Don Pettit space mission: अंतरिक्ष की ऊंचाइयों से 70 की उम्र में वापसी, डॉन पेटिट का प्रेरणादायक अंतरिक्ष मिशन

Don Pettit space mission: अंतरिक्ष यात्री डॉन पेटिट 20 अप्रैल, 2025 को धरती की ओर लौट रहे हैं। ये ऐसा पहली बार है, जब किसी 70 वर्षीय अंतरिक्ष यात्री ने इतने लंबे समय तक स्पेस स्टेशन पर कार्य किया है।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 19 April 2025 5:28 PM IST
Don Pettit space mission: अंतरिक्ष की ऊंचाइयों से 70 की उम्र में वापसी, डॉन पेटिट का प्रेरणादायक अंतरिक्ष मिशन
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Don Pettit (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Don Pettit Inspiring Space Mission: जब हम 70 की उम्र की कल्पना करते हैं, तो अक्सर मन में आराम, शांति और विश्राम की तस्वीर बनती है। लेकिन डॉन पेटिट जैसे अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) के लिए यह उम्र न तो सीमा बनी, न ही थकावट का कारण। उन्होंने न केवल खुद को अंतरिक्ष की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में डाला, बल्कि अपने अनुभव, ज्ञान और समर्पण से विज्ञान के नए दरवाज़े खोले। 20 अप्रैल, 2025 को वे अंतरिक्ष से धरती की ओर लौट रहे हैं। ये एक ऐसा क्षण है जो उम्र की बाधाओं को तोड़ता हुआ विज्ञान, साहस और मानव जिज्ञासा का प्रतीक बन गया है। आइए जानते हैं इस पर विस्तार से-

डॉन पेटिट का मिशन एक विज्ञान, अनुभव और सेवा का संगम

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

यह मिशन वैज्ञानिक दृष्टि से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पहली बार किसी 70 वर्षीय अंतरिक्ष यात्री ने इतने लंबे समय तक स्पेस स्टेशन (Space Station) पर कार्य किया है। मिशन के दौरान इन वैज्ञानिकों ने माइक्रोग्रैविटी में मानव शरीर पर होने वाले प्रभावों, पृथ्वी की जलवायु निगरानी, जैवप्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में 50 से अधिक प्रयोग किए। खास बात यह रही कि डॉन पेटिट ने इस मिशन में न केवल वैज्ञानिक भूमिका निभाई, बल्कि स्पेस स्टेशन से बच्चों के लिए लाइव शैक्षणिक सत्रों के ज़रिए विज्ञान शिक्षा को भी बढ़ावा दिया।

मिशन का उद्देश्य:

1. दीर्घकालिक मानव उपस्थिति के प्रभावों का अध्ययन:

डॉन पेटिट इस मिशन के दौरान माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्ष की भारहीन स्थिति) में मानव शरीर पर होने वाले जैविक और मानसिक प्रभावों का अध्ययन कर रहे थे, विशेषकर बुज़ुर्ग अंतरिक्ष यात्रियों पर इसके प्रभाव को लेकर यह अध्ययन ऐतिहासिक है।

2. विज्ञान व तकनीक में प्रयोग:

मिशन के दौरान वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रयोग किए जिनमें क्रिस्टल ग्रोथ (Protein crystallization), प्लांट ग्रोथ इन माइक्रोग्रैविटी, सौर विकिरण का विश्लेषण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित रोबोटिक असिस्टेंट का परीक्षण आदि विषय शामिल थे।

3. पृथ्वी पर्यवेक्षण:

टीम ने पृथ्वी के वातावरण, जलवायु परिवर्तन, तूफानों और समुद्री स्तर के परिवर्तन की निगरानी के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे और सेंसर्स का उपयोग किया।

डॉन पेटिट: एक अनुभवी वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पेटिट के पास अंतरिक्ष उड़ानों का 20 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले वे 2002 और 2011 में भी स्पेस स्टेशन पर रह चुके हैं। वे अब तक तीन बार स्पेसवॉक कर चुके हैं और कुल मिलाकर 370 से अधिक दिन अंतरिक्ष में बिता चुके हैं। इस मिशन के ज़रिए पहली बार वृद्धावस्था में अंतरिक्ष यात्रा की अनुकूलता पर विस्तृत अध्ययन किया गया है, जिसका उपयोग भविष्य की अंतरिक्ष यात्राओं की योजना में किया जाएगा।

20 अप्रैल को धरती पर होगी वापसी

नासा के सबसे वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री डॉन पेटिट 20 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर लौटने वाले हैं। 70 वर्षीय पेटिट अपने दो रूसी साथियों एलेक्सी ओविचिनिन और इवान वैगनर के साथ छह महीने लंबे मिशन को पूरा कर लौटेंगे। उनकी वापसी रूस के सोयूज MS-25 अंतरिक्ष यान से होगी। भारतीय समयानुसार वापसी की यात्रा 20 अप्रैल की सुबह 3:27 बजे शुरू होगी और उसी दिन सुबह 6:50 बजे कजाकिस्तान के ज़ेझकाज़गन क्षेत्र में लैंडिंग होगी। लैंडिंग के बाद तीनों अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष चिकित्सकीय जांच और रिकवरी प्रक्रिया से गुजरना होगा।

नासा और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के वैज्ञानिक इस मिशन से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करेंगे ताकि अंतरिक्ष में उम्र, स्वास्थ्य और प्रदर्शन के संबंधों को और बेहतर ढंग से समझा जा सके। उनकी वैज्ञानिक सोच, इंजीनियरिंग कौशल और शोध क्षमता ने इस मिशन में अनेक जटिल प्रयोगों को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद की। पहली बार 70 वर्ष के किसी अंतरिक्ष यात्री ने इतने लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में कार्य किया। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि वरिष्ठ नागरिक भी भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार हो सकते हैं।


उम्रदराज व्यक्तियों के लिए प्रेरणा बनेगा ये मिशन

डॉन पेटिट की यह वापसी केवल एक मिशन का समापन नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि उम्र कभी भी सपनों की ऊंचाई तय नहीं कर सकती। उन्होंने यह दिखा दिया कि विज्ञान, जुनून और जिज्ञासा के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती।

उनका यह मिशन भविष्य के उन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए राह प्रशस्त करेगा जो सोचते हैं कि किसी बड़ी उपलब्धि को हासिल करने में उम्र एक बाधा है।

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