Dilip Ghosh Love Story: कौन हैं 60 साल में शादी करने वाले भाजपा नेता, आइए जाने दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार की प्रेम कहानी

Dilip Ghosh Ki Prem Kahani: 60 वर्ष की उम्र में दिलीप घोष ने रिंकू मजूमदार से शादी रचा ली है। इस विवाह को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 19 April 2025 11:46 AM IST
Dilip Ghosh and Rinku Majumdar Love Story
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Dilip Ghosh and Rinku Majumdar Love Story (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Dilip Ghosh and Rinku Majumdar Love Story: जब राजनीति के गलियारों में सख्ती और रणनीति की बातें होती हैं, तब कभी-कभी कुछ ऐसी खबरें आती हैं जो दिल को छू जाती हैं। दिलीप घोष (Dilip Ghosh), एक ऐसा नाम जो भारतीय राजनीति विशेषकर पश्चिम बंगाल की राजनीति में आक्रामक और स्पष्टवादिता के लिए जाना जाता है अब एक नई यात्रा पर निकल रहे हैं। 60 वर्ष की उम्र में उन्होंने विवाह का निर्णय लिया है, और उनकी जीवनसंगिनी बनने जा रही हैं रिंकू मजूमदार (Rinku Majumdar)। इस निर्णय ने न सिर्फ मीडिया का ध्यान खींचा है, बल्कि इसे एक सामाजिक बदलाव की तरह भी देखा जा रहा है, जहाँ उम्र प्रेम या नई शुरुआत के लिए कोई सीमा नहीं बनती।

दिलीप घोष एक निडर राजनीतिक चेहरा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

दिलीप घोष का जन्म 1 अगस्त 1964 को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले में हुआ था। वे लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे और 1999 से 2007 तक अंडमान और निकोबार के RSS प्रभारी रहे। 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में प्रवेश किया और 2015 में पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में 42 में से 18 सीटें जीतीं, जिसमें वे स्वयं मेदिनीपुर से सांसद चुने गए। हालांकि, 2024 में बर्धमान-दुर्गापुर से चुनाव हार गए। उनकी पहचान एक दृढ़, बेतकल्लुफ़ और कभी-कभी विवादास्पद वक्ता के रूप में रही है। उनके समर्थकों के लिए वे 'जमीनी नेता' हैं, जबकि विरोधियों के लिए एक 'आक्रामक वक्ता'। लेकिन इन सबके बीच एक बात साफ है—वो अपने निर्णयों के लिए कभी पीछे नहीं हटते।

रिंकू मजूमदार: एक सशक्त और समर्पित महिला चेहरा

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

रिंकू मजूमदार राजनीति की दुनिया में नया नाम नहीं हैं। वे लंबे समय से भाजपा की एक समर्पित कार्यकर्ता रही हैं। पार्टी के लिए किए गए कार्यों और संगठन के साथ उनके गहरे संबंधों के कारण उन्हें संगठन के अंदर अच्छी पहचान मिली है। रिंकू की राजनीतिक सोच और समाज सेवा के लिए झुकाव उन्हें एक आदर्श जीवनसाथी बनाता है, खासकर दिलीप घोष जैसे व्यक्ति के लिए, जिनका जीवन सदैव सार्वजनिक रहा है। उन्होंने न केवल पार्टी के साथ एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में जुड़ाव रखा, बल्कि कई सामाजिक अभियानों में भी भाग लिया।

50 वर्षीय रिंकू मजूमदार तलाकशुदा हैं और उनका एक 26 वर्षीय बेटा है, जो कोलकाता में IT सेक्टर में कार्यरत है। रिंकू ने पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों में भाग लिया है, जिससे उन्होंने संगठन में अपनी पहचान बनाई है।

प्रेम कहानी की शुरुआत

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार की मुलाकात 2021 में पार्टी के एक कार्यक्रम में हुई थी। इसके बाद दोनों के बीच दोस्ती हुई और समय के साथ यह संबंध गहरा होता गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद जब घोष मानसिक रूप से परेशान थे, तब रिंकू ने उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया। शुरुआत में घोष ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, लेकिन अपनी मां के आग्रह पर उन्होंने विवाह का निर्णय लिया।

शादी का आयोजन

18 अप्रैल 2025 को शाम 5:30 बजे कोलकाता के न्यू टाउन स्थित अपने आवास पर दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार का विवाह संपन्न हुआ। यह एक निजी समारोह था, जिसमें दोनों परिवारों के सदस्य और कुछ खास दोस्त शामिल हुए। भाजपा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और महिला मोर्चा की महासचिव लॉकेट चटर्जी ने उन्हें बधाई दी। शादी के बाद घोष के गृहनगर खड़गपुर में एक समारोह आयोजित किया जाएगा।

