Exclusive : मजदूरों ने चुकाई NTPC प्रबंधन की अनुभव हीनता की कीमत

रायबरेली के ऊंचाहार में धमाका संयंत्र के अफसरों की लापरवाही से हुआ। सुरक्षा के कई मानकों को बेपरवाही से नजरअंदाज किया गया। न्यूजट्रैक डाट कॉम /अपना

tiwarishalini
Published on: 3 Nov 2017 9:10 PM IST
Exclusive : मजदूरों ने चुकाई NTPC प्रबंधन की अनुभव हीनता की कीमत
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योगेश मिश्र योगेश मिश्र

लखनऊ/रायबरेली: ऊंचाहार के नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन (एनटीपीसी ) सयंत्र में हुआ धमाका आला हुक्मरानों के लापरवाही का सबब है। जिस आदमी के पास सिर्फ 120 मेगावाट के विद्युत् सयंत्र के संचालन का अनुभव हों उसे एनटीपीसी का सीएमडी बना दिया गया। ऊंचाहार के तीन इकाइयों के महाप्रभंधक (जीएम) के पद पर जिन अफसरों को बैठाया गया है उनमे किसी के भी पास में थर्मल पावर सयंत्र में काम करने का अनुभव नहीं हैं। यही वजह है कि एनटीपीसी अफसरों को व्यायलर में क्लिंकर बनना, व्यायलर के तापमान का सात सौ गुना बढ़ जाना और हार्पर ऐश डक्ट का पूरी तरह भर जाना बिलकुल समझ में नहीं आया। यही नहीं अनुभव की कमी के चलते ही आला हुक्ममरानों ने सरकार के फरमान को पूरा करने के लिए निश्चित समय की बंदिश तोड़ने का बीड़ा उठा लिया। यूनिट को बिना बंद किये उसकी सर्विसिंग का काम शुरू करा दिया गया। यह सब एक दो दिन नहीं कई दिन तक चला। तब जाकर व्यायलर ने तीस से अधिक लोगो की जान ले ली।

न्यूजट्रैक डाट काम/अपना भारत की पड़ताल

न्यूज़ट्रैक/ अपना भारत की पड़ताल में जो तथ्य उभर कर सामने आये वह बताते है कि ऊंचे पदों पर अनुभवहीन लोगो की तैनाती से यह पूरा कांड हुआ। किसी भी यूनिट के लगने और बिजली उत्पादन करने (कमीशन होने) का एक तय समय होता है लेकिन सरकार की वाह वाही लूटने के चक्कर में सीएमडी से लेकर जीएम तक सब ने न केवल समय सीमा को ताक पर रखा बल्कि कई नियमों की अनदेखी की।

अब इस हादसे की जांच हो रही है। इसके बाद रिपोर्टों का दौर शुरु होगा। यह भी कोशिश होगी कि क्या दिखाया और क्या छिपाया जाय लेकिन न्यूजट्रैक डाट काम/अपना भारत की पड़ताल में पता चला है कि हादसे से दो दिन पहले तक बाटम ऐश हैंडलिंग यानी राख के मैनेजमेंट में गड़बड़ी चल रही थी। इस हद तक कि आउट डक्ट और बायलर में करीब16 मीटर तक का राख का पहाड़ तक जम गया था। इस स्थिति में संयंत्र के जिम्मेदारों को सयंत्र को बंद कर देना चाहिए था पर उन्होंने इस बात की परवाह किए बिना कि मजदूरों की जिंदगी और संयंत्र को कितना नुकसान होगा यह निर्णय लिया कि यूनिट को बंद किए बिना उसे बायलर चलते हुए ही मजदूरों से साफ करा लिया जाएगा।

इस तरह का खतरनाक निर्णय लेने का बाद फर्नेस मेनहोल डोर यानी कि चिमनी के 10 मीटर पर लगे बांए और दाएं दोनों तरफ के दरवाजों को खोल दिया गया। साथ ही प्रबंधन ने एक और निर्णय लिया कि मजदूरों को क्लिंकर ( गीली राख के गोले और रोड़ों) को ठोंक ठोक कर नीचे हार्पर ऐश ट्रे में गिराना था जिसे बाद में हार्पर बाटम से साफ कर दिया जाता। इस निर्णय को प्रबंधन की अनुभव हीनता कहा जा सकता है।

