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Madame Tussaud Story: अब सॉसेज रोल को भी मिला सेलिब्रिटी का दर्जा, जानिए मैडम तुसाद में अनोखी मूर्ति के पीछे की दिलचस्प कहानी
Madame Tussaud Story: लंदन के प्रसिद्ध मैडम तुसाद का संग्रहालय में कई सेलेब्रिटीज़ के बीच में ग्रेग्स सॉसेज रोल को मोम की मूर्ति के रूप में प्रदर्शित किया गया है,आइये जानते हैं क्या है इसके पीछे की वजह।
Statue Sausage Roll has also got Celebrity Status (Image Credit-Social Media)
Madame Tussaud Story: एक ऐसा संग्रहालय जहां शाहरुख खान की मुस्कान, एलबर्ट आइंस्टीन की सोच या फिर माइकल जैक्सन की हरकतें जैसी कई नाम चीन हस्तियों की परछाईं मोम में कैद हैं। ये कोई और जगह नहीं बल्कि लंदन के प्रसिद्ध मैडम तुसाद का संग्रहालय है। जहां अपने-अपने क्षेत्र में महान हस्तियों की मोम की मूर्तियां मौजूद हैं। लेकिन अब उसी संग्रहालय में पहलीबार एक साधारण-सा दिखने वाला ‘सॉसेज रोल’ भी शान बढ़ा रहा है। सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन लंदन के प्रसिद्ध मैडम तुसाद संग्रहालय में ग्रेग्स सॉसेज रोल को मोम की मूर्ति के रूप में प्रदर्शित किया गया है। यह केवल एक मजाक या सनक नहीं है बल्कि इसके पीछे ब्रिटिश संस्कृति की एक गहरी परंपरा और पहचान की भावना भी छुपी है। आइए इस बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करते हैं -
मैडम तुसाद - एक विरासत एक प्रतिष्ठा
लंदन स्थित मैडम तुसाद संग्रहालय विश्वप्रसिद्ध है। यह संग्रहालय सिर्फ मोम की मूर्तियों का संग्रह नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और ग्लैमर का अद्भुत संगम है। फ्रेंच कलाकार मैरी तुसाद द्वारा 1835 में शुरू किया गया यह संग्रहालय अब वैश्विक पहचान बना चुका है। चाहे वह महात्मा गांधी हों, ओपरा विन्फ्रे हों या विराट कोहली इस संग्रहालय की दीवारों ने दुनिया की बड़ी हस्तियों के मोम प्रतिरूपों को अपनी गोद में सजाया है। किसी समारोह या प्रदर्शनी में मैडम तुसाद में मूर्ति लगना एक तरह का ‘आधिकारिक मान्यता पत्र’ है। यह साबित करता है कि आप समाज और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
इंसानों की प्रतिमूर्तियों के बीच आया एक मशहूर ग्रेग्स सॉसेज रोल स्नैक
हाल ही में इस संग्रहालय ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने दुनिया भर के लोगों को चौंका दिया। इस बार मंच पर न कोई अभिनेता था, न नेता, न खिलाड़ी और न कोई वैज्ञानिक। इस बार मंच पर था एक ग्रेग्स सॉसेज रोल एक स्वादिष्ट फूड।
यह पहली बार है जब किसी खाने की चीज़ को मोम की मूर्ति के रूप में संग्रहालय में शामिल किया गया। ये केवल हास्यप्रद नहीं बल्कि ऐतिहासिक घटना भी है।
क्यों खास है यह क्रिस्पी सॉसेज रोल?
