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लोकायुक्त की नियुक्ति पर यूपी सरकार ने किया कोर्ट को गुमराह: SC
लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तर प्रदेश लोकायुक्त की नियुक्ति पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने माना है कि राज्य सरकार ने इस मामले में उसे गुमराह किया है। सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला शुक्रवार तक सुरक्षित रखा है। हालांकि, कोर्ट ने भी कहा है कि अगर जस्टिस वीरेंद्र सिंह का नाम वापस लिया जाता है तो भी सुप्रीम कोर्ट ही नए लोकायुक्त की नियुक्ति करेगा। इसमें चयन समिति की कोई भूमिका नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार पर और क्या कहा?
* कोर्ट ने उत्तर-प्रदेश सरकार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और विपक्ष के नेता से सवाल करते हुए कहा कि 20 महीने में एक नाम पर सहमति क्यों नहीं बन पाई?
* कोर्ट ने नियुक्ति पर याचिका दायर करने वाले सच्चिदानंद गुप्ता से भी कहा कि उनका इस मामले से क्या लेना-देना है?
* इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह पैरवी कर रहे हैं।
ऐसे बने थे वीरेंद्रे सिंह नए लोकायुक्त?
* बीते साल 16 दिसंबर को डेडलाइन खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह यादव को उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त किया था।
* सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने गवर्नर राम नाईक को पत्र लिखकर ऐतराज जताया था।
* चीफ जस्टिस ने कहा था कि जस्टिस वीरेंद्र सिंह के नाम पर वह सहमत नहीं थे। इसके बावजूद उनका नाम उत्तर प्रदेश सरकार ने भेज दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
* बीते मंगलवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कड़ी नारागजी जताई थी।
* जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच को यूपी सरकार की ओर से बताया गया कि उसके वकील कपिल सिब्बल पेश नहीं हो सकते।
* यही वजह है कि मामले की सुनवाई कल नहीं हो पाई थी।
* राज्य सरकार ने शुक्रवार तक का समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने देने से इनकार कर दिया और आज की तारीख तय कर दी।
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