संघ की प्रतिक्रिया

दिलीप घोष लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं। उनकी शादी से संघ और भाजपा का एक वर्ग खुश नहीं था। आनंद बाजार पत्रिका के अनुसार, संघ के दो सदस्य घोष के घर भी गए थे, लेकिन घोष ने कहा कि अब फैसला हो चुका है और वे अपने फैसले पर अडिग हैं।

शादी में कौन-कौन रहे मौजूद?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

18 अप्रैल 2025 को शाम 5:30 बजे कोलकाता के न्यू टाउन स्थित दिलीप घोष के आवास पर होने वाली शादी में माहौल सादगी और निजीपन से भरा रहा। दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार दोनों के परिवार के सदस्य इस मौके पर शामिल रहे कुछ चुनिंदा दोस्त और शुभचिंतकों को ही आमंत्रित किया गया था।इसके अलावा पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, महिला मोर्चा की महासचिव लॉकेट चटर्जी मौजूद रहें।

सुवेंदु अधिकारी की प्रतिक्रिया

विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और दिलीप घोष के संबंधों में खटास किसी से छुपी नहीं है। अब तक उनकी ओर से किसी प्रकार की बधाई या उपस्थिति की पुष्टि नहीं हुई है।

खड़गपुर में दूसरा समारोह

शादी के बाद, घोष के गृहनगर खड़गपुर में एक और कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें स्थानीय समर्थक और सहयोगी शामिल होंगे।

विवाह की घोषणा एक सामाजिक संदेश

दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार की शादी सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी एक संदेश है। भारतीय समाज में अक्सर उम्र को शादी के लिए एक पैमाना माना जाता है। परंतु यह विवाह उन धारणाओं को चुनौती देता है।

यह विवाह यह भी दर्शाता है कि सार्वजनिक जीवन में सक्रिय व्यक्ति भी निजी जीवन में खुशियों की तलाश कर सकते हैं। इससे उन लोगों को भी प्रेरणा मिलती है जो समाज के डर से या उम्र की सीमाओं को देखकर नए संबंधों से पीछे हटते हैं।

राजनीति और निजी जीवन का संतुलन

राजनीति में सक्रिय लोग अक्सर व्यक्तिगत जीवन की कीमत पर पेशेवर जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन यह विवाह एक उदाहरण हो सकता है कि सार्वजनिक जीवन में भी निजी संतुलन संभव है।

दिलीप घोष की यह नई यात्रा यह दिखाती है कि अगर इच्छा और साहस हो तो इंसान किसी भी पड़ाव पर एक नई शुरुआत कर सकता है। रिंकू मजूमदार भी एक सशक्त महिला हैं जो दिलीप घोष की सार्वजनिक भूमिका को न केवल समझती हैं बल्कि उनके इस जीवन में साझीदार भी बन रही हैं।

विवाह का राजनीतिक प्रभाव

हालांकि यह विवाह पूरी तरह से निजी है, फिर भी भाजपा के भीतर और राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा स्वाभाविक है। यह एक ऐसा समय है जब बंगाल की राजनीति में कई नए समीकरण बन रहे हैं। ऐसे में दिलीप घोष का विवाह उनकी छवि को एक 'संतुलित और परिपक्व नेता' के रूप में पुनर्स्थापित कर सकता है।

वहीं रिंकू मजूमदार के साथ यह साझेदारी भाजपा के महिला कार्यकर्ताओं और युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन सकती है कि निजी और सार्वजनिक जीवन दोनों को गरिमा और सम्मान के साथ जिया जा सकता है।

सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया: सराहना और आश्चर्य का भाव

सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों तक, लोगों ने दिलीप घोष के इस निर्णय की सराहना की है। बहुतों के लिए यह निर्णय एक प्रेरणा है तो कुछ के लिए आश्चर्य का विषय भी। लेकिन कुल मिलाकर जनता का रुख सकारात्मक है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “प्रेम और साथ की कोई उम्र नहीं होती” तो कुछ ने यह भी कहा कि “राजनीति में इतने व्यस्त नेता ने अगर निजी खुशी को अहमियत दी है, तो यह साहस की मिसाल है।”

यह विवाह समाज में एक उदाहरण भी प्रस्तुत करता है कि, सार्वजनिक जीवन जीने वाले भी अपनी व्यक्तिगत खुशियों को सहेज सकते हैं। दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार का यह मिलन सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो जीवन दर्शन का भी मिलन है एक राजनीति से भरा जीवन और एक सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सोच।

इन दोनों की जोड़ी एक नई सोच, नई उम्मीद और नए दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है। यह सिर्फ एक विवाह नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे में एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो सकती है।

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