ग्रेग्स सॉसेज रोल यूनाइटेड किंगडम में एक अत्यंत लोकप्रिय स्नैक है। यह एक परतदार पफ पेस्ट्री होती है जिसमें मसालेदार मांस भरा होता है। हर दिन ग्रेग्स की दुकानों से करीब 10 लाख सॉसेज रोल बिकते हैं। जो इसकी लोकप्रियता और सांस्कृतिक प्रभाव को दर्शाता है। ब्रिटेन में यह स्नैक न केवल भूख मिटाने का जरिया है, बल्कि ब्रिटिशनेस’ का स्वाद एक पहचान बन चुका है।
सांस्कृतिक क्षेत्र में विशेष स्थान
मैडम तुसाद संग्रहालय के सांस्कृतिक क्षेत्र में इस मूर्ति को रखा गया है जो बताता है कि, यह केवल भोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक बन चुका है। स्टूडियो मैनेजर जो किन्से कहती हैं कि, 'ग्रेग्स सॉसेज रोल ब्रिटिश संस्कृति का पर्याय है। यही वजह है कि हमने इसे कल्चरल ज़ोन में स्थान देने का निर्णय लिया। यह लोगों के दिलों और ज़ुबान दोनों में राज करता है।'
कलाकारी की बारीकी असली नजर आता है ये रोल
मोम से बनी यह मूर्ति किसी भी दृष्टिकोण से नकली नहीं लगती। जो किन्से और उनकी टीम ने दिन-रात मेहनत करके इसे असली जैसा रूप देने की ठानी। इसमें पेस्ट्री की परतें, ब्राउनिंग इफेक्ट, हल्की दरारें और मांस की बनावट जैसी बारीकियां तक गढ़ी गईं।
उनके अनुसार, ’हमने इस प्रक्रिया को उतनी ही गंभीरता और संवेदनशीलता से लिया जितनी किसी सेलेब्रिटी मूर्ति को देते हैं।'
यह मूर्ति सर डेविड एटनबरो और विलियम शेक्सपियर जैसी महान हस्तियों के बीच प्रदर्शित की गई है जो इसकी अहमियत को दर्शाती है।
5 जून - राष्ट्रीय सॉसेज रोल दिवस का उपलक्ष्य
5 जून को पूरे ब्रिटेन में ’नेशनल सॉसेज रोल डे’ मनाया जाता है। इस मौके पर मूर्ति का अनावरण का समय भी विशेष ध्यान रखा गया है। यह मूर्ति इसी अवसर पर प्रदर्शित की जाएगी और 4 हफ्तों तक संग्रहालय में रहेगी। यह न केवल एक उस कला और कलाकार के प्रति सम्मान है बल्कि एक त्योहार की तरह मनाया गया प्रतीक भी।
ग्रेग्स के CEO की प्रतिक्रिया- गौरव का क्षण
ग्रेग्स कंपनी के CEO रोसिन करी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,'हम रोमांचित हैं कि मैडम तुसाद ने ग्रेग्स सॉसेज रोल को इतनी प्रतिष्ठा से नवाजा। यह उत्पाद देशभर में पसंद किया जाता है और इससे बेहतर श्रद्धांजलि राष्ट्रीय सॉसेज रोल दिवस पर नहीं हो सकती थी।' उन्होंने इसे ‘सेलेब्रिटी ट्रीटमेंट’ बताया। जो एक आम से साधारण उत्पाद के लिए एक बेहद असाधारण सम्मान है। सॉसेज रोल की स्टेच्यू को शामिल करना केवल एक मनोरंजक प्रयोग नहीं है। यह संग्रहालय की सोच को दर्शाता है। जहां परंपरा के साथ नवाचार को भी स्थान दिया जाता है। मैडम तुसाद ने दिखा दिया कि सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि वो चीजें भी जो जनमानस में गहराई से बस चुकी हैं। उन्हें भी वह सम्मान दिया जाना चाहिए जिसकी वे हकदार हैं।
मैरी तुसाद का कलाकार से संग्रहालय तक का सफर
दुनिया में अपनी अनोखी कला के दम पर लोकप्रिय हो चुकी मैडम तुसाद यानी मैरी तुसाद के जीवन से जुड़े कलात्मक पहलुओं पर अगर नजर डालें तो फ्रांस में जन्मी मैरी ने बहुत कम उम्र में मोम से चेहरे बनाना सीख लिया था। फ्रेंच क्रांति के दौरान उन्होंने फांसी पर चढ़ाए गए लोगों के चेहरों के मोम प्रतिरूप बनाए। उनका यह हुनर इतना प्रसिद्ध हुआ कि उन्होंने 1835 में लंदन में अपनी पहली प्रदर्शनी शुरू की। वह महिला जिसने क्रांति और आतंक के बीच कला की मशाल जलाए रखी वही अब उस जगह की नींव बनी जहां एक आम से सॉसेज रोल को भी विश्व स्तर का कला का दर्जा मिल रहा है।
सांस्कृतिक संवाद का एक अनूठा उदाहरण
मैरी तुसाद का यह कदम बताता है कि, संस्कृति सिर्फ किताबों, भाषणों या परंपराओं तक सीमित नहीं बल्कि वह हमारे खान-पान, रहन-सहन और हमारी पसंद-नापसंद में भी बसती है। मैडम तुसाद द्वारा ग्रेग्स सॉसेज रोल की मूर्ति प्रदर्शित करना इस सांस्कृतिक संवाद का एक अनूठा और प्रभावशाली उदाहरण बन गया है। इनके कलात्मक संग्रह में एक खाद्य उत्पाद की मूर्ति इस बात का भी प्रमाण है कि संस्कृति सिर्फ दिखावे की चीज नहीं होती वह आपके दैनिक जीवन से गहराई से भी जुड़ी होती है।
ग्रेग्स सॉसेज रोल ब्रिटिश समाज का एक अहम हिस्सा बन चुका है और अब यह मोम से बनी मूर्ति के जरिए इतिहास का भी हिस्सा बन गया है। साधारण वस्तुएं भी असाधारण बन सकती हैं अगर उनके पीछे लोगों की भावनाएं और कलात्मकता जुड़ी हो तो।
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