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Holi Story: गंगाजमुनी तहजीब की नायाब मिसाल पेश करता आया है होली का त्यौहार, बड़ा ही अनोखा था अकबर का होली खेलने का रंगढंग
Holi Celebration During Mughal Rule: जब भारत में मुगल साम्राज्य का शासन था, होली का त्योहार न केवल हिंदुओं द्वारा, बल्कि मुसलमानों, विशेषकर मुगल शासकों और उनके दरबारियों द्वारा भी बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता था।
Holi during Mughal rule (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Holi Celebration During Mughal Rule Story: होली, जिसे 'रंगों का त्योहार' कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और प्राचीन पर्व है। यह त्योहार वसंत ऋतु में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च के महीने में पड़ता है। होली का उत्सव दो दिनों तक चलता है: पहले दिन 'होलिका दहन' होता है, जिसमें होलिका की प्रतीकात्मक रूप से अग्नि में आहुति दी जाती है, और दूसरे दिन 'धुलेंडी' या 'रंगवाली होली' मनाई जाती है, जब लोग एक-दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल आदि लगाते हैं और मिल-जुलकर उत्सव का आनंद लेते हैं।
मुगल काल में, जब भारत में मुगल साम्राज्य का शासन था, होली का त्योहार न केवल हिंदुओं द्वारा, बल्कि मुसलमानों, विशेषकर मुगल शासकों और उनके दरबारियों द्वारा भी बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता था। मुगल बादशाहों ने इस त्योहार को अपनी संस्कृति में शामिल किया और इसे शाही उत्सव का रूप दिया। आइए, मुगल शासकों द्वारा होली मनाने की परंपराओं और उनके तरीकों पर विस्तृत दृष्टि डालते हैं।
बाबर (1526-1530):
मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर ने भारत में होली के त्योहार को देखा और इससे प्रभावित हुए। उन्होंने हिंदुओं को होली खेलते देखा और इस उत्सव की जीवंतता और उल्लास से प्रभावित होकर इसमें शामिल हुए। इतिहासकार मुंशी जकुल्लाह ने अपनी पुस्तक 'तहरीक-ए-हिंदुस्तानी' में उल्लेख किया है कि बाबर हिंदुओं को होली खेलते देखकर दंग रह गए थे और वे इस उत्सव में शामिल होते थे।
अकबर (1556-1605):
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
बादशाह अकबर के शासनकाल में होली का त्योहार शाही दरबार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया था। अकबर स्वयं होली खेलने के शौकीन थे और इसके लिए पूरे वर्ष विशेष तैयारिया करते थे। 'आईन-ए-अकबरी' में अबुल फज़ल ने उल्लेख किया है कि अकबर ऐसे रंग जमा करते थे जो दूर तक फैल सकें, ताकि होली के दिन वे आम जनता के साथ मिलकर इस त्योहार का आनंद ले सकें। अकबर की होली खेलने की यह परंपरा उनके साम्राज्य में हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक थी।
जहांगीर (1605-1627):
अकबर के पुत्र जहांगीर के शासनकाल में भी होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता था। जहांगीर संगीत और कला के प्रेमी थे, और होली के अवसर पर उनके दरबार में विशेष महफिलों का आयोजन होता था। जहांगीर की होली मनाने की एक प्रसिद्ध पेंटिंग लंदन के एक संग्रहालय में सुरक्षित है, जिसमें उन्हें अपने हरम में रानियों के साथ होली खेलते हुए दिखाया गया है।
शाहजहां (1628-1658):
शाहजहां के समय में होली का उत्सव और भी भव्य हो गया था। दिल्ली में आज जहाँ राजघाट स्थित है, वहाँ शाहजहां के समय में होली खेली जाती थी। शाहजहां वहाँ आम लोगों के साथ रंग खेलते थे, जिससे यह त्योहार शाही और जनसामान्य के बीच एक सेतु का कार्य करता था।
मोहम्मद शाह रंगीला (1719-1748):
मोहम्मद शाह रंगीला के शासनकाल में होली का उत्सव अपने चरम पर था। वे स्वयं होली खेलने के शौकीन थे और उनके दरबार में इस अवसर पर विशेष आयोजन होते थे। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि उनके समय में होली के दौरान बांस की पिचकारी का उपयोग किया जाता था, जिससे रंग फेंका जाता था।
शाह आलम द्वितीय (1759-1806):
शाह आलम द्वितीय ने होली के अवसर पर ब्रज की होरी पर आधारित पद रचे। उनके द्वारा रचित हिन्दी पदों को 'नादिराते शाही' नामक पुस्तक में संग्रहीत किया गया है, जिसमें होली पर रचित 60 पद शामिल हैं। इन पदों में राधा-कृष्ण के प्रेम, हंसी-ठिठोली और छेड़छाड़ का सुंदर वर्णन मिलता है।
बहादुर शाह जफर (1837-1857):
मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर ने होली को लाल किले का शाही उत्सव बना दिया था। उन्होंने होली के गीत भी रचे, जिन्हें 'होरी' कहा जाता था। उनके लिखे एक प्रसिद्ध होली गीत की पंक्ति है: "क्यों मो पे रंग की मारी पिचकारी"। यह उनके समय में होली की लोकप्रियता और उनके व्यक्तिगत जुड़ाव को दर्शाता है।
*औरंगजेब (1658-1707):
मुगल शासकों में औरंगजेब एकमात्र ऐसे सम्राट थे जिन्होंने होली के उत्सव पर प्रतिबंध लगाया था। उनके शासनकाल में हिंदुओं के कई त्योहारों पर भी प्रतिबंध था, और उन्होंने जजिया कर भी दोबारा लागू किया था, जिसे अकबर ने समाप्त कर दिया था।
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