मितरों! क्या आप जानते हैं, शिक्षा के मंदिर बन गए हैं फैशन हब 

दिन के ढाई तीन बजते ही लड़के लड़कियों का ग्रुप सड़कों पर दिखने लगता है। जहाँ एक तरफ हाई हील्स, जींस, क्रॉप टॉप, स्कर्ट, प्लाज़्ज़ो  और मेकअप में लड़कियां खाने के स्टाल्स और बस स्टैंड पर दिखती हैं तो दूसरी तरफ शेड्स, ट्राउज़र्स, फंकी शर्ट्स और शूज़ में लड़के बस स्टैंड और बाइक्स पर घूमते नज़र आते हैं।

Rishi
Published on: 3 Dec 2018 10:03 PM IST
मितरों! क्या आप जानते हैं, शिक्षा के मंदिर बन गए हैं फैशन हब 
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लखनऊ : दिन के ढाई तीन बजते ही लड़के लड़कियों का ग्रुप सड़कों पर दिखने लगता है। जहाँ एक तरफ हाई हील्स, जींस, क्रॉप टॉप, स्कर्ट, प्लाज़्ज़ो और मेकअप में लड़कियां खाने के स्टाल्स और बस स्टैंड पर दिखती हैं तो दूसरी तरफ शेड्स, ट्राउज़र्स, फंकी शर्ट्स और शूज़ में लड़के बस स्टैंड और बाइक्स पर घूमते नज़र आते हैं। जी नहीं, ये किसी फैशन परेड का हिस्सा नहीं है, बल्कि ये तो अभी-अभी कॉलेज से निकले हैं। कुछ ऐसा ही नज़ारा हो चुका है राजधानी का। जहां के स्टूडेंट्स अब पहले से ज़्यादा फैशनेबल हो चले हैं।

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फैशन अपने आप में एक बहुत बड़ा शब्द है। किसी के लिए यह अपनी पर्सनैलिटी दिखाने का एक ज़रिया है तो किसी के लिए यह एक शौक है। लेकिन आज के समय में फैशन एक स्टेटस सिंबल बन चुका है। खासकर युवाओं में तो अब फैशनेबल दिखने की होड़ सी मच गयी है। यही वजह है कि अब कॉलेज और युनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स भी इससे अछूते नहीं हैं। अब कॉलेज और युनिवर्सिटी विद्या के मंदिर नहीं, फैशन के मंदिर बन चुके हैं। कॉलेज स्टूडेंट्स को अब पढ़ाई से ज़्यादा अपने लुक्स की चिंता सताती है। यही वजह है कि अब कॉलेज फैशन का गढ़ बन चुके हैं।

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सब में है अलग दिखने की चाह

आजकल के स्टूडेंट्स सिम्पल लिविंग हाई थिंकिंग की बजाय हाई लिविंग एंड हाई थिंकिंग पर यकीन रखते हैं। यही कारण है कि उनमें सबसे अलग दिखने की चाह है। आजकल के स्टूडेंट्स अच्छा दिखना चाहते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े। वह चाहते हैं कि सैकड़ों स्टूडेंट्स की भीड़ में उन्हें नोटिस किया जाए। इसके लिए वह जीतोड़ तैयारी करते हैं। भीड़ में अलग दिखने की चाह में वह अपनी जेब ढीली करने से भी गुरेज़ नहीं करते। अब पढ़ाई से ज़्यादा स्टूडेंट्स अपने ड्रेसिंग सेन्स की चिंता सताती है।

ब्रांडेड चीज़ों का बढ़ रहा है शौक

आजकल के स्टूडेंट्स में ब्रांडेड चीज़ों का शौक बहुत बढ़ गया है। लखनऊ के युवाओं को अब अमीनाबाद, आलमबाग की दुकानों से ज़्यादा बड़े बड़े मॉल्स के ब्रांडेड कपडे और एक्सेसरीज़ ज़्यादा भा रहे हैं। इन ब्रांड के प्रोडक्ट्स के लिए वह मोटी रकम भी खर्च कर रहे हैं। जूतों से लेकर कपड़े, एक्सेसरीज़ सब कुछ ब्रांड में ही चाहिए इनको। इनके इस ब्रांड प्रेम ने इनके पेरेंट्स पर एक्स्ट्रा बोझ डाल दिया है। अब कोर्स के साथ साथ पेरेंट्स को अपने बच्चों के फैशन का खर्च भी उठाना पड़ रहा है।

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ड्रेस से लेकर हेयरस्टाइल तक में कर रहे एक्सपेरिमेंट

कॉलेज स्टूडेंट्स अब अपने ओवरऑल लुक्स को लेकर अलर्ट रहने लगे हैं। केवल कपड़ों और एक्सेसरीज़ ही नहीं, वह अपने हेयरस्टाइल पर भी जमकर एक्सपेरिमेंट करने लगे हैं। जहां लड़कियां बालों में स्ट्रेटनिंग और कलरिंग करवा रही हैं, वहीं लड़के कलर पार्टिंग, ब्लीच और जेल का इस्तेमाल करके खुद को स्टाइलिश बना रहे हैं।

पियर प्रेशर कि जगह लेली फैशन प्रेशर ने

पहले स्टूडेंट्स पर पियर प्रेशर रहता था। अब उसकी जगह फैशन के प्रेशर ने ले ली है। अब हर किसी को इस बात की चिंता है की अगर वह फैशनेबल नहीं दिखेंगे तो कॉलेज में उनके फ्रेंड्स नहीं बनेंगे। स्टूडेंट्स को लगने लगा है कि अगर वो अच्छे दिखेंगे तो लोग उनकी तरफ अट्रेक्ट होंगे। हर दिन स्टूडेंट्स इस जद्दोजहद में रहते हैं कि आज वह क्या अलग करे।

अच्छा दिखने में नहीं है कोई बुराई

अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाली वर्षा का कहना है कि आज के समय में सब स्मार्ट बनना चाहते हैं। आज के दौर में लोगों को उनके अपीयरेंस से जज किया जाता है। ऐसे में हर कोई कॉंफिडेंट दिखने के लिए फैशन का सहारा लेता है ताकि लोग उसे अटेंशन दें। अच्छा दिखना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। ऐसे में फैशन एक ज़रूरत बन चुका है। बस इस बात का ख्याल रहे कि ये सोबर लगे न कि ओवर।

लखनऊ यूनिवर्सिटी में बीएससी के स्टूडेंट दीपांशु कहते हैं कि लड़कियों से शुरू हुआ फैशन ट्रेंड अब इतना हावी हो चुका है कि लड़के भी इस ट्रेंड को आंख मूंदकर फॉलो करने लगे हैं।

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क्या है टीचर्स की राय

लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इस मिर्ज़ा का कहना है कि फैशन करने में कोई बुराई नहीं है अगर इसका असर पढ़ाई पर न पड़े। लेकिन अफसोस कि अब स्टूडेंट्स पढ़ाई से ज़्यादा फैशन को सीरियसली लेते हैं। यही वजह है कि अधिकतर स्टूडेंट्स कॉलेज में आने के बाद भी करियर को लेकर सशंकित रहते हैं। पहले के स्टूडेंट्स में पढ़ाई को लेकर कॉम्पटीशन रहता था मगर आज के स्टूडेंट्स एक दूसरे के लुक्स को लेकर कॉम्पटीशन करते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि स्टूडेंट्स फैशन और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाकर रखें।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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