Doppelgänger Kya Hai: हम जैसे दिखने वाले दुनिया में सात लोग और हैं, जिन्हें आप नहीं जानते होंगे, आइए जानते हैं हमशक्ल कैसे लोग होते हैं

Doppelganger Myths And Facts: ‘हमशक्ल’ का अर्थ हुआ: वह व्यक्ति जिसकी शारीरिक आकृति, विशेष रूप से चेहरा, किसी अन्य से अत्यधिक मिलता-जुलता हो।

Akshita Pidiha
Written By Akshita Pidiha
Published on: 19 April 2025 2:57 PM IST
Doppelgänger Kya Hai: हम जैसे दिखने वाले दुनिया में सात लोग और हैं, जिन्हें आप नहीं जानते होंगे, आइए जानते हैं हमशक्ल कैसे लोग होते हैं
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Doppelgänger Kya Hai (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Doppelgänger Kya Hai: क्या आपने कभी किसी को देखकर यह सोचा है कि "यह तो बिलकुल अमुक व्यक्ति की तरह दिखता है।” या आपके किसी दोस्त ने कभी आपको किसी फिल्मी सितारे से मिलते-जुलते बताया हो? ऐसे लोग जिन्हें हम पहचानते नहीं, फिर भी वे हमारे जान-पहचान वालों जैसे दिखते हैं— इन्हें ही आम भाषा में ‘हमशक्ल’ कहा जाता है। पर सवाल यह है कि हमशक्ल होते कैसे हैं? क्या यह केवल एक संयोग है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है?

‘हमशक्ल’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है— ‘हम’ यानी समान और ‘शक्ल’ यानी चेहरा या आकृति। इसका अर्थ हुआ: वह व्यक्ति जिसकी शारीरिक आकृति, विशेष रूप से चेहरा, किसी अन्य से अत्यधिक मिलता-जुलता हो।

भारतीय फिल्मों में यह विषय हमेशा से लोकप्रिय रहा है। 'डॉन', 'सीता और गीता', 'गुड्डी', 'जुड़वा', 'हमशक्ल', 'डुप्लीकेट' जैसी फिल्मों में हमशक्लों का उपयोग रोमांच और हास्य पैदा करने के लिए किया गया। लेकिन वास्तविक जीवन में भी हमशक्ल होना एक रोचक और कभी-कभी रहस्यमयी अनुभव हो सकता है।

वैज्ञानिक आधार: क्या हमशक्ल सच में होते हैं

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. अनुवांशिक कारण (Genetic Causes)

मनुष्य के चेहरे की बनावट, त्वचा का रंग, आंखों की आकृति, नाक, होंठ और जबड़े की रचना — यह सब आनुवंशिकी पर निर्भर करता है। हमारे डीएनए में लाखों जीन होते हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि हम कैसे दिखेंगे। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इन जीनों का संयोजन (combination) कई बार एक जैसे हो सकते हैं, भले ही दो व्यक्ति एक ही परिवार से न हों।

वैज्ञानिक इसे ‘जीनोमिक कंजर्वेशन’ कहते हैं, यानी कुछ जीन विभिन्न लोगों में बहुत सामान्य होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर दो लोगों के माता-पिता की नस्लीय उत्पत्ति समान है (जैसे दोनों दक्षिण एशिया या यूरोप से हैं), तो उनके जीन में समानता की संभावना अधिक होती है।

2. फिनोटाइप समानता (Phenotypic Similarity)

फिनोटाइप उन लक्षणों को कहते हैं जो किसी व्यक्ति के डीएनए और पर्यावरण के मेल से प्रकट होते हैं— जैसे चेहरा, कद, बालों की बनावट आदि। जब दो व्यक्तियों में ये सभी लक्षण लगभग एक जैसे हो जाएं, तो वे ‘हमशक्ल’ प्रतीत होते हैं।

क्या हर व्यक्ति का एक हमशक्ल होता है?

