TRENDING TAGS :
समाजवादी पार्टी पर ढीली होती अखिलेश की पकड़, परिवार और पार्टी में कई मोर्चे
        योगेश मिश्र
मुलायम सिंह को दरकिनार कर अखिलेश यादव ने भले ही समाजवादी पार्टी पर कब्जा कर लिया हो पर पार्टी पर उनकी पकड़ उतनी मजबूत नहीं दिख रही है। जितनी बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह की थी। अब अकेले शिवपाल ने ही नहीं पार्टी और परिवार के अंदर भी अखिलेश यादव के सामने चुनौतियों बढती जा रही हैं। राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल का कुनबा बढा। कई विधायकों ने भी क्रास वोटिंग की। मुलायम सिंह यादव, बेनी वर्मा और अमर सिंह ऐलानिया रामनाथ कोविंद के साथ थे। उपराष्ट्रपति चुनाव में भी यह तिकड़ी वेंकैया नायडू के पक्ष में मतदान करेगी।
कोविंद के पक्ष में मतदान के लिए मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा और राज्यसभा के अपने सांसदों को फोन करके कहा था। सिर्फ रामगोपाल यादव से उनकी बात ऩहीं हुई थी। बिहार में लालू-नितीश गठबंधन से अलग लड़ने के सपा के फैसले का रिश्ता यादव सिंह केस से जुड़ता है।
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह यादव आज़मगढ़ से चुनाव नहीं लडेंगे वह अपने संसदीय क्षेत्र मैनपुरी से लड़ना चाहते हैं। बंदायूं भी धर्मेंद्र यादव के लिए महफूज नहीं रह गया है। मुलायम सिंह यादव के मैनपुरी से लड़ने के चलते तेजप्रताप को कहीं और जाना पड़ सकता है।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनाव में राजग के साथ खड़े होकर यह बता दिया है कि अखिलेश यादव की राह उन्हें पसंद नहीं है।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!