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अऩुभव हीन प्रबंधन

दरअसल, एनटीपीसी चला रहे तीनों जीएम में से एक को भी थर्मल पावर प्लांट का अनुभव ही नहीं है। इन तीन जीएम में एक हाइड्रोप्रोजेक्ट के अनुभवी हैं| दूसरे गैस हाइड्रो प्रोजेक्ट और तीसरे जीएम को उत्पादन से कोई मतलब ही नहीं वह प्लानिंग एंड सिस्टम के माहिर हैं। वहीं प्लांट के सीएमड़ी गुरदीप सिंह खुद ही अनुभव की श्रेणी में बुहत ज्यादा माहिर नहीं माने जा सकते हैं। भारत की नवरत्न कंपनी एनटीपीसी के 2 महीने पहले ही सीएमडी बनाए गये हैं गुरदीप सिंह। यह दादरी में एक छोटी पोस्ट पर थे जहां से इन्हें सीएमडी के पद पर तैनात कर दिया गया।

विजन की कमी

बायलर चलाकर सफाई करने का अनुभवहीन निर्णय ही इस घटना की मुख्य वजह कही जा सकती है। सफाई के दौरान एक बड़ा सा क्लिंकर यानी राख का एक बड़ा रोड़ा गिर पडा और उसमें आद्रता की वजह से उसके अंदर का जो जल तत्व था वह वाष्प में बदल गया और वहां पर वाष्पीकरण (इवापोरेशन) शुरु हो गया जिससे बहुत बड़ा दबाव बन गया।

इस संयंत्र में एक वाटरवाल या वाटर ट्यूब होती है। इस वाटरट्यूब में डीमिनरलाइज वाटर होता है जो एक बड़ा तापमान बनाता है। घटना में बने बड़े दबाव के कारण वाटरवाल में दरार आ गयी और यह ऐश पैनल में चला गया। जहां पर राख रखी थी वह एकदम फर्नेस के पास ही स्थित है। एनटीपीसी का दावा है कि वाटरवाल या वाटर ट्यूब में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं थी। हालांकि यह जांच का विषय है कि क्या वाटर ट्यूब इसी तरह क्रैक हुई या फिर हादसे से पहले ही क्रैक हो गयी थी। क्योंकि प्लांट की सुरक्षा मानकों के हिसाब से अगर वाटर ट्यूब क्रैक हो गयी तो संयंत्र को तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए।

ऐसा किया गया या नहीं यह भी जांच का विषय है| पर वाटर वाल की दरार के बाद जो दबाव बना उसमें बिना जला कोयला या फिर आधा जला कोयला सेकेंड पास में चला गया और वहां एक धमाका हुआ जिसमें इकोनोमाइजर हार्पर उड़ गया। जो 10 मीटर पर मैनहोल डोर खोला गया था उससे राख बाहर आ गयी और वहां काम कर रहे मजदूर खड़े खड़े राख की चपेट में आ गए। कुछ ने तो वहीं दम तोड़ दिया। उस समय ब्यावलर के पास काम कर रहे कर्मचारी भी इस राख और गैस की चपेट में आ गये। मेसर्स इन्डवेल के कर्मचारी और मजदूर जो पेंटिंग, इन्सूलेशन का काम कर रहे थे कुछ बीटीएस कर्मी जो ट्रिपर फ्लोर पर काम कर रहे थे वह भी इसकी चपेट में आ गये।

इस घटना को लकेर अब जांच का दौर चल रहा है पर संयंत्र के अधिकारी और प्रबंधन ने या तो बिना अनुभव या फिर लापरवाही से काम किया। इस लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा निर्दोष मजदूरों को इतना तो बिना किसी जांच के तय ही माना जाएगा।

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