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नेताओं ने साझा की अपनी 'अटल यादें', दिखा भावनाओं का ज्वार-भाटा
नई दिल्ली : पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के आभामंडल को याद करते हुए कहा कि दिवंगत नेता की लोकप्रियता इतनी असीम थी कि जीवन के अंतिम 10 साल सार्वजनिक जिंदगी से पूरी तरह दूर रहने के बावजूद वह लोगों की स्मृतियों में हमेशा बने रहे।
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वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यहां आयोजित एक शोकसभा में मोदी ने कहा, "कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि सावर्जनिक जीवन से दूर होने के बावजूद कोई व्यक्ति लोगों की समृतियों में बना रहता है। लेकिन उनके देहावसान पर उनका सम्मान करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों का जो सैलाब उमड़ा, उससे जाहिर हो गया कि अटल जी अब भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं, जबकि वह 10 सालों तक सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह दूर रहे।"
बतौर पीएम वाजपेयी की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता हासिल करते हुए वाजपेयी ने कश्मीर मसले पर अंतर्राष्ट्रीय सुर बदल दिया। इससे पहले भारत को अपना बचाव करना पड़ता था, लेकिन अब यह आतंकवाद का मसला केंद्र में आ गया है।
वाजपेयी ने दुनिया के देशों के बीच आतंकवाद के पक्षधर और विरोधी के बीच लकीर खीच दी।
लंबे समय तक वाजपेयी के साहचर्य में रहे पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि 65 सालों से अधिक समय की मित्रता के दौरान वाजपेयी और वह अक्सर एकसाथ रहते थे। वे साथ-साथ सिनेमा देखते थे और किताबें पढ़ते थे।
भावुक आडवाणी ने कहा, "मैंने कभी कल्पना नहीं की थी कि मुझे एक दिन ऐसे सम्मेलन को संबोधित करना पड़ेगा, जब अटल जी हमारे बीच नहीं होंगे।"
उन्होंने अपना अनुभव बयां करते हुए कहा कि 2008 में उनकी आत्मकथा के विमोचन पर जब वाजपेयी नहीं आए तो उन्हें कितना बुरा महसूस हुआ था।
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अटल युग में सरकार, विपक्ष करीब थे : आजाद
नरेंद्र मोदी सरकार पर प्रत्यक्ष रूप से तंज कसते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी अजाद ने सोमवार को कहा कि वाजपेयी के युग में सरकार और विपक्ष के बीच आज की तरह दूरी नहीं थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक सभा में आजाद ने याद किया कि किस तरह नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री के रूप में वह अक्सर वाजपेयी से मिला करते थे, जो तत्कालीन विपक्ष के नेता थे और उनके साथ खाना-पीना किया करते थे।
आजाद ने कहा, "1991 व 1996 के बीच संसदीय कार्य मंत्री रहने के दौरान मैं अक्सर अटल जी से मिला करता था, क्योंकि वह तत्कालीन विपक्ष के नेता थे। संसदीय कार्य मंत्री व विपक्ष के नेता के बीच तीन-चार बैठकें आम हैं। चूंकि हमारी अल्पमत की सरकार थी, ऐसे में विपक्ष पर आश्रित रहना स्वाभाविक था।"
आजाद ने कहा, "हम अक्सर साथ-साथ खाते थे, कभी मेरे कक्ष में तो दूसरी बार उनके कक्ष में (संसद सत्र के दौरान)। इन दिनों की तरह सरकार व विपक्ष के बीच कोई दूरी, अलगाव उन दिनों नहीं था।"
उन्होंने कहा कि वाजपेयी अपने देश व लोगों की प्रगति व कल्याण के लिए समर्पित थे।
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