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'बाबा' बने राष्ट्रपति: परौख के युवाओं की जगी आस, थमेगा रोजगार के लिए पलायन!
देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का यूपी के एक छोटे से गांव परौख से रायसीना (राष्ट्रपति भवन) तक का सफ़र बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है।
कानपुर: देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का यूपी के एक छोटे से गांव परौख से रायसीना (राष्ट्रपति भवन) तक का सफ़र बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है। कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद से अब उनके गांव के लोगों में उम्मीदों की नई सुबह हुई है। परौख समेत पूरे कानपुर देहात को कोविंद से बहुत आशाए हैं।
यूपी के कानपुर देहात में डेरापुर बहुत ही पिछड़ा इलाका है। यहां की जर्जर भौगोलिक स्थिति इस बात को दर्शाती है परौख गांव समेत सैकड़ो गांव खेती पर निर्भर हैं। अगर फसल चौपट हुई तो यहां लोगों को भयंकर संकट का सामना करना पड़ता है।
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आज की युवा पीढ़ी रोजगार नहीं होने की वजह से गांव से अपने घर परिवार से दूर जाकर नौकरी करते हैं। पूरा गांव रामनाथ कोविंद को 'बाबा' कहता है और अब इन्हीं युवाओं को अपने बाबा के राष्ट्रपति बनने के बाद से बहुत आशाएं है।
उनका मानना है कि बाबा राष्ट्रपति बन गए हैं तो वह अब परौख के विकास के साथ-साथ उनके लिए कोई ऐसा प्लांट भी लगवाने की सिफारिश करेंगे जिससे गांव के युवाओं को बाहर नहीं जाना पड़े और अपने परिवार के साथ ही वह इसी गांव (परौख) में खुशी से काम काम कर सकें।
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परोख के यूवाओं से जब रोजगार के संबंध में newstrack.com/अपना भारत ने इस संबंध में बात की तो गांव के युवाओं वीरेंद्र, नितेश पाल, हरिकेश और निहाल ने बताया कि बाबा राष्ट्रपति बनने के बाद जब गांव आएंगे तो हम सभी उनके सामने अपनी बात रखेंगे।
बाबा से कहेंगे कि बाबा यहां पर एक ऐसा प्लांट लगवा दीजिए जिससे गांव के लोग यहीं रहें। खेती भी देखें और प्लांट में खुशहाली से नौकरी भी करें। इससे उन्हें दुसरे राज्यों और शहरों में नौकरी के लिए दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा। यूवाओं ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि बाबा उनकी फरियाद जरुर सुनेंगे।
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युवाओं का कहना है कि हमारे गांव के आसपास एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है। उन्हें 30 किलोमीटर दूर अकबरपुर जाना पड़ता है। गांव की लड़कियों को भी पढाई के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। इसके लिए वह अपनी बात बाबा रामनाथ कोविंद से कहेंगे। युवाओं ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि बाबा उनका ये सपना जरुर पूरा करेंगे।
 


 

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