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गैंगरेप मामला: पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की जमानत अर्जी फिर खारिज
लखनऊ: पाॅक्सो के स्पेशल जज उमाशंकर शर्मा ने गैंगरेप व जानमाल की धमकी के एक मामले में जेेल में बंद गायत्री प्रसाद प्रजापति की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, कि इस मामले में अन्य मुल्जिमों की जमानत अर्जी पहले ही खारिज हो चुकी है। जबकि यह मुल्जिम इस मामले का मुख्य आरोपी है और राजनैतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति भी है। जमानत पर छूटने के बाद यह गवाहों पर अनुचित दबाव बना सकता है, जिससे उनके जीवन को खतरा पैदा कर सकता है। लिहाजा उसे जमानत पर छोड़े जाने का आधार नहीं है।
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विशेष अदालत में अभियोजन की ओर से गायत्री प्रजापति की जमानत अर्जी का जोरदार विरोध किया गया था। सरकारी वकील एमके सिंह का कहना था, कि मुल्जिम प्रदेश सरकार में एक प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री था। यदि इसे जमानत पर छोड़ा गया, तो गवाहों को प्रभावित कर सकता है। पीड़िता व उसकी पुत्री की हत्या भी करा सकता है। विशेष रूप से उन परिस्थितियों में, जबकि इस मामले की विवेचना पूरी हो चुकी है। गायत्री समेत अन्य सभी मुल्जिमों के खिलाफ आरोप भी तय हो चुका है और मामला गवाही के स्तर पर लंबित है। तीन अक्टूबर को इस मामले में अभियोजन को अपना गवाह भी पेश करना है।
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आगे की स्लाइड में पढ़ें यह मामला किस तरह आगे बढ़ा ...
इस तरह आगे बढ़ा मामला
दरअसल, बीते 25 अप्रैल को पाॅक्सो के विशेष जज ओमप्रकाश मिश्रा ने इस मामले में गायत्री व दो अन्य मुल्जिमों की जमानत अर्जी मंजूर कर ली थी। लेकिन हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जमानत संबधी उनके आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। साथ ही जमानत पर रिहा हो चुके दोनों मुल्जिम विकास वर्मा व अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू को तत्काल गिरफ्तार करने का भी आदेश दिया था। जिसके बाद इन दोनों आत्मसमर्पण कर दिया था।
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इसके बाद हाईकोर्ट ने जमानत संबधी आदेश को रद्द भी कर दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मुल्जिम विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू व रुपेश्वर उर्फ रुपेश ने विशेष अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की थी। तीन जुलाई को पाॅक्सो की विशेष अदालत ने तीनों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
इसी साल तीन जून को इस मामले में गायत्री समेत सभी मुल्जिमों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ था। 18 जुलाई को पाॅक्सो की विशेष अदालत ने इस मामले में मुल्जिम गायत्री समेत सभी सात मुल्जिम विकास, आशीष, अशोक, अमरेंद्र, चंद्रपाल व रुपेश्वर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 डी, 354 ए(1), 509, 504 व 506 में आरोप तय किया था। साथ ही गायत्री, विकास, आशीष व अशोक के खिलाफ पाॅक्सो एक्ट की धारा 5जी/6 के तहत भी आरोप तय किया था। जबकि इससे पहले मुल्जिम विकास वर्मा की डिस्चार्ज अर्जी व मुल्जिम चंद्रपाल की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी थी। अदालत का कहना था कि विकास समेत सभी मुल्जिमों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए प्रर्याप्त साक्ष्य मौजूद है। 19 सितंबर को विशेष अदालत ने गायत्री की भी डिस्चार्ज अर्जी खारिज कर दी थी।
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यह है मामला
18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह मुल्जिमों के खिलाफ थाना गौतमपल्ली में गैंगरेप, जानमाल की धमकी व पाॅक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश पीड़िता की अर्जी पर दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाते हुए अपनी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरिया दुष्कर्म के प्रयास का इल्जाम लगाया था। विवेचना के दौरान पुलिस ने गायत्री समेत सभी मुल्जिमों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
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