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Ek Mulaqat: तुमने मुझे क्यों नहीं अपनाया... ये सवाल था अमृता का साहिर लुधियानवी से
Ek Mulaqat: भारतीय उपन्यासकार अमृता प्रीतम साहिर लुधियानवी से बेपनाह मोहब्बत थी। उनके जीवन पर आधारित नाटक का एक किस्सा हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं।
Amrita Pritam And Sahir Ludhianvi (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Ek Mulaqat: "मुझे अपनाया क्यूँ नहीं"... अमृता ने ये सवाल किया और साहिर का जबाब था, "जिसे अंजाम तक पहुंचाना न हो मुमकिन, उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ दे छोड़ना अच्छा।"
साहिर अमृता से सीधे सवाल भी करते हैं, "इमरोज़ की तुम्हारी ज़िन्दगी में क्या जगह है?' और अमृता कहतीं हैं.."तुम्हारा प्यार मेरे लिए किसी पहाड़ की चोटी है पर चोटी पर ज्यादा देर खड़े नहीं रह सकते, बैठने को समतल जमीन भी चाहिए और इमरोज़ मेरे लिए समतल जमीन से हैं। अमृता ये भी कहती हैं..." तुम एक ऐसे छायादार घने वृक्ष के समान हो, जिसके नीचे बैठ कर चैन और सुकून पाया जा सकता है पर रात नहीं गुजारी जा सकती।"
जब साहिर ये पूछते हैं, "इमरोज़ को पता है, मैं यहाँ हूँ ?" जबाब में अमृता कहती हैं ," जब बरसों तक उसकी पीठ पर मैं तुम्हारा नाम लिखती रही थी तो यहां की खामोशी से भी वो समझ गया होगा कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
अमृता को खांसी आती है और साहिर कहते हैं, पानी पी लो,... अमृता कहती हैं," तुम पिला दो.." किनारे रखे मटके से साहिर ग्लास में पानी ले आते हैं पर कहते हैं,,"तुम्हें पता है मुझे ऐसी लिजलिजा मुहब्बत पसंद नहीं" यानि साहिर का लिखा सबकुछ ठोस धरातल पर था, वायवीय नहीं था कुछ भी।
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
साहिर भी अमृता से पूछते हैं, "तुम्हारे व्यक्तित्व में अन्दर की औरत ज्यादा प्रभावी है या कवियत्री? " अमृता कहती हैं," याद है, जब एक बार तुम्हें बुखार था और मैंने तुम्हारे गले और छाती पर विक्स मला था, उस वक़्त मैं सिर्फ एक औरत रह गयी थी और औरत ही बने रह जाना चाहती थी।
अमृता कहती हैं, "हमारे बीच कई दीवार के साथ, अदब की दीवार भी है। तुम उर्दू में लिखते हो और मैं पंजाबी में। जब 'सुनहड़े' को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला तो मैंने सोचा ऐसे पुरस्कार का क्या फायदा, जिसके लिए लिखा, उसने तो पढ़ा ही नहीं।" साहिर बताते हैं, पंजाबी मेरी मातृभाषा है और तुम्हारी लिखी हर नज़्म पढ़ता हूँ, भले ही बतलाता नहीं।"
थोड़ी देर तक दोनों चुप बैठ रहते हैं , पर उनके बीच की बहती प्रेमधारा और बोलती खामोशी, दर्शक शिद्दत से महसूस करते हैं। फिर एक 'ट्रंक कॉल' आता है... और इस बार अमृता फोन उठाती हैं... साहिर के हार्ट अटैक की खबर है, दोस्तों के संग ताश की बाजी खेलते हुए वे दुनिया को विदा कह गए। अमृता टेरेस पर वापस आ कर चौंक कर पूछती है.. 'तुम कौन हो..' और साहिर कहते हैं.."तुमसे बिना विदा लिए कैसे चला जाता। मेरी ज़िन्दगी की सारी जमा पूँजी तो तुम हो।"
अमृता प्रीतम और साहिर लुधियानवी के जीवन पर आधारित (नाटक) 'एक मुलाकात'