पार्टी द्वारा 'जाति तोड़ो' नामक एक तीन दिवसीय सम्मलेन आयोजित किया गया।
-इसमें उन्हें भी अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया। सम्मलेन का संचालन केंद्रीय मंत्री राजनारायण खुद कर रहे थे।
-उन्होंने कई बार हरिजन शब्द का इस्तेमाल किया।
-जब मायावती मंच पर आईं तो सबसे पहले उन्होंने हरिजन शब्द पर आपत्ति जताई और कहा कि एक ओर तो आप जाति तोड़ने की बात कर रहे हैं और दूसरी ओर इस शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या इससे देश में जातिवाद को बढ़ावा नहीं मिलेगा?
-उनके भाषण की काफी तारीफ हुई थी।
-यहीं से उनके जीवन को एक नई दिशा मिली और वो राजनीति में उतर गईं।
-वक्त के साथ उन्होंने इसके सारे दांव-पेंच सीख लिए और देखते ही देखते उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गईं।
मायावती से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें
* आम जनता के बीच वह मायावती के नाम से मशहूर हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं उनका पूरा नाम मायावती नैना कुमारी है। उनका जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली के सरकारी अस्पताल हुआ था।
* उनके पिता दिल्ली में सरकारी कर्मचारी थे। वो दूरसंचार विभाग में क्लर्क के पद पर तैनात थे। वहीं, मायावती की मां रामरती पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं। वो दिल्ली में एक दूध की डेयरी चलाती थीं।
* मायावती के पिता ने ही उन्हें पहली बार बाबा साहब डॉ. अंबेडकर पर लिखीं कुछ किताबें लाकर दी थीं। उन्होंने अपनी आत्मकथा में जिक्र किया है,'तब मैं आठवीं में पढ़ती थी। एक दिन पिताजी से पूछा कि अगर मैं भी डॉ. अंबेडकर जैसे काम करूं तो क्या वे मेरी भी पुण्यतिथि बाबा साहब की तरह ही मनाएंगे?'
* मायावती ने चुनावों में नारों का बखूबी इस्तेमाल किया। सबसे पहले बसपा का नारा 'तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार' था। इस नारे ने दलितों के दिल में उनके लिए एक अलग जगह बना दी।
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