Pedo Mein Feelings: क्या पेड़ भी महसूस करते हैं? जानिए पौधों की संवेदनाओं और उनकी प्रतिक्रियाओं की अद्भुत दुनिया

Pedo Mein Feelings Hoti Hai: अब तक के अनुसंधानों से यह स्पष्ट हो चुका है कि पौधों में संवेदनाएं होती हैं। हालांकि, यह संवेदनाएं हमारे जैसे तंत्रिका तंत्र द्वारा अनुभव किए गए दर्द या भावनाओं से भिन्न होती हैं, लेकिन यह पौधों की जीवनदायिनी प्रक्रियाओं का अहम हिस्सा हैं।

Shivani Jawanjal
Published on: 14 April 2025 7:45 PM IST
Kya Pedo mein bhi Feelings Hoti Hai
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Kya Pedo mein bhi Feelings Hoti Hai (Photo - Social Media)

Kya Pedo mein bhi Feelings Hoti Hai: प्राकृतिक जगत की गहराइयों में झांकें तो ऐसा प्रतीत होता है मानो हर तत्व अपने भीतर कोई कहानी समेटे हुए है, और पौधे, जो हमारी ज़िंदगी की नींव हैं, उनमें भी कुछ ऐसा ही रहस्य छिपा है। अब तक हम पौधों को केवल स्थिर और निष्क्रिय जीव मानते आए हैं , जिन्हें बस सूर्य की रोशनी, जल और मृदा चाहिए होती है। लेकिन क्या वाकई वे इतने सरल हैं? क्या वे केवल जीवित हैं, या सच में ‘जीवंत’ भी हैं?

आज का विज्ञान इस पारंपरिक सोच को चुनौती देता है। आधुनिक शोध बताते हैं कि पौधे न केवल संवेदनशील होते हैं, बल्कि अपने आस-पास के परिवेश में घट रही घटनाओं पर प्रतिक्रिया भी करते हैं। वे प्रकाश, तापमान, स्पर्श, आवाज़, यहाँ तक कि दूसरों की उपस्थिति तक को महसूस कर सकते हैं। उनकी यह प्रतिक्रिया इतनी सूक्ष्म होती है कि सामान्य आंखों से पकड़ना मुश्किल है, लेकिन इसका अस्तित्व वैज्ञानिक प्रमाणों द्वारा सिद्ध किया जा चुका है। यह जानकारी न केवल जैविक दृष्टिकोण से रोचक है, बल्कि हमारे और पौधों के बीच एक गहरे भावनात्मक रिश्ते की संभावना भी प्रकट करती है।

इस लेख में हम पौधों की संवेदनशीलता और उनकी प्रतिक्रियात्मक क्षमताओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करेंगे।

पौधों में संवेदनाओं का अस्तित्व

पौधे संवेदनाओं को महसूस कर सकते हैं, यह सिद्धांत अब अधिक स्पष्ट हो चुका है। वैज्ञानिकों ने यह पाया है कि पौधे वातावरण से जुड़ी विभिन्न परिस्थितियों का पता लगा सकते हैं, जैसे कि तापमान, आर्द्रता, प्रकाश, और यहाँ तक कि जैविक संकेतों का भी। हालांकि, पौधों के पास तंत्रिका तंत्र नहीं होता, फिर भी वे रसायनिक और इलेक्ट्रोकेमिकल संकेतों के माध्यम से अपनी प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करते हैं।

संवेदनात्मक प्रतिक्रियाएँ - पौधे बाहरी संकेतों के प्रति प्रतिक्रिया करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। उदाहरण के लिए, जब कोई पौधा अपनी जड़ों से गहरे दबाव को महसूस करता है, तो वह अपना विकास दिशा बदल देता है और उस दिशा में बढ़ने लगता है, जहां उसे अधिक पानी या पोषक तत्व मिल सकते हैं। यह उसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।

रासायनिक संकेत - पौधे प्रकाश, तापमान और यहां तक कि हवा में मौजूद रासायनिक तत्वों को भी महसूस करते हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि जब एक पौधा किसी बाहरी संकट का सामना करता है, जैसे कि किसी कीट द्वारा हमला या शारीरिक क्षति, तो वह अपने आसपास के पौधों को चेतावनी देने के लिए रासायनिक संकेत भेजता है। यह एक सामूहिक प्रतिक्रिया होती है, जिससे अन्य पौधे अपनी सुरक्षा के लिए उचित उपाय करते हैं।

कृषि और प्राकृतिक वातावरण में संकेत - कई पौधों में यह क्षमता होती है कि वे अन्य पौधों के लिए चेतावनियाँ भेज सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब एक पौधा किसी कीट द्वारा हमला झेलता है, तो वह अपने पत्तों से ऐसे रासायनिक संकेत छोड़ता है, जो पास के पौधों को सतर्क कर देते हैं, जिससे वे कीटों से बचने के उपाय अपनाते हैं। यह स्थिति केवल प्राकृतिक वातावरण तक सीमित नहीं रहती, बल्कि कृषि में भी इसका प्रभाव देखा गया है।

विज्ञान की दृष्टि से, पौधों की संवेदनशीलता

प्रतिक्रिया प्रणाली का विकास - पौधों में मस्तिष्क या तंत्रिका तंत्र नहीं होता, परंतु इसके बावजूद वे प्रकाश, गुरुत्वाकर्षण, जल, स्पर्श, तापमान और रसायनों जैसी बाहरी उत्तेजनाओं पर प्रतिक्रिया करने में सक्षम होते हैं। यह प्रक्रिया ट्रोपिज़्म (Tropism) कहलाती है। जैसे:

फोटो ट्रोपिज़्म - प्रकाश की दिशा में झुकना।

ग्रैविट्रोपिज़्म - गुरुत्व की दिशा में जड़ का नीचे और तने का ऊपर बढ़ना।

थिग्मोट्रोपिज़्म - स्पर्श के प्रति प्रतिक्रिया, जैसे मदार या मनीप्लांट का किसी सहारे से चिपक जाना।

ये सभी प्रतिक्रियाएं इस ओर संकेत करती हैं कि पौधे बाहरी परिवेश को "महसूस" करने की क्षमता रखते हैं।

बायोकेमिकल कम्युनिकेशन (रासायनिक संवाद) - पौधों के पास संवेदी तंत्र तो नहीं होता, लेकिन वे रासायनिक सिग्नलों के माध्यम से एक-दूसरे से और अपने वातावरण से संवाद करते हैं। उदाहरण के तौर पर:

जब किसी पौधे पर कीट हमला करता है, तो वह वोलाटाइल ऑर्गैनिक कंपाउंड्स (VOCs) छोड़ता है जो आस-पास के पौधों को सतर्क कर देते हैं। वे भी तुरंत अपनी रक्षा प्रणाली सक्रिय कर लेते हैं। टमाटर, मक्का और सोयाबीन जैसे पौधे इस चेतावनी व्यवस्था में अग्रणी हैं।

विद्युत संकेतों की भूमिका - शोधकर्ता जगदीश चंद्र बोस ने यह सिद्ध किया था कि पौधे विद्युत संकेतों के माध्यम से प्रतिक्रिया करते हैं। उन्होंने क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र के माध्यम से पौधों की गति और प्रतिक्रिया को मापा। उनकी रिसर्च ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था जब यह सामने आया कि पौधे दर्द, डर और आनंद जैसी अवस्थाओं का अनुभव करते हैं, भले ही वे इन भावनाओं को हमारे जैसे व्यक्त न कर सकें।

पौधों के आत्मरक्षात्मक व्यवहार

पौधे सिर्फ अपने वातावरण से उत्तेजनाएँ महसूस नहीं करते, बल्कि वे आत्मरक्षा के लिए भी कई तरीकों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, जब कोई पौधा खतरे में होता है, तो वह अपनी रक्षा करने के लिए कई प्रकार के रासायनिक या शारीरिक परिवर्तन करता है।

कंटेनर और शारीरिक संरचना: कई पौधे अपनी पत्तियों, कांटों या शाखाओं को ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हैं, ताकि वे जानवरों या अन्य शत्रुओं से बच सकें। कुछ पौधों में यह क्षमता होती है कि वे अपनी पत्तियों को कड़ी कर सकते हैं, जिससे कीटों को उनसे चिपकने में मुश्किल होती है।

रासायनिक रक्षा: पौधे रासायनिक रूप से भी खुद को बचाते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ पौधे विषैले रसायन उत्पन्न करते हैं, जिससे जानवर उन्हें खाने से बचते हैं। एक उदाहरण के रूप में, कैक्टस में कांटे होते हैं, जो जानवरों को उनके नाजुक तंतुओं तक पहुँचने से रोकते हैं। इसी तरह, टमाटर जैसे पौधे कीटों द्वारा हमले के बाद कुछ रसायन उत्सर्जित करते हैं, जो आसपास के पौधों को खतरे से सचेत करते हैं।

स्मृति और चेतावनी प्रणाली - पौधों में यह गुण भी पाया गया है कि वे पिछले अनुभवों से सीख सकते हैं। जब कोई पौधा बार-बार किसी स्थिति का सामना करता है, तो वह इस अनुभव से सीखकर भविष्य में उस पर जल्दी प्रतिक्रिया करता है। यह तंत्रिकीय दृष्टिकोण से अलग होते हुए भी एक प्रकार की ‘स्मृति’ का परिचायक है।

क्या पेड़ भी महसूस करते हैं?

अब यह सवाल उठता है कि क्या पौधे किसी प्रकार की चेतना रखते हैं, जैसे मनुष्यों या जानवरों में होती है? यह प्रश्न वैज्ञानिक समुदाय में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। कुछ शोधों ने यह दिखाया है कि पौधों के पास एक प्रकार की 'संचालन प्रणाली' होती है, जो उन्हें बाहरी वातावरण से जोड़ती है और उन्हें प्रतिक्रिया करने की क्षमता देती है।

पौधों में चेतना का सिद्धांत - कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि पौधों में चेतना हो सकती है, लेकिन यह चेतना मानव चेतना से बहुत भिन्न होती है। पौधों की यह चेतना सीधे तौर पर उनका अस्तित्व बनाए रखने, भोजन प्राप्त करने और सुरक्षा की दिशा में काम करती है। हालांकि, यह चेतना मनुष्य की मानसिकता या अनुभूति से कहीं अधिक बुनियादी है।

दृष्टि और श्रवण क्षमता - कुछ शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि पौधे किसी प्रकार की ध्वनियों या कंपन को महसूस करने की क्षमता रखते हैं। जब पत्तियाँ या जड़ें कंपन का अनुभव करती हैं, तो वे अपनी संरचना में कुछ बदलाव लाती हैं। हाल ही के एक अध्ययन में यह पाया गया कि पेड़ और पौधे भी पर्यावरणीय ध्वनियों का उत्तर दे सकते हैं, जैसे कि कीटों के चलते या पत्तियों की हलचल की ध्वनियाँ।

पौधों के दर्द की अनुभूति

जब हम दर्द की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में तंत्रिका तंत्र द्वारा अनुभव की जाने वाली पीड़ा की छवि आती है। लेकिन, क्या पौधे भी दर्द महसूस करते हैं? यह एक जटिल सवाल है, क्योंकि पौधों में तंत्रिका तंत्र नहीं होता। फिर भी, कुछ अध्ययन बताते हैं कि पौधे विभिन्न प्रकार के रासायनिक संकेतों का उत्पादन करते हैं, जो उनके शारीरिक संघर्ष या चोट के परिणाम होते हैं।

पौधों का यह रासायनिक उत्तर शारीरिक रूप से दर्द की अनुभूति से मेल नहीं खाता, लेकिन यह उन्हें किसी खतरे का संकेत देने के रूप में काम करता है। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि पौधे किसी भौतिक पीड़ा को महसूस नहीं करते, लेकिन वे निश्चित रूप से अपने जीवन को बनाए रखने और बचाव के लिए प्रतिक्रियाएँ व्यक्त करते हैं।

प्रकृति में संवेदनशील पौधों के उदाहरण

छुईमुई (Mimosa pudica) - छुईमुई वह पौधा है जो स्पर्श करते ही अपने पत्तों को समेट लेता है। यह पौधा दर्शाता है कि बाहरी स्पर्श को पहचानने और प्रतिक्रिया देने की उसमें स्वाभाविक क्षमता है।

कीटभक्षी पौधे (Carnivorous Plants) - जैसे वीनस फ्लाई ट्रैप और पिचर प्लांट, जो अपने शिकार के स्पर्श को पहचानकर उसे फँसाते हैं। ये पौधे किसी जानवर की तरह चेतन प्रतीत होते हैं।

एक भावनात्मक दृष्टिकोण

कई अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि मनुष्य और पौधों के बीच ऊर्जा या कम्पन (vibration) का आदान-प्रदान होता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि पौधे संगीत, सकारात्मक सोच या प्रेमपूर्ण व्यवहार के प्रति भी प्रतिक्रिया देते हैं:

क्लासिकल संगीत सुनने वाले पौधे बेहतर वृद्धि करते हैं।

जो पौधे स्नेह से सींचे जाते हैं, वे अधिक समय तक स्वस्थ रहते हैं।

ये शोध भले ही पूरी तरह से सिद्ध न हुए हों, लेकिन ये यह संकेत जरूर देते हैं कि पौधों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव भी संभव है।

भविष्य की दिशा, प्लांट न्यूरोबायोलॉजी

एक नया वैज्ञानिक क्षेत्र प्लांट न्यूरोबॉयोलॉजी (Plant Neurobiology) इस विचार पर केंद्रित है कि पौधों में तंत्रिका तंत्र न होते हुए भी वे न्यूरो-जैसी प्रतिक्रियाएं दे सकते हैं। यह क्षेत्र अभी विकासशील है लेकिन यह सोच को बदल रहा है कि ‘जागरूकता’ या ‘संवेदना’ केवल मस्तिष्क से ही उत्पन्न होती है।

क्या पौधे ‘महसूस’ कर सकते हैं?

यह प्रश्न अभी भी वैज्ञानिक जगत में विवाद का विषय है। पौधों में मस्तिष्क नहीं होता, इसलिए वे हमारी तरह भावनाओं का अनुभव नहीं कर सकते। लेकिन उनकी प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि उनमें एक अलग प्रकार की संवेदनशीलता मौजूद है, जो रासायनिक, जैविक और विद्युत संकेतों के आधार पर काम करती है।

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