TRENDING TAGS :
घर से घाट तक चलता रहा ‘मंथन’, कौन संभालेगा मुन्ना बजरंगी का गैंग ?
वाराणसी : बागपत जेल में विरोधियों की गोली का शिकार हुए माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी का अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर हुआ। मुन्ना बजरंगी के बेटे समीर सिंह ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान डॉन के परिजनों ने एक बार फिर से पूर्व सांसद धनंजय सिंह, प्रदीप सिंह और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच की मांग की। बजरंगी के खात्मे के साथ ही इस बात को लेकर मंथन तेज हो गया है कि आखिर कौन होगा गैंग का लीडर ? जरायम की दुनिया में मुन्ना की विरासत को कौन संभालेगा ? या फिर मुन्ना के साथ ही उसका गैंग भी खत्म हो जाएगा ?
गैंग की पकड़ होने लगी थी कमजोर
अपराध की दुनिया में मुन्ना बजरंगी की तूती यूं ही नहीं बोलती थी। उसके नाम से ही बड़े-बड़े धुरंधरों के पसीने छूटते थे। ढ़ाई दशक के दौरान मुन्ना बजरंगी ने पूर्वांचल में शार्प शूटरों और ‘मैनेजरों’ की एक ऐसी फौज खड़ी कर ली थी, जो उसके एक इशारे पर किसी भी काम को अंजाम देते थे। इस दौरान मुन्ना के कई करीबी विरोधियों की गोली के शिकार हुए लेकिन गैंग कभी कमजोर नहीं पड़ा। चाहे कृपाशंकर हो या अन्नू त्रिपाठी, या फिर बाबू यादव। समय-समय पर मुन्ना अपने गैंग में शॉर्प शूटरों की भर्ती करते रहता था। लेकिन ढ़ाई साल से मुन्ना बजरंगी का गैंग कमजोर पड़ने लगा था। खासतौर से उसके साले पुष्पजीत और मोहम्मद तारीक की हत्या के बाद अपराध की दुनिया में माफिया डॉन की पकड़ ढीली पड़ गई। ऐसे में जबकि मुन्ना बजंरगी भी इस दुनिया को अलविदा कह चुका है, तो गैंग की जिम्मेदारी किसके कंधों पर होगी। इसे लेकर मुन्ना के मैनेजरों में मंथन शुरु हो गया है।
अब किसके नाम पर होगी रंगदारी ?
पिछले पांच सालों से मुन्ना बजरंगी भले ही जेल में हो। उसका गैंग कमजोर पड़ने लगा हो लेकिन वाराणसी की प्रमुख मंडियों में उसके नाम पर रंगदारी वसूलने का काम बदस्तूर जारी थी। सिर्फ बड़े व्यापारी ही नहीं बल्कि कई डॉक्टरों से बजरंगी के नाम पर वसूली होती थी। ऐसे में उसके खात्मे के बाद सवाल उठने लगा है कि अब किसके नाम पर रंगदारी वसूली जाएगी।
अंतिम सफर में डॉन का छोड़ गए करीबी
इसके पहले जौनपुर से मुन्ना बजरंगी की शवयात्रा वाराणसी के लिए निकली। खबरों के मुताबिक गांव से निकलते वक्त शवयात्रा में लगभग 100 से ज्यादे गाड़ियां थीं। लेकिन वाराणसी पहुंचते-पहुंचते इसकी संख्या 15-20 में सिमट गई। कई तो ऐसे थे जो घाट पर भी चेहरा छिपाते दिखे। उन्हें इस बात का डर था कि कहीं पुलिस के रडार पर ना आ जाए। दरअसल घाट पर किसी तरह की अनहोनी से बचने के लिए पुलिस वीडियोग्राफी करा रही थी। साथ ही पुलिस के कई अधिकारियों का भी जमावड़ा था। लिहाजा मुन्ना बजरंगी के करीबियों ने उसके अंतिम संस्कार से दूरी बना ली। इनमें वे लोग भी शामिल थे जिन्होंने मुन्ना बजरंगी की काली कमाई के बूते बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया था। इस बात को लेकर घाट पर कई तरह की चर्चा चलती रही।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!