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कैराना उपचुनाव: BJP MLA's के लिए वजूद कायम रखना बड़ी चुनौती
सहारनपुर/लखनऊ: कैराना लोकसभा उपचुनाव के लिए सोमवार (28 मई) को वोट डाले जाएंगे। यह उपचुनाव जहां गठबंधन और बीजेपी दोनों की ही प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इस चुनाव के परिणाम भविष्य की राजनीति की दशा और दिशा दोनों तय करेंगे। इस संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली पांच विधानसभा सीटों में से चार पर बीजेपी के विधायक हैं। यह उपचुनाव उनकी साख के लिए भी बड़ी चुनौती बना है। उधर, विपक्षी गठबंधन में शामिल चारों बड़ी पार्टी को मिला मत भी बरकरार रखना उनके आगे की राह तय करेगा।
कैराना संसदीय उपचुनाव में जिस तरह से बीजेपी अपने स्टार नेताओं, सांसदों, विधायक व क्षेत्रिय नेताओं के साथ क्षेत्र में उतरी, उससे साफ जाहिर होता है, कि बीजेपी इस चुनाव को कितनी गंभीरता से ले रही है। उत्तर प्रदेश सहित उत्तरी भारत के तमाम दलों व राजनीतिज्ञों की निगाह इस चुनाव परिणाम की ओर लगी है। इस उपचुनाव को 2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है।
नहीं दिखा गठबंधन का कोई बड़ा चेहरा
हालांकि, विपक्षी गठबंधन की तरफ से रालोद को छोड़ कांग्रेस, सपा और बसपा के किसी बड़े नेता ने अपनी उपस्थिति नहीं दर्ज करायी। वहीं, बीजेपी की तरफ से सीएम योगी सहित बड़े मंत्रियों का जमावड़ा लगातार वोटरों के दिल पर दस्तक देता रहा। प्रधानमंत्री अप्रत्यक्ष रूप से लोकसभा क्षेत्र के आसपास रहते हुए वोटरों को अपनी शैली में सन्देश देते रहे। वहीं, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को छोड़ गठबंधन में शामिल अन्य पार्टियों का कोई बड़ा नेता न तो आया और न ही कोई बड़ी रैली एक ही मंच से हुई।
आंकड़ों की नजर में 2017 विधानसभा चुनाव
आंकड़ों की नजर से 2017 विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो नकुड विधानसभा क्षेत्र में धर्मसिंह सैनी 94,038 वोट से जीते थे। दूसरे नम्बर पर रहे कांग्रेस-सपा प्रत्याशी इमरान मसूद के कहते में 90,170 वोट गए थे। बसपा के नवीन चैधरी 65,091 वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे थे। रालोद प्रत्याशी को 777 वोट ही प्राप्त हुए थे। बीजेपी के मुकाबले अगर गठबंधन में शामिल दलों के वोटों को जोड़ा जाए तो 1,56,000 वोट बैठता है। गंगोह विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप चौधरी 99,446 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी। यहां दूसरे नम्बर पर कांग्रेस के नोमान मसूद ने 61,418 और सपा के इंद्रसेन ने 47,219 तथा बसपा के महीपाल सिंह माजरा ने 44,717 वोट प्राप्त कर चौथा स्थान हासिल किया था।
एक नजर इधर भी
वहीं, कैराना विधानसभा क्षेत्र में सपा के उम्मीदवार नाहिद हसन को 98,654 वोट मिले थे। सपा ने यहां जीत हासिल की थी। उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को उस वक्त 70,529 वोट पर ही संतोष करना पड़ा था। यहा रालोद उम्मीदवार ने 19,903 वोट हासिल करते हुए तीसरा स्थान पाया था जबकि बसपा को 6,858 वोट ही प्राप्त हुए थे। यहा गठबंधन में शामिल पार्टियो का वोट जोड़ा जाये तो अब 1,25,415 हो जाता है। इसी तरह थानाभवन में सुरेश राणा 90,796, बसपा के राव वारिस 74,088, सपा के सुधीर पंवार 13,393 वोट लेकर अपने-अपने दल की उपस्धित बनाए रखी थी। यहां बीजेपी के मुकाबले विपक्ष का वोट 1,18,691 रहा। शामली विधानसभा में बीजेपी के तेजेन्द्र निरवाल 69,903 वोट लेकर जीते थे। कांग्रेस, रालोद, बसपा ने क्रमशः 40,270, 33,351,17,017 मत प्राप्त किए थे। यहां भी अगर जोड़ें तो आंकड़े गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में जाता दिख रहा है।
आंकड़ों की नजर में गठबंधन मजबूत स्थिति में
इस बार यह उपचुनाव अपने आप में अनोखा होने जा रहा है। यहां बीजेपी व गठबंधन की जीत-हार के साथ-साथ अपने-अपने वजूद को कायम रखना भी एक बड़ी चुनौती है। पांचों विधानसभा में चार में बीजेपी ने जीत का परचम लहराया था, तो सपा एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने में सफल रही थी। इसके अतिरिक्त अब हार के बावजूद विपक्ष कहीं मजबूत स्थित में सामने खड़ा दिख रहा है।
बीजेपी को चारों विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में पूर्व स्थित कायम रखना एक चुनौती है। वहीं, विपक्ष के लिए भी यह काम चुनाव चुनौती भरा नहीं कहा जा सकता। अब नतीजे ही बताएंगे कि यह उपचुनाव का ऊंट किस करवट बैठता है।
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