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गोरखपुर से प्रधानमंत्री एक बार फिर पूर्वांचल में चलाएंगे मोदी मैजिक
Yogesh Mishra
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही हर कदम पर यह दावा करते हों कि उन्होंने अपने घोषणा पत्र के सारे वादे पूरे कर दिए पर इस मामले में केंद्र की बीजेपी सरकार भी किसी तरह उन्नीस नहीं दिख रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के सबसे महत्वपूर्ण जिले गोरखपुर में आने वाली 22 जुलाई को प्रधानमंत्री पूर्वांचल की दो सबसे बड़ी समस्याओं से निजात की नींव रखने वाले हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जुलाई को गोरखपुर आ रहे हैं। हालांकि उनका आधिकारिक कार्यक्रम अभी औपचारिक रुप से घोषित होना बाकी है पर newztrack की जानकारी के मुताबिक वह 22 जुलाई को ही गोरखपुर में करीब 25 साल से बंद पड़े फर्टिलाइजर कारखाने को चालू करने के लिए नींव रखेंगे। वहीं मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित बच्चों को बीमारी से निजात दिलाने और पूर्वांचल की सेहत सुधारने के लिए एम्स की भी नींव रखी जाएगी। इस दौरे में वह महंत अवैद्यनाथ की मूर्ति का भी अनावरण करेंगे।
क्या है गोरखपुर खाद कारखाने की समस्या, कैसे दिलाएंगे मोदी निजात
साल 1990 से बंद गोरखपुर फर्टिलाइजर कारखाना चलाने की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। गोरखपुर के सांसद महंत योगी आदित्यनाथ ने इस फैसले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। इससे न केवल पूर्वी यूपी बल्कि पश्चिमोत्तर बिहार के किसानों को लाभ होगा। साथ ही हजारों नौजवानों को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। खाद कारखाना चलाने में फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। वहीं कारखाना बनाने का काम सरकार ने अपनी नवरत्न कंपनी एनटीपीसी को दिया है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय इसे गैस उपलब्ध कराएगा। कारखाने की लागत छह हजार करोड़ होगी। साढ़े 3 साल में कारखाने से खाद का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह हर साल 13 लाख टन यूरिया का उत्पादन करेगा। गैस की उपलब्धता जगदीशपुर-हल्दिया के बीच वाया गोरखपुर गैस पाइप लाईन से होगी। इस पाइप लाइन की लागत 10 हजार करोड़ होगी।
राजनीति हुई, गंभीर पहल नहीं
इस कारखाने के बंद होने के बाद यूपी के पूर्वांचल मे लगातार राजनीति होती रही है। 25 साल पहले एक हादसे में हुई कारखाना बंदी के बाद से अब तक के सभी प्रधानमंत्री और केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री इसे फिर से चलाने का भरोसा देते रहे हैं, पर 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को छोड़ दें तो इसे लेकर कभी गंभीर पहल नहीं हुई। गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पहले ही जगदीशपुर से हल्दिया के बीच गैस पाइप लाइन बिछाने का सर्वे कर लिया है।
जब यह कारखाना बंद हुआ था तो इसके पास 1400 एकड़ जमीन थी और इसकी वजह से ठेके और स्थाई दोनों तरह के 4500 कर्मचारी बेरोजगार हुए थे। अब नया कारखाना 350 एकड़ में बनाया जाएगा वहीं एसएसबी के क्षेत्रीय कार्यालय को 150 एकड़ जमीन की दरकार है और एम्स के लिए भी 200 एकड़ जमीन चाहिए। यह कारखाना बनने के बाद 2 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाएगा और इसकी दैनिक उत्पादन क्षमता 1500 मीट्रिक टन होगी।
एम्स की क्यों है जरूरत
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को हर लिहाज से एक एम्स जैसे सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा संस्थान की जरूरत है। दरअसल पूर्वांचल एक राज्य का हिस्सा नहीं बल्कि 5 करोड़ की आबादी वाले बहुत बड़े देश जैसा है। विकास की चाहत में पूर्वांचल का बहुत पीछे खड़े़े होकर टुकटुकी लगाकर लगातार देखते रहना इस जरूरत को और जरूरी बना रहा है। पूर्वांचल में आबादी के साथ ही इंसेफलाइटिस भी एम्स को बहुत जरूरी बनाता है।
इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुशीनगर जिले में साल 1978 में इंसेफलाइटिस का पहला मरीज मिला था, तब से लेकर अब तक यह बीमारी 40 हजार से ज्यादा जानें ले चुकी है। जिसमें ज्यादातर बच्चे हैं। फिर भी सरकारों के कानों पर जूं नहीं रेंगती। साल दर साल इस पर राजनीति होती है। कभी कोई युवराज इसके लिए फॉगिंग मशीन का हेलीकाॅॅप्टर भेज देता है तो कभी वैक्सीन के लिए राज्य सरकारें केंद्र के साथ और केंद्र सरकारें राज्य के साथ ब्लेमगेम खेलती हैं। ऐसे में अगर एम्स की स्थापना होती है तो यह माना जा सकता है कि इस बीमारी का स्थाई हल मिल सकेगा। साथ ही गोरखपुर के साथ पूरे पूर्वांचल और नेपाल तक के मरीजों को इससे राहत मिलेगी।
गोरक्षधाम भी जाएंगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरक्षपीठ भी जाएंगे। वहां पर वो महंत अवैद्यनाथ की मूर्ति का अनावरण भी करेंगे। दरअसल यह भावनात्मक मुद्दा होने के साथ ही वोट उपजाऊ मुद्दा भी है। ऐसा कर मोदी पूरे पूर्वांचल में एक संदेश दे सकते हैंं।
क्यों महत्वपूर्ण है गोरखपुर
नरेंद्र मोदी का यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आमतौर पर समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। पर पिछले लोकसभा चुनाव में इस गढ़ को मोदी ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था। पूरे देश में स्लोगन बन चुके नारे “56 इंच का सीना” भी मोदी ने गोरखपुर में ही पहली बार बोला था। ऐसे में अगर मोदी यहां संदेश देने में सफल होते हैं तो वह पूरे पूर्वांचल में एक बार फिर मोदी मैजिक दोहरा सकते हैं। जिसका लोकसभा जैसा फायदा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।
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