AI Saree Trend Dangers: क्या आपने भी बनवाई AI साड़ी फोटो? जानिए इससे जुड़े संभावित खतरे और हकीकत

AI Saree Trend Dangers Reality Check:: इस लेख में विस्तार से इस विषय पर चर्चा करेंगे की आखिर पर तस्वीरें अपलोड करने का ट्रेंड कहाँ से आया और इसमें संभावित खतरे क्या हैं?

Shivani Jawanjal
Published on: 18 Sept 2025 4:08 PM IST
AI Saree Trend Dangers Reality Check
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AI Saree Trend Dangers Reality Check 

AI Saree Trend Dangers Reality Check: आजकल सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है । इसी साल मार्च के महीने में वही जहां गिबली ट्रेंड ने खूब चर्चा बटोरी वही फ़िलहाल AI साड़ी ट्रेंड वायरल हो रहा है जिसमे लोग खासतौर पर लड़किया अपनी तस्वीरें गूगल जेमिनी (Google Gemini) जैसे एआई टूल्स पर अपलोड करवा कर उन्हें नए और आकर्षक रूप में बदलवा रहे हैं। इस ट्रेंड में युवाओं के साथ-साथ बड़े उम्र के लोग भी दिलचस्पी ले रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह अपनी तस्वीरें किसी एआई प्लेटफ़ॉर्म पर देना वाकई सुरक्षित है?

एआई फोटो जनरेशन ट्रेंड क्या है?

आज के एआई टूल्स जैसे गूगल जेमिनी, Canva Magic Studio और Adobe Firefly ने फोटो एडिटिंग को बहुत आसान बना दिया है। अब कोई भी साधारण तस्वीर तुरंत कार्टून वर्ज़न में बदल सकती है, कपड़े या स्टाइल बदल सकते हैं, फोटो की क्वालिटी बढ़ाई जा सकती है और नया बैकग्राउंड भी लगाया जा सकता है। ये सब मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग तकनीक से होता है, जो फोटो को समझकर उसमें बदलाव करती हैं। गूगल जेमिनी जैसे टूल्स तो अब रियल-टाइम में ही चेहरे के एक्सप्रेशन, कपड़े या फोटो की क्वालिटी बदलने की सुविधा देते हैं। यही वजह है कि आजकल सोशल मीडिया पर 'AI साड़ी ट्रेंड' बहुत लोकप्रिय हो गया है।

AI साड़ी ट्रेंड क्या है?


फ़िलहाल सोशल मीडिया पर 'AI साड़ी ट्रेंड'(Nano Banana Trend) खूब वायरल हो रहा है। इसमें लोग अपनी सामान्य तस्वीर को एआई टूल्स, जैसे गूगल Gemini Nano Banana और ChatGPT की मदद से 80s - 90s के बॉलीवुड स्टाइल में बदल रहे हैं। इन फोटोज़ में रंग-बिरंगी शिफॉन साड़ियाँ, पोल्का डॉट्स, ब्लैक पार्टीवेयर या मशहूर पीली साड़ी का लुक दिया जाता है। साथ ही बालों में फूल, पुरानी फिल्मों जैसी रोशनी और खूबसूरत बैकग्राउंड जोड़कर फोटो को पोस्टर जैसा बनाया जाता है। इंस्टाग्राम और पिनटेरेस्ट पर हज़ारों महिलाएं और लड़कियां अपनी AI साड़ी फोटो शेयर कर रही हैं जिससे यह ट्रेंड युवाओं, फैशन और नॉस्टैल्जिया का मज़ेदार मिलाप बन गया है।

ट्रेंड को लेकर महिला का दावा

इस ट्रेंड को एक महिला ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इंस्टाग्राम पर महिला ने अपना अनुभव शेयर किया। उसने बताया कि जब उसने अपनी फुल स्लीव ग्रीन सूट वाली फोटो Gemini Nano Banana AI पर अपलोड की, तो जेनरेट हुई तस्वीर में उसके हाथ पर एक तिल दिखा जबकि असली फोटो में वह हिस्सा ढका हुआ था। यह देखकर वह हैरान रह गई और उसे अपनी प्राइवेसी को लेकर डर लगा। उसका यह वीडियो अब सोशल मिडिया पर वायरल हो गया और कई यूजर्स, खासकर महिलाएं, अब इस ट्रेंड से सावधान रहने की बात कर रही हैं। तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि शायद AI सिर्फ अपलोड की गई फोटो ही नहीं बल्कि इंटरनेट पर मौजूद पुराने फोटो या सोशल मीडिया डेटा से भी जानकारी लेता है। इसी वजह से तस्वीरें इतनी असली और डिटेल वाली बन जाती हैं।

AI साड़ी ट्रेंड के पीछे मनोविज्ञान

आज की डिजिटल दुनिया में हर कोई चाहता है कि उसकी फोटो और पोस्ट दूसरों से अलग और खास दिखे। इसी वजह से लोग अपनी तस्वीर को रेट्रो साड़ी लुक में बदलकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। यह ट्रेंड सिर्फ फैशन नहीं है बल्कि नई तकनीक जैसे AI और मशीन लर्निंग को आज़माने का एक मजेदार तरीका भी है। जब कोई अपनी फोटो को पुराने जमाने की हीरोइन की तरह देखता है, तो उसे एक नया और रोमांचक अनुभव मिलता है। साथ ही, यह ट्रेंड लोगों के लिए एंटरटेनमेंट और समय बिताने का साधन भी बन गया है। यही कारण है कि 'AI साड़ी ट्रेंड' इतनी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और लोग इसमें बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं।

