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Garbage On The Moon: चांद पर कचरा मानवता की नई चुनौती, नासा ने मांगा हल, इनाम 25 करोड़ रुपये तक
Luna Recycle Challenge: चंद्रमा पर इंसानी मौजूदगी अपने निशान कचरे के रूप में छोड़ने लगी है। नासा अब इस चुनौती से जूझ रहा है और चाहता है कि आप इसका हल सुझाएं। इसके लिए आपको करोड़ों रुपये इनाम के तौर पर मिलेंगे।
Garbage On The Moon (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Garbage On The Moon: जिस चांद को हमने सदियों से प्रेम, प्रेरणा और कविताओं में पूजित किया, अब उसी चंद्रमा पर इंसानी मौजूदगी अपने निशान कचरे के रूप में छोड़ने लगी है। अंतरिक्ष में हमारी वैज्ञानिक प्रगति का नया दौर एक बड़ी नैतिक जिम्मेदारी लेकर आया है। नासा अब इस चुनौती से जूझ रहा है और चाहता है कि आप इसका हल सुझाएं। अगर आपके पास समाधान है, तो आपके नाम हो सकते हैं 25 करोड़ रुपये और वैश्विक पहचान।
क्या है पूरी कहानी
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने हाल ही में एक वैश्विक प्रतियोगिता की घोषणा की है, जिसका नाम है ‘Luna Recycle Challenge’। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य है— चंद्रमा पर उत्पन्न होने वाले कचरे के कुशल और टिकाऊ प्रबंधन के लिए समाधान ढूंढना।
विजेता को 30 लाख डॉलर (लगभग 25 करोड़ रुपये) तक का इनाम मिलेगा। यह पहल नासा के ‘Lunar Surface Innovation Initiative’ का हिस्सा है, जो भविष्य के चंद्र अभियानों को लंबे समय तक सफल बनाने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है।
चंद्रमा पर कचरे की समस्या क्या है (What Is The Problem Of Garbage On The Moon)?
अंतरिक्ष में भेजे गए हर मिशन के साथ चंद्रमा पर भी इंसानी गतिविधियों के ‘दुष्परिणाम’mदिखाई देने लगे हैं। अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा प्रयोग में लाई गई वस्तुएं जैसे कि, भोजन के पैकेट, स्पेससूट के क्षतिग्रस्त हिस्से, प्लास्टिक कंटेनर, धातु स्क्रैप, प्रयोग किए गए उपकरण, बायोमेडिकल वेस्ट (जैसे इस्तेमाल किए गए दस्ताने, सील पैक दवाएं), ये सब अब चंद्रमा की सतह पर अनियंत्रित रूप से जमा हो रहे हैं। इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने का खतरा है, बल्कि यह वैज्ञानिक अनुसंधान और भविष्य की अंतरिक्ष बस्तियों के लिए भी एक गंभीर संकट बन सकता है।
नासा की चुनौती: समाधान चाहिए, लेकिन टिकाऊ और व्यावहारिक
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
इस प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रतिभागियों को ऐसा रीसाइक्लिंग सिस्टम डिजाइन करना होगा, जो चंद्रमा की सतह पर प्रभावी ढंग से काम कर सके, ऊर्जा की कम खपत करे, स्वचालित या सीमित मानव हस्तक्षेप पर आधारित हो।
विभिन्न प्रकार के कचरे (प्लास्टिक, धातु, जैविक, वस्त्र आदि) को पुनः उपयोगी वस्तुओं या संसाधनों में परिवर्तित कर सके, भविष्य के मिशनों में दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले कच्चे माल (जैसे 3D प्रिंटिंग के लिए पाउडर, ईंधन, निर्माण सामग्री) तैयार कर सके।
प्रतियोगिता में कौन-कौन भाग ले सकता है?
वैश्विक स्तर पर यह चुनौती खुली है, यानी दुनिया का कोई भी नागरिक, संस्थान, रिसर्चर, स्टार्टअप, इंजीनियरिंग टीम या छात्र इसमें भाग ले सकते हैं।
प्रतिभागियों को अपने मॉडल या प्रस्ताव का तकनीकी विवरण, संभावित कार्य-प्रणाली और प्रयोग के आधार पर प्रदर्शन देना होगा। शुरुआत में कॉन्सेप्ट चरण के बाद चुने गए प्रतिभागियों को आगे प्रोटोटाइप निर्माण और परीक्षण के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
इसकी आवश्यकता क्यों है, सतत अंतरिक्ष उपस्थिति: चंद्रमा पर लंबी अवधि तक रहने के लिए आवश्यक है कि वहां की वस्तुओं का पुन: उपयोग किया जाए।
लॉजिस्टिक और लागत बचत: पृथ्वी से हर चीज चंद्रमा तक पहुंचाना बेहद महंगा है, इसलिए इन-सिचू रिसोर्स यूटिलाइजेशन (ISRU) का महत्व बढ़ गया है।
पर्यावरणीय नैतिकता: अंतरिक्ष केवल वैज्ञानिक प्रयोगशाला नहीं, अब मानवता की साझा संपत्ति बन चुका है—उसका संरक्षण आवश्यक है।
आर्टेमिस मिशन की तैयारी: नासा के आगामी मिशनों में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों की लंबी मौजूदगी होगी, जिसके लिए अपशिष्ट प्रबंधन की एक व्यावहारिक प्रणाली ज़रूरी है।
भविष्य की कल्पना: चंद्रमा पर ‘ग्रीन’ ज़िंदगी
कल्पना कीजिए, चंद्रमा पर एक प्रयोगशाला या कॉलोनी, जहां हर चीज का उपयोग किया जा रहा है— कचरा भी। जहां फेंकी गई प्लास्टिक शीट्स ईंटों में बदली जा रही हैं, इस्तेमाल किए गए कपड़े तापीय इन्सुलेशन में और जैविक वेस्ट पोषण या ऊर्जा में। यही विज्ञान की असली जीत होगी।
क्या आप बन सकते हैं इस परिवर्तन के सूत्रधार
अगर आपके पास है, कोई इनोवेटिव आइडिया, इंजीनियरिंग सोच,वैज्ञानिक दृष्टिकोण या पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव। तो यह अवसर है खुद को साबित करने का। इस चैलेंज में भाग लेकर आप न केवल विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं, बल्कि मानवता के लिए स्थायी भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त कर सकते हैं। आपका समाधान चांद को बचा सकता है। और वह इनाम 25 करोड़ सिर्फ पैसा नहीं, एक युग की पहचान भी हो सकता है।