1. ‘Doppelgänger’ अवधारणा

जर्मन भाषा में ‘Doppelgänger’ शब्द का अर्थ है— ‘डबल वॉकर’ यानी एक ऐसा व्यक्ति जो किसी अन्य व्यक्ति की हूबहू नकल हो। यह धारणा केवल दिखने तक सीमित नहीं, बल्कि कभी-कभी व्यवहार, चाल-ढाल और आवाज़ तक में समानता देखी जाती है। विश्व प्रसिद्ध लेखकों और मनोविश्लेषकों जैसे फ्रायड और कार्ल युंग ने इस पर विचार किया और इसे ‘ अन्य स्व’ या ‘छाया व्यक्तित्व’ की संज्ञा दी।

तकनीक और हमशक्ल की पहचान

1. चेहरे की पहचान तकनीक (Facial Recognition Technology)

आधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग से लैस सॉफ्टवेयर आज हजारों चेहरों को स्कैन करके समानता का प्रतिशत बता सकते हैं। वर्ष 2015 में एक स्पेनिश फोटोग्राफर फ्रांसिस्को एट्ज़ोर्न ने "I’m not a look-alike!" नामक प्रोजेक्ट शुरू किया था जिसमें उसने दुनिया भर के हमशक्ल लोगों की तस्वीरें लीं जो एक-दूसरे को जानते भी नहीं थे। इसके अलावा, "TwinStrangers.net" नामक वेबसाइट भी कुछ समय के लिए चर्चा में रही, जहां आप अपना फोटो डालकर अपना हमशक्ल ढूंढ सकते थे।

मनोवैज्ञानिक प्रभाव

1. पहचान की समस्या (Identity Crisis)

कभी-कभी हमशक्ल होने से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। किसी अपराध स्थल पर कैमरा फुटेज में कोई दिखे और वह असल व्यक्ति न हो, तो निर्दोष को दोषी ठहराया जा सकता है।

2. सामाजिक भ्रम और उत्सुकता

हमशक्लों से मिलने के बाद लोग अक्सर उत्साहित हो जाते हैं, और यह एक सामाजिक चर्चा का विषय बन जाता है। "कहीं यह मेरे पूर्वजों से जुड़ा हो?", "क्या यह किसी जन्म का रहस्य है?" जैसे सवाल भी उठते हैं।

क्या हमशक्ल एक जैसी आवाज़ और व्यवहार भी रखते हैं?

आवाज़ और हाव-भाव मुख्य रूप से सीखने और सामाजिक अनुकूलन (social conditioning) से बनते हैं। हालांकि, अगर दो लोग एक ही सामाजिक पृष्ठभूमि और भाषाई परिवेश से आते हैं, तो उनकी बोली और शैली भी एक जैसी हो सकती है। यह समानता हमशक्ल होने का भ्रम और गहरा कर देती है।

हमशक्ल बनने की संभावना कितनी है?

वैज्ञानिकों के अनुसार, पूरी दुनिया में किसी व्यक्ति के पूर्णतः हूबहू हमशक्ल की संभावना 1 से 100 करोड़ के बीच हो सकती है। लेकिन कुछ शोध कहते हैं कि "करीब 6 से 7 लोग पूरी दुनिया में ऐसे होते हैं जो आपके चेहरे जैसे हो सकते हैं"। पर वे सब आपसे अलग संस्कृति, देश या भाषा में रह रहे होते हैं।

लेकिन सवाल यह है कि — हमशक्ल होते क्यों हैं? क्या ये केवल संयोग हैं या विज्ञान, आनुवंशिकी और समाज इसके पीछे काम कर रहे हैं? इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि हमशक्ल कैसे बनते हैं, विज्ञान क्या कहता है, और कुछ प्रसिद्ध भारतीय हमशक्लों के उदाहरण भी देखेंगे — विशेषकर राजनीति, अपराध, और बॉलीवुड के क्षेत्र से।

क्या हर व्यक्ति का कोई हमशक्ल होता है

वैज्ञानिक कहते हैं कि दुनिया में एक व्यक्ति के औसतन 6 से 7 हमशक्ल हो सकते हैं, भले ही वे अलग-अलग देशों में हों। इन्हें पश्चिमी दुनिया में "Doppelgänger" कहा जाता है — जिसका अर्थ है "दोहराया हुआ व्यक्तित्व"।

प्रसिद्ध हमशक्ल: बॉलीवुड, राजनीति और अपराध की दुनिया से उदाहरण

अब आइए जानते हैं कुछ भारत के चर्चित हमशक्ल जो अलग-अलग क्षेत्रों से हैं:-

1. राजनीति के हमशक्ल


▪ नरेंद्र मोदी और अब्बास पठान (मास्टरजी)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमशक्लों में सबसे चर्चित नाम है अब्बास पठान का, जिन्हें लोग “मास्टरजी” भी कहते हैं। ये गुजरात के एक शिक्षक हैं और उनका हाव-भाव, पहनावा और दाढ़ी तक मोदी जी जैसी है। ये मोदी की तरह भाषण भी देते हैं और इवेंट्स में बुलाए जाते हैं।


