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Gen Z का डिजिटल भाई दूज-अब मोबाइल स्क्रीन पर सज रहा भाई-बहन का रिश्ता
Gen Z ने भाई दूज को दिया डिजिटल अंदाज़ — अब तिलक, आरती और गिफ्ट्स मोबाइल स्क्रीन पर। जानें कैसे नई पीढ़ी परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़कर भाई-बहन के रिश्ते को मना रही है वर्चुअल तरीके से।
Gen Z Bhai Dooj (Image Credit-Social Media)
Gen Z Bhai Dooj: सदियों से भाई-बहन के प्यार, स्नेह और सुरक्षा का प्रतीक पर्व भाई दूज भारतीय परम्परा और संस्कृति की एक अहम कड़ी रहा है। कहा जाता है कि इसकी शुरुआत यमराज और उनकी बहन यमुना के प्रेम से हुई थी। परंपरा के अनुसार, बहनें इस दिन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। लेकिन अब समय बदल चुका है। अब मॉडर्न युग की Gen Z पीढ़ी इस रिश्ते को अपनी एक खास स्टाइल में इसे मनाती आ रही है। भाईदूज की परंपरा तो आज भी वही है, पर इसे मनाने का तरीका पूरी तरह नया हो गया है। आइए जानते हैं कि कैसे आज की डिजिटल जनरेशन भाई दूज को मॉडर्न अंदाज़ में मना रही है-
पुरातन परंपरा से टेक्नोलॉजी तक का सफर
भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। हर साल दीपावली के दो दिन बाद, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार को पड़ रहा है। पहले यह त्योहार घरों में पारंपरिक विधि-विधान से मनाया जाता था बहनें आरती उतारतीं, तिलक लगातीं और हाथ से बना व्यंजन खिलातीं। लेकिन आज की व्यस्त और तकनीकी दुनिया में भाई-बहन अक्सर एक ही शहर में नहीं रहते। ऐसे में Gen Z ने परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़कर इसका नया रूप तैयार किया है। आइए जानते हैं Gen Z की आधुनिकता में रचे बसे मॉडर्न भैया दूज की नई परम्परा के बारे में विस्तार से -
रोली चंदन की जगह अब डिजिटल तिलक और वर्चुअल सेलिब्रेशन
जहां कभी भाई के माथे पर रोली चंदन का तिलक लगाने के लिए बहनें घंटों सफर करती थीं, वहीं अब वीडियो कॉल ने दूरी मिटा दी है।
अब कैमरे के सामने ही आरती, तिलक और मिठाई खिलाने का सिलसिला चलता है। डिजिटल तिलक के बाद बहनें व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम या ज़ूम कॉल के ज़रिए भाई को शुभकामनाएं देती हैं और भाई ऑनलाईन गिफ्ट्स, ई-वाउचर या UPI ट्रांसफर से तोहफे भेज देते हैं। मॉडर्न युग में इमोजी तिलक और वर्चुअल मिठाई भी नया ट्रेंड बन चुके हैं जहां प्यार का इज़हार अब स्क्रीन पर भी उतना ही सच्चा लगता है जितना सामने बैठकर।
महंगे गिफ्ट्स की जगह सस्टेनेबल और मिनिमल सेलिब्रेशन
- नई पीढ़ी सिर्फ टेक्नोलॉजी में ही नहीं, सोच में भी आगे है। Gen Z का फोकस अब इको-फ्रेंडली त्योहारों पर है।
- वे प्लास्टिक की सजावट या फायरवर्क्स की जगह मिट्टी के दीपक, ऑर्गेनिक रंगों से तिलक और फूलों की सजावट को प्राथमिकता देते हैं। महंगे गिफ्ट्स की जगह DIY कार्ड्स, हैंडमेड रिटर्न गिफ्ट्स या पर्सनलाइज्ड यादें देने का चलन बढ़ गया है।
- कई बहनें इस मौके पर भाइयों के नाम से पौधे लगाकर पर्यावरण के साथ अपने रिश्ते की जड़ें भी मजबूत करती हैं।
Gen Z के लिए बेहतर मंच बन चुका है सोशल मीडिया
आज का हर त्योहार सोशल मीडिया से जुड़ गया है। भाई दूज भी इससे अछूता नहीं।
Gen Z भाई-बहन अब इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और एक्स पर #BhaiDoojVibes, #SiblingGoals और #MyBroMyHero जैसे हैशटैग्स के साथ अपनी तस्वीरें और रील्स पोस्ट करते हैं। रील्स पर भावुक गाने, बचपन की फोटो कोलाज और मज़ेदार कैप्शन अब रिश्तों को डिजिटल दस्तावेज़ में बदल देते हैं।
सोशल मीडिया ने न सिर्फ त्योहार को वायरल बना दिया है, बल्कि हर पोस्ट के साथ एक नई भावनात्मक कहानी भी सामने लाता है।
भावनाएं पुरानी बस रूप नया - संस्कृति और आधुनिकता का संगम
समय के बदलाव और आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव के साथ भले ही आज समय, तकनीक और रीतियां बदल गई हों, लेकिन भाई-बहनों के रिश्तों के बीच प्यार, सुरक्षा और अपनत्व की भावना से सराबोर भाई दूज पर्व का असली मतलब अब भी वही है। बस Gen Z ने इस त्योहार को एक नए दृष्टिकोण से अपनाया है जहां परंपरा को छोड़ने के बजाय उसे मॉडर्न टच देकर और खूबसूरत बना दिया गया है। भाई दूज अब सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं रहा, बल्कि यह संवेदनाओं का फेस्टिवल बन गया है।
जहां पहले यह पर्व घर की चौखट तक सीमित था, वहीं आज यह दुनिया के किसी भी कोने में बसे भाई-बहनों को जोड़ रहा है।
Gen Z आज परंपराओं को समय के साथ कदम मिलाकर अपनाते हुए आगे बढ़ रहा है। फिर चाहे वो वर्चुअल तिलक हो या सस्टेनेबल पूजा हर कदम इस बात का प्रमाण है कि भावनाएं कभी पुरानी नहीं होतीं, बस उनका रूप अब नई पीढ़ी की अपनी संस्कृति के बीच बदल रहा है।
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