तस्वीरें अपलोड करने से जुड़े संभावित खतरे

डेटा चोरी का खतरा - जब हम अपनी फोटो AI टूल्स पर अपलोड करते हैं तो वह सिर्फ एडिटिंग के लिए नहीं रहती। ये तस्वीरें अक्सर क्लाउड सर्वर पर सेव हो जाती हैं और बाद में कंपनी इन्हें अपनी सर्विस सुधारने या ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल कर सकती है। इससे डेटा चोरी और गलत इस्तेमाल का खतरा बढ़ जाता है।

डीपफेक (Deepfake) का जोखिम - AI की मदद से किसी की फोटो या वीडियो को बदलकर फर्जी और भ्रामक कंटेंट बनाया जा सकता है। इसे धोखाधड़ी, गलत प्रचार या पहचान की चोरी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसी कारण साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं।

प्राइवेसी का हनन - ज्यादातर लोग तस्वीर अपलोड करते समय बिना पढ़े टर्म्स एंड कंडीशंस मान लेते हैं। इनमें लिखा होता है कि फोटो कंपनी के सर्वर पर सुरक्षित रहेगी और रिसर्च या मॉडल ट्रेनिंग में इस्तेमाल हो सकती है। इसका मतलब है कि फोटो पर यूजर का पूरा कंट्रोल नहीं रहता।

पहचान की चोरी (Identity Theft) - अगर आपकी फोटो या डेटा गलत हाथों में चला जाए तो उसका इस्तेमाल फेक प्रोफाइल बनाने, ऑनलाइन धोखाधड़ी करने या गैरकानूनी कामों में किया जा सकता है। इससे आपकी प्राइवेसी, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ सकती हैं।

गूगल जेमिनी और डेटा सुरक्षा नीति का सारांश

गूगल जेमिनी जैसे एआई मॉडल डेटा सुरक्षा और गोपनीयता को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। गूगल साफ कहता है कि किसी भी टूल का इस्तेमाल करने से पहले यूज़र की सहमति जरूरी है। अपलोड की गई तस्वीरें और जानकारी को गूगल अपने एआई मॉडल को सुधारने और बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन बिना सहमति के डेटा को कहीं और शेयर नहीं किया जाता। हालांकि, एक बार डेटा सर्वर पर जाने के बाद यूज़र का उस पर पूरा कंट्रोल नहीं रहता, क्योंकि गूगल उसे ट्रेनिंग, सुरक्षा और क्वालिटी चेक के लिए इस्तेमाल कर सकता है। गूगल खुद भी मानता है कि वह 100% सुरक्षा नहीं दे सकता और डेटा लॉगिंग या स्टोरिंग से जुड़े कुछ रिस्क हमेशा बने रहते हैं।

कानूनी और नैतिक पहलू

भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 लागू है, जो डेटा को सुरक्षित रखने और उसके इस्तेमाल पर सख्त नियम बनाता है। इस कानून के तहत बिना यूज़र की सहमति किसी भी डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकता और यूज़र्स को अपने डेटा पर ज्यादा कंट्रोल दिया गया है। हालांकि, अपलोड की गई तस्वीरों का AI ट्रेनिंग या क्रिएटिव कामों में उपयोग करना अभी भी एक ग्रे एरिया है जहां स्पष्ट नियम नहीं हैं। नैतिक रूप से कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे यूज़र की सहमति के बिना उनकी फोटो या डेटा का कोई दूसरा इस्तेमाल न करें। इस कानून में प्राइवेसी तोड़ने पर सख्त जुर्माना और शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था है लेकिन असल में इसका पालन और सही तरह से लागू करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।

क्या यह सुरक्षित है या असुरक्षित?


अगर कोई साधारण और गैर-संवेदनशील फोटो सिर्फ मज़े या सोशल मीडिया के लिए अपलोड की जाती है, तो उसका खतरा कम होता है। लेकिन अगर व्यक्तिगत, संवेदनशील या परिवार से जुड़ी तस्वीरें अपलोड की जाएं, तो यह जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि ऐसी तस्वीरें गलत हाथों में जाने पर पहचान की चोरी या धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल हो सकती हैं। सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि आप कौन सा प्लेटफॉर्म इस्तेमाल कर रहे हैं और उसकी प्राइवेसी पॉलिसी कितनी मजबूत है। गूगल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म एडवांस टेक्नोलॉजी जैसे Synth ID वॉटरमार्क का इस्तेमाल करते हैं ताकि AI द्वारा बनाई गई तस्वीरें पहचान में आ सकें लेकिन यह भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जाता। विशेषज्ञों की सलाह है कि AI फोटो एडिटिंग टूल्स का उपयोग करते समय खासकर संवेदनशील तस्वीरों को लेकर हमेशा सावधानी बरतें और टर्म्स व प्राइवेसी पॉलिसी ध्यान से पढ़ें।

तस्वीरें अपलोड करते समय किन बातों का ध्यान रखें?

टर्म्स एंड कंडीशंस पढ़ें - यह समझना जरूरी है कि आपकी तस्वीरों का इस्तेमाल कहाँ और कैसे होगा।

संवेदनशील फोटो अपलोड न करें - परिवार, बच्चों या निजी पलों की तस्वीरों से बचें।

ऑफिशियल प्लेटफ़ॉर्म का ही इस्तेमाल करें - गूगल जैसे भरोसेमंद प्लेटफ़ॉर्म ही चुनें किसी थर्ड-पार्टी ऐप पर अंधाधुंध भरोसा न करें।

लो-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें डालें - ज़रूरत हो तो ऐसी तस्वीरें अपलोड करें जिनसे आपकी पूरी पहचान चोरी न हो सके।

सुरक्षा सेटिंग्स देखें - अपने गूगल अकाउंट या ऐप की प्राइवेसी सेटिंग्स को एडजस्ट करें।

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