‌▪ लालू यादव और हरिशंकर यादव

बिहार के एक ग्रामीण व्यक्ति हरिशंकर यादव की शक्ल और बोलने का तरीका काफी हद तक लालू प्रसाद यादव जैसा है। वे स्थानीय स्तर पर कई हास्य कार्यक्रमों में शामिल होते हैं।

2. अपराधियों के हमशक्ल


‌▪ कसाब का हमशक्ल: रमेश शर्मा

2008 के मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब का एक हमशक्ल रमेश शर्मा नामक व्यक्ति उत्तर भारत में मिला था, जिसे एक बार पुलिस ने जांच के लिए रोका भी था। हालांकि वह निर्दोष निकला।

‌▪ अंडरवर्ल्ड के डॉन दाऊद इब्राहिम का कथित हमशक्ल

दाऊद इब्राहिम के हमशक्ल की चर्चा मुंबई के कई पुलिस रिकॉर्ड्स में आई थी, जहां एक व्यक्ति को दाऊद समझकर पकड़ लिया गया था, बाद में पुष्टि हुई कि वो कोई और था।

3. बॉलीवुड और मनोरंजन जगत के हमशक्ल

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

‌▪ शाहरुख़ खान और हयदर मकबूल

हयदर मकबूल नामक व्यक्ति को शाहरुख़ का हमशक्ल कहा जाता है। वो TikTok और इंस्टाग्राम पर खासे लोकप्रिय हैं और स्टेज पर शाहरुख की एक्टिंग भी करते हैं।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

‌▪ सलमान खान और नजीम खान

अफगानिस्तान के नजीम खान को सलमान का हमशक्ल माना जाता है। उन्हें ‘बजरंगी भाईजान’ में सलमान के बचपन के दृश्य निभाने का मौका भी मिला था।

‌▪ अक्षय कुमार और मनोज कुमार

मनोज कुमार, जो हरियाणा से हैं, हूबहू अक्षय कुमार जैसे दिखते हैं। वह पब्लिक इवेंट्स में जब पहुंचते हैं, तो भीड़ लग जाती है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

‌▪ अमिताभ बच्चन और शशिकांत पेडवाल

शशिकांत पेडवाल को “फेक अमिताभ बच्चन” कहा जाता है। वे कई एड्स, स्टेज शोज और इवेंट्स में बिग बी की नकल करते हैं और सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं।

क्या हमशक्ल होना खतरनाक हो सकता है?

कभी-कभी हमशक्ल होना विधिक और सामाजिक दृष्टिकोण से समस्यात्मक हो सकता है:-

किसी अपराध के वीडियो फुटेज में दिखे व्यक्ति का हमशक्ल निर्दोष होते हुए भी शक के घेरे में आ सकता है।

कुछ लोग हमशक्ल की आड़ में धोखाधड़ी (fraud) और ब्लैकमेलिंग तक कर सकते हैं।

कुछ मामलों में हमशक्ल का उपयोग राजनीतिक प्रचार या फिल्मी प्रचार के लिए भी किया जाता है — जो कि नैतिक दृष्टिकोण से संदेहास्पद हो सकता है।

"हमशक्ल" होना केवल एक दृश्य संयोग नहीं है, बल्कि यह जीन, पर्यावरण, समाज और तकनीक का एक जटिल संयोग है। विज्ञान के अनुसार, दुनिया में आपके जैसे 6 से 7 हमशक्ल हो सकते हैं — और उनमें से कुछ से आप शायद जीवनभर नहीं मिलेंगे।

फिर भी जब हम किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जो किसी नामी शख्स से बेहद मिलता-जुलता है — तो यह हमारी उत्सुकता, विस्मय और कल्पना को जगाता है। यही कारण है कि हमशक्लों का विषय विज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन, मीडिया और राजनीति का भी प्रिय विषय बन चुका है।

आज जब तकनीक, फोटोग्राफी और सोशल मीडिया ने दुनिया को एक मंच पर ला दिया है, हमशक्ल मिलना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। लेकिन यह अनुभव हमेशा हैरानी, उत्सुकता और कभी-कभी संशय से भरा होता है।

तो अगली बार जब कोई आपको किसी और जैसा दिखने वाला कहे, तो चौंकिए मत — यह विज्ञान का एक दिलचस्प चमत्कार है।

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