किडनी निकालने से हुई पीड़िता की मौत, एक साल बाद दर्ज हुई रिपोर्ट

राजधानी के एक अस्पताल में पिछले साल एक एम्बुलेंस चालक के चक्कर में आकर एक महिला की मौत हो गई। यही नहीं पीड़ित परिजनों ने महिला के शरीर से महत्वपूर्ण अंग निकालने का भी आरोप लगाया है। इस मामले की शिकायत करते हुए अमेठी की शिवपती सरोज ने मामला दर्ज कराया है। वहीं पीजीआई थाना के एसएचओ रविंद्र नाथ राय का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है। जांच की जा रही है और दोषी को सख्त से सख्त सज़ा दी जाएगी। पीड़ित पक्ष ने शिकायती पत्र में इलाज में लापरवाही और महत्वपूर्ण अंग निकालने का आरोप लगाया है।

Anoop Ojha
Published on: 22 Nov 2018 9:20 PM IST
किडनी निकालने से हुई पीड़िता की मौत, एक साल बाद दर्ज हुई रिपोर्ट
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स्वाति प्रकाश

लखनऊ : राजधानी के एक अस्पताल में पिछले साल एक एम्बुलेंस चालक के चक्कर में आकर एक महिला की मौत हो गई। यही नहीं पीड़ित परिजनों ने महिला के शरीर से महत्वपूर्ण अंग निकालने का भी आरोप लगाया है। इस मामले की शिकायत करते हुए अमेठी की शिवपती सरोज ने मामला दर्ज कराया है। वहीं पीजीआई थाना के एसएचओ रविंद्र नाथ राय का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है। जांच की जा रही है और दोषी को सख्त से सख्त सज़ा दी जाएगी। पीड़ित पक्ष ने शिकायती पत्र में इलाज में लापरवाही और महत्वपूर्ण अंग निकालने का आरोप लगाया है।

क्या है मामला

अमेठी निवासी निर्मला देवी को बुखार के चलते 19 अक्टूबर 2017 की रात परिजनों ने शहर के ही सूर्या अस्पताल में रात 9 बजे भर्ती कराया था। जहां डॉक्टर भव्य शर्मा ने इलाज के बाद लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। इस दौरान एम्बुलेंस का 2700 रुपए भी जमा करवाए गए थे। कुछ दूर चलने के बाद एम्बुलेंस चालक रामधीरज चौरसिया ने मेडिकल कॉलेज में सही इलाज ना होने का हवाला दिया। चालक ने परिजनों से कहा कि राजधानी अस्पताल में उसकी जान पहचान है। वहां कम खर्च में अच्छा इलाज हो जाएगा। चालक रामधीरज के कहने पर महिला को राजधानी अस्पताल ले जाया गया।

36000 वसूलने के बाद भी हो गई पीड़िता की मौत

अस्पताल पहुंचने के तुरंत बाद अस्पताल में तत्काल ही 6000 रुपए जमा कराए गए और भर्ती करते ही जांच शुरू कर दी गई। परिजनों के मुताबिक जांच में सभी रिपोर्ट सामान्य थे। इसी दौरान अस्पताल के ही मेडिकल स्टोर से करीब बीस हजार रुपए की दवा भी खरीदी गई। 20 अक्टूबर को फिर से 10000 रुपये और जमा कराए गए। अस्पताल की ओर से किसी भी सदस्य को निर्मला से मुलाकात करने नहीं दिया गया। परिजनों ने कहा कि दो दिन तक मुलाकात नहीं करने दिया गया था।

पेट के दाहिने और बाएं ओर थे बड़े-बड़े चीरे

21 अक्टूबर को अस्पताल की एक नर्स ने पहले कहा कि मरीज को केजीएमयू, पीजीआई रेफर किया जा रहा है। परिजनों ने मरीज़ से मिलने के लिए नर्स बात की। जब परिजनों ने मरीज को देखा तो पेट के दाहिने और बाएं ओर बड़े-बड़े चीरे लगे थे और खून बह रहा था। मरीज की मौत हो चुकी थी।

शव ले जाने के लिए सादे कागज पर करवाया दस्तखत

अस्पताल की ओर से शव ले जाने के लिए परिजनों से एक सादे कागज पर दस्तखत लिए गए। उसके बाद अस्पताल ने शव को सौंप दिया। 22 अक्टूबर को शिवपति अपनी बहन का शव लेकर अमेठी पहुंची और शव को दफना दिया।

एक साल बाद दर्ज हुई रिपोर्ट

घटना के अगले ही दिन 23 अक्टूबर को शिवपति बहन की मौत और अंग निकालने की शिकायत लेकर पीजीआई थाना पहुंची और पुलिस को प्रार्थनापत्र दिया। पुलिस ने प्रार्थनापत्र लेकर रख लिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की। आखिर में पीडि़त ने 5 मार्च को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। 11 अप्रैल को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन फिर भी कोई हल नहीं निकला। कोर्ट के आदेश पर बुधवार 21 नवंबर को पीजीआई थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई। रिपोर्ट के आधार पर अस्पताल प्रबंधक अनन्तशील चौधरी, स्टाफ नर्स और एम्बुलेंस चालक रामधीरज चौरसिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

Anoop Ojha

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