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अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ा नोटबंदी का असर, 7 फीसद से ऊपर रही विकास दर
आंकड़ों के अनुसार 2016-17 के चालू वित्त वर्ष में तीसरी तिमाही की विकास दर 7 फीसद रही है। यह भी अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 7 से ज्यादा हो सकता है। नोटबंदी के बाद जारी इन आंकड़ों से देश की विकास गति का अनुमान होता है।
नई दिल्ली: सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पर नोटबंदी का असर नहीं पड़ा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी सीएसओ द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़े यही बोलते हैं। आंकड़ों के अनुसार 2016-17 के चालू वित्त वर्ष में तीसरी तिमाही की विकास दर 7 फीसद रही है। विकास दर को लेकर यह भी अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 7 से ज्यादा हो सकता है।
नोटबंदी का असर नहीं
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की दर 7.1 फीसद रहने का अनुमान था।
पहली तिमाही में अप्रैल से जून के बीच यह 7.2 फीसद दर्ज किया गया था।
वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के बीच यह जीडीपी दर 7.4 फीसद रिकॉर्ड की गई।
वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच 8 नवंबर को नोटबंदी लागू कर दी गई थी।
इसके बाद ही अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं समेत आरबीआई ने भी विकास दर में गिरावट का अनुमान लगाया था।
गिरावट की थी संभावना
नोटबंदी के बाद जारी किये गये इन आंकड़ों से देश की विकास गति का अनुमान होता है।
पिछले साल 8 नवंबर को हुई नोटबंदी को ध्यान में रख कर पहले आरबीआई ने ऐसी संभावना व्यक्त की थी कि विकास दर गिर सकती है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा था कि नोटबंदी के प्रभाव से विकास दर 6.9 फीसद से 6.5 फीसद के बीच रह सकती है।
इस दौरान आईएमएफ ने भी अपने आकलन में विकास दर 6.6 फीसद रहने का अनुमान लगाया था।
सरकार इससे पहले चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का आंकड़ा जारी कर चुकी है।
आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष की तीन तिमाहियों के दौरान 5.64 लाख करोड़ का घाटा रहा।
जबकि, अप्रैल से जनवरी के बीच सरकार का कुल राजस्व 10.09 लाख करोड रुपये दर्ज किया गया।
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