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इस मुस्लिम महिला के आइडियल हैं श्री राम, रामायण को उर्दू में किया Translate
कानपुर: जहां एक तरफ राम मंदिर मुद्दे को लेकर दो समुदाय आमने सामने हैं। वहीं एक मुस्लिम महिला लेखिका ने रामायण का उर्दू में अनुवाद कर उन लोगों तक रामायण की सीखों को पहुंचाने का काम किया है, जो सिर्फ उर्दू जुबान समझते हैं। ये महिला हैं शहर के प्रेमनगर में रहने वाली डॉ माहे तलत सिद्दीकी। तलत के मुताबिक रामायण का उर्दू अनुवाद करने में उन्हें डेढ़ साल का वक्त लग गयाl महिला राइटर ने यहाँ तक कह दिया कि श्रीराम महापुरुष ,धरती पुरुष और एक ऐसे आइडियल के अवतार के रूप में आये, जिनसे सभी को अपने जीवन में प्रेरणा लेनी चाहिएl राम को किसी ने सही से नहीं समझा। बस उन्हें लड़ाई का एक माध्यम बना लिया। राम और अल्लाह की फाइट यह कोई लड़ाई नहीं हैl
बारीकी से पढ़ी रामायण
डॉ माहे तलत सिद्दकी ने के पति जुबेर अहमद बिजनेस मैन हैं। उनका बेटा सिंगापुर में पढाई कर रहा हैl डॉ माहे तलत ने हिंदी से पीएचडी की है। इनकी माँ डॉ महलका एजाज हलीम मुस्लिम डिग्री कालेज में उर्दू विभाग की एचओडी थीं। इनके पिता एजाज अहमद लेबर ऑफिस में ऑफिसर थेl डॉ माहे तलत को बचपन से ही हिन्दी और उर्दू से गहरा लगाव थाl माँ से प्रेरणा लेकर उन्होंने लेखनी में अपना भविष्य बनायाl
डॉ माहे तलत ने रामायण का उर्दू में रूपांतरण किया। उन्हें उर्दू में अनुवाद करने में डेढ़ साल का वक्त लग गयाl दरअसल डॉ माहे तलत को दो साल पहले शिवाला में रहने वाले बद्री नारायण तिवारी ने रामायण दी थीl माहे तलत ने रामायण का बहुत ही बारीकी से अध्ययन कियाl इसके बाद रामायण का उर्दू अनुवाद करना शुरू कियाl इस काम में उन्होंने अपनी माँ से मदद मांगी ताकि रामायण के दोहे के शब्दों का विशेष ध्यान रखा जा सकेl
रामायण सिखाती है रिश्ते निभाना
डॉ माहे तलत ने बताया कि इस काम के जरिए हम यह मैसेज पहुंचाना चाहते हैं कि आप रामायण उठाइये उसंमे लिखा है कि रिश्ते को कैसे निभाया जाता हैl एक भाई से भाई का रिश्ता ,पिता का बेटे से रिश्ता ,माँ का बेटे से रिश्ता ,नौकर से मालिक का रिश्ता ,पति का पत्नी से रिश्ता बहुत ही अच्छा दर्शाया गया हैl
उन्होंने कहा कि लेखक की कलम में बहुत ताकत होती है, लेखक के मन में कभी भेद-भाव नहीं होता हैl तभी हम सही मुद्दे उठा सकते हैं। हम यह सोंच कर बैठ जाएं कि हम मुस्लिम हैं तो हिन्दुओं के खिलाफ लिखेंगे या हिन्दू हैं तो मुस्लिम के खिलाफ लिखेंगे। ऐसा नहीं है। हम लोग गंगा जमुनी तहजीब से ताल्लुकात रखते हैं। मिट्टी के कण-कण में मुस्लमान और हिन्दू का खून मिला हैl
दंगा नहीं देखता धर्म
डॉ माहे तलत ने कहा कि जब भी दंगा फसाद होता है, तो चीखपुकार मचती है। उस चीख को सुनकर आप यह नही पता कर सकते हैं कि यह हिन्दू की चीख है या फिर मुस्लमान की चीख हैl चीख कभी हिंदी और उर्दू नही होती है। जो वहशी दरिन्दे हैं, उन्हें राजनीति पीछे से पुश-अप करती है कि आप यह काम करो और वह उस काम को अंजाम देते हैं। वह भी बस थोड़े से पैसों के लिएl मैं यह चाहती हूँ कि राम मंदिर मुद्दा जल्द ही सुलझ जायेl
उन्होंने कहा कि जब मैं रामायण लेकर घर आई थी तो मेरे मन में था कि जो लोग इसका विरोध करेंगे मै उनको जवाब दूंगीl लेकिन अभी तक किसी ने विरोध नहीं किया है क्योंकि अब लोग पहले से ज्यादा समझदार हो गए हैंl जब मैंने राम चरित मानस का उर्दू में अनुवाद शुरू किया तो उसमें जो दोहे हैं, उनका मूल उच्चारण न बदले इसके लिए मैंने अपनी माँ डॉ महलका एजाज से मदद लीl दिन रात मेहनत कर मैं इस काम को सफलता पूर्वक कर पायी हूँl मैं किदवई नगर स्थित रामेश्वरम मंदिर में काव्य पाठ भी करती हूँ l
उन्होंने बताया कि मैंने सोंचा है कि मैं अयोध्या जाऊंगी और वहां के साधू संतो से मिलूंगी। मौलाना मौलवी से भी मिलूंगी और सर्च करुँगीl हिंदुस्तान एक गुलदस्ते की तरह है बस इसे तोड़ने का प्रयास न किया जायेl इतना ही चाहती हूं।
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