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कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति का लाभ अब नहीं मिल सकेगा
इलाहाबाद : यूपी में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति का लाभ अब नहीं मिल सकेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा 18 जनवरी 2014 को जारी शासनादेश रद्द कर अवैधानिक करारा दिया है। अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति डीबी भोसले और यशवंत वर्मा ने कहा, कि संविधान के अनुसूचित जाति आर्डर 1950 में किसी भी प्रकार का संशोधन अनुच्छेद 341 के तहत विधायन के जरिए ही किया जा सकता है।
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18 जनवरी के शासनादेश में प्रदेश सरकार ने कुम्हार जाति को अनुसूचित मानते हुए उनको अनुसूचित जातियों को मिलने वाली सभी सुविधाएँ देने के निर्देश दिए थे। शासनादेश को ये कहते हुए चुनौती दी गयी कि राज्य सरकार किसी भी जाति को अनुसूचित जाति में न तो शामिल कर सकती है और न ही निकाल सकती है। इस लिए सरकार का आदेश वैधानिक नहीं है।
कोर्ट ने सूबे और केंद्र की सरकार से इसका जवाब माँगा। लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। इस मामले में केंद्र का कहना है कि अनुच्छेद 341 और 342 तथा संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 में कुम्हार जाति को शामिल नहीं किया गया। इसमें शिल्पकार तो हैं लेकिन कुम्हार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भी कहा कि राज्य सरकार कोर्ट और किसी भी अधिकरण को किसी जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले में दखल देने का अधिकार नहीं है।
इस मामले में राज्य सरकार सिर्फ संस्तुति कर सकता है। इसके बाद कोर्ट ने 18 जनवरी 2014 के शासनादेश को रद्द कर दिया और कहा कि जारी किए गए सभी जाति प्रमाणपत्र की वैधता पर सूबे और केंद्र सरकार विचार करे।
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