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गाजियाबाद: अब खोड़ा कॉलोनी में 5 मंजिला इमारत गिरी, मलबे में कई लोग दबे
गाजियाबाद: जिले की खोड़ा कॉलोनी में शुक्रवार को एक पांच मंजिला इमारत जमींदोज हो गई है। मलबे में कई लोगों के दबे होने की आशंका है। जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच चुकी है। राहत और बचाव कार्य जारी है।
पहले भी हुआ था हादासा
यह कोई पहला वाकया नहीं है जब कोई इमारत जमींदोज हुई है। इससे पहले भी गाजियाबाद में बीते रविवार ही एक इमारत मसूरी पुलिस थाना क्षेत्र के आकाश नगर में जमींदोज हुई थी। उससे पहले ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में एक इमारत जमींदोज हुई थी।
हजारों जिंदगियां दांव पर
गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा सिस्मिक जोन-4 में आ गया है। आपदा प्रबंधन की मानें तो रिक्टर स्केल पर सात या इससे अधिक तीव्रता का झटका आने पर यहा की इमारतें जमीदोज हो सकती है। इसके अलावा एक वजह सालों से इन इमारतों में निर्माण कार्य रूका रहना भी है। ऐसे में निर्माण सामग्री कमजोर हो जाती है। जाहिर है बिना गुणवत्ता परखे यहां रहने वाले लोगों के लिए यह इमारतें काल का बन सकती है।
नोएडा में सबसे ज्यादा खतरा
मास्टर प्लान 2021 के अनुसार नोएडा की आबादी करीब 21 लाख होनी थी। लेकिन यह आकड़ा आगामी एक साल तक पार हो जाएगा। वहीं, 2031 तक शहर में आबादी 25 लाख का लक्ष्य रखा गया है। इसी के अनुसार शहर में निर्माण कार्य, जल, सीवर की लाइने डाली जा रही हैं। लेकिन आबादी इससे कहीं ज्यादा होगी। यानी शहर की जमीन पर कई गुना भार बढ़ने वाला है। इन लोगों के रहने के लिए नोएडा वेस्ट व सेक्टर-74,75,76,77,78, डीएससी रोड, नोएडा ग्रेटरनोएडा एक्सप्रेस-वे, गांवों के लाल डोरे में इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। जिसमे कई इमारतें अवैध भी है। जिनको चिन्हित करने का काम किया जा रहा है। प्राधिकरण की कार्यप्रणाली की बात करे तो 2०15 से ब तक महज 124 इमारतों को चिन्हित किया जा सका है जिनका निर्माण अवैध तरीके से किया गया है। लेकिन उनका क्या होगा जिनका निर्माण जीरो पीरियड की भेट चढè गया। यहा इमारतो के खोखले भवन खड़े है। बेसमेंट में पानी भरा है। गुणवत्ता की जांच किए बगैर सत्ता दबाव में आकर इनका निर्माण दोबारा से शुरू कर दिया गया। ऐसे में यदि यहा हादसा होता है ते इसका जिम्मेदार कौन होगा। बताते चले कि ग्रेनो वेस्ट व नोएडा में कुल 2 हजार से ज्यादा ऐसी रिहाएशी इमारतों का निर्माण चल रहा है। जिसमे 8० प्रतिशत ऐसी इमारतें है जिनका काम किसी न किसी वजह से रूका हुआ है। अकेले नोएडा प्राधिकरण के आकड़े भी बया कर रहे है। हाल ही में कराए गए अडिट में प्राधिकरण ने बिल्डर परियोजनाओं को श्रेणी में बांटा था। जिसमे महज 32 परियोजनाओं को सी प्लस की श्रेणी में रखा था। यह वह श्रेणी थी जिनका काम चल रहा था। बाकी 16 परियोजनओं के बारे में प्लानिंग की बात कहीं थी। अडिट कंपनी द्वारा इनकी प्लानिंग तैयार की जा रही है। ऐसे में भविष्य में इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद क्या गारंटी होगी यह इमारते भूकंप का एक झटका बर्दाश्त कर पाएंगी।
पहले क्यो नहीं होती जांच
सत्ता परिर्वतन के बाद बिल्डर बायर्स मुद्दा गरमा गया था। जिसके बाद बिल्डरों पर सख्ती बरतते हुए बैठकों का दौर शुरू किया गया। प्रतिदिन नोएडा – ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बैठक की गई। जिसमें सर्वाधिक मांग गुणवत्ता को लेकर ही थी। एक दो बार को छोड़ दिया जाए तो अब तक किसी भी बिल्डर की गुणवत्ता की रिपोर्ट को प्राधिकरण ने सार्वजनिक नहीं किया। यही नहीं बायर्स की मांग रही कि वह निर्माण के दौरान ही गुणवत्ता की जांच क्यो नहीं करते सब कुछ होने के बाद अंत में कंपलीशन देने के समय ही क्यो। ऐसे में यदि गुणवत्ता में कमी निकलती भी है तो साठगाठ के जरिए उसे दूर कर दिया जाता है।
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