विलय पर बवाल: CM अखिलेश यादव ने मंत्री बलराम यादव को किया बर्खास्त

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Published on: 21 Jun 2016 8:21 PM IST
विलय पर बवाल: CM अखिलेश यादव ने मंत्री बलराम यादव को किया बर्खास्त
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लखनऊ: यूपी पूर्वांचल के माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय के बाद से पार्टी में घमासान तेज हो गया है। एक बार फिर अब सपा के दो बड़े नेता आमने सामने आ गए है। बताया जा रहा है कि इससे सीएम अखिलेश यादव काफी नाराज थे। इसकी गाज अब माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव पर गिरी है। उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया है।

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मंगलवार दोपहर अपने जौनपुर दौरे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सीएम ने साफ कहा था कि यदि कार्यकर्ता काम करें तो किसी पार्टी के विलय की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद आनन-फानन में दोपहर करीब दो बजे कौमी एकता दल के सपा में विलय की घोषणा कर दी गई।

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क्यों हुए बलराम यादव बर्खास्त

बलराम यादव के बर्खास्त होने के पीछे समाजवादी पार्टी में कौमी एकता दल का विलय माना जा रहा है। बलराम यादव की इस विलय में बड़ी भूमिका मानी जा रही थी। यह विलय अखिलेश यादव को रास नहीं आया। उनका मानना है कि इस तरह के विलय से पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है। इस विलय को लेकर सुबह से ही पसोपेश बनी हुई थी, यही वजह थी इस विलय में देरी हुई पर शिवपाल यादव के संरक्षण में दोपहर में यह विलय हो गया और शिवपाल ने इस अंसारी भाइयों की घरवापसी बताया था। ये बात और है कि इस विलय से मुख्तार को अलग रखा गया है। वैसे इस बात की चर्चा भी साथ ही साथ चल रही है कि बलराम यादव के परिवार के ही किसी को मंत्री बनाया जा सकता है।

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पहले भी अखिलेश ने लिया था अपनी पार्टी से अलग स्टैंड

उत्तर प्रदेश में ठीक 2012 के चुनाव से पहले भी अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी से अलग स्टैंड लिया था। अखिलेश यादव ने डीपी यादव को पार्टी में शामिल करने का विरोध किया था। इस विरोध के बाद डीपी यादव को पार्टी में जगह नहीं मिली थी और अखिलेश समेत सपा को बड़ा फायदा हुआ था। इस घटना के बाद पार्टी के दिग्गज समाजवादी नेता मोहन सिंह के कद में बहुत कमी की गई थी।

पार्टी में दो विचार

शिवपाल यादव ने पार्टी में कौमी एकता दल को शामिल कराया और अखिलेश यादव ने इसका जवाब बलराम यादव की बर्खास्तगी के तौर पर दिया है। ऐसे में यह जंग परिवार को ही दो फाड़ कर रही है। पिछले इसी तरह के मामले में मोहन सिंह के पर कतरे गए थे पर इस बार अखिलेश यादव के सामने शिवपाल है। ऐसे में आगे आगे देखिए होता है क्या इस बात का पार्टी समेत पूरी सियासत को है।

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