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Shardiya Navratri 2025 Day 8: अष्टमी विशेष, जानिए मां महागौरी की कृपा पाने का सही तरीका
Shardiya Navratri 2025 Day 8: आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2025 की अष्टमी का महत्व, माँ महागौरी की कथा और स्वरूप, पूजा विधि, शुभ रंग, प्रिय भोग और इस दिन मिलने वाले आध्यात्मिक फल।
Shardiya Navratri 2025 Day 8 Maa Mahagauri Puja Vidhi
Shardiya Navratri 2025 Day 8 Maa Mahagauri: शारदीय नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जिसे नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और आराधना करके मनाया जाता है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि यानी आठवाँ दिन, माँ महागौरी को समर्पित होता है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी या महाअष्टमी भी कहा जाता है। माना जाता है कि माँ महागौरी अपने भक्तों के पाप दूर कर उन्हें पुण्य, शांति और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। अष्टमी का दिन विशेष रूप से कन्या पूजन और कन्याभोज के लिए शुभ माना गया है। इस दिन माँ महागौरी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
अष्टमी तिथि कब है?
शारदीय नवरात्रि 2025 का आठवाँ दिन यानी महाअष्टमी 30 सितंबर 2025, मंगलवार को पड़ेगा। इस दिन भक्त विशेष रूप से कन्या पूजन, माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना और दुर्गा सप्तशती पाठ का आयोजन करते हैं।
माँ महागौरी का स्वरूप
माँ दुर्गा का आठवाँ रूप 'महागौरी' अत्यंत सौम्य, शांत और करुणामयी माना गया है। मां महागौरी का रंग हिम और चंद्रमा की तरह श्वेत और उज्ज्वल होता है, इसलिए उन्हें महागौरी कहा जाता है। उनके वस्त्र और आभूषण भी सफेद होते हैं, जो शुद्धता और निर्मलता का प्रतीक हैं। मां महागौरी के चार हाथ होते हैं - एक हाथ में त्रिशूल, दूसरा हाथ में डमरू, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में होता है जो निर्भयता दिखाता है और चौथा हाथ वर मुद्रा में होता है जो कृपा का संदेश देता है। उनका वाहन वृषभ यानी सफेद बैल है जो धर्म और सत्य का प्रतीक माना जाता है।
माँ महागौरी की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की, जिसके कारण उनका शरीर काला पड़ गया था। उनके इस तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया जिससे उनका शरीर स्वर्ण सा उज्ज्वल, गौर और पवित्र हो गया। इसी कारण उन्हें महागौरी कहा जाता है। एक और कथा के अनुसार माता पार्वती ने बाल्यकाल में शिवजी को पति रूप में पाने के लिए कठिन व्रत रखा, जिससे उनके तन पर धूल-मिट्टी जम गई थी और शिवजी ने गंगाजल से उनका शरीर पवित्र और गौर वर्ण बना दिया।
अष्टमी का महत्व
नवरात्रि का आठवां दिन यानि अष्टमी माँ महागौरी को समर्पित होता है और इसे बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन पापों का नाश और संकटों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है, जिससे भक्तों के जीवन के दुख और परेशानियाँ दूर होती हैं। समाज में अष्टमी का सबसे खास महत्व कन्या पूजन का है क्योंकि कन्याओं को माँ शक्ति का स्वरूप माना जाता है। इस दिन दुर्गा सप्तशती, रामचरितमानस और देवी माहात्म्य का पाठ करना बहुत पुण्यकारी होता है। माँ महागौरी विशेष रूप से उन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
माँ महागौरी की पूजा-विधि
अष्टमी तिथि पर माँ महागौरी की पूजा बहुत ही नियमपूर्वक और श्रद्धा भाव से करनी चाहिए।
प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ सफेद या गुलाबी वस्त्र धारण करें।
घर या मंदिर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
माँ दुर्गा का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें और विशेषकर महागौरी का ध्यान करें।
दीपक, धूप, कपूर और अगरबत्ती जलाएँ।
देवी को सफेद पुष्प, चंदन, अक्षत, रोली और सिंदूर अर्पित करें।
माँ महागौरी को विशेष रूप से सफेद पुष्प, कमल या चमेली अर्पित करने की परंपरा है।
भोग के रूप में सफेद रंग की मिठाइयाँ जैसे नारियल लड्डू, खीर, मालपुआ, सफेद मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं।
"ॐ देवी महागौर्यै नमः" मंत्र का 108 बार जप करें।
दुर्गा सप्तशती का पाठ और "अर्जुन कृत देवी स्तुति" का पाठ विशेष लाभदायक माना जाता है।
अंत में देवी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
माँ महागौरी का प्रिय भोग
मां महागौरी को भोग अर्पित करने में नारियल, गुड़, दूध और सफेद मिठाइयाँ बहुत शुभ मानी जाती हैं। खासकर खीर, मालपुआ, नारियल बर्फी, सफेद मिठाई और घी से बने पकवान उनकी पूजा में प्रिय होते हैं। मान्यता है कि दूध और नारियल का भोग अर्पित करने से मां महागौरी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इसके अलावा हलवा, पूड़ी और काले चने का भोग भी अष्टमी के दिन बहुत शुभ माना जाता है।
माँ महागौरी का मंत्र
अष्टमी तिथि पर निम्न मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी माना जाता है:
"ॐ देवी महागौर्यै नमः।"
इस मंत्र के जाप से मन की अशांति दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है और कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है। साथ ही साधक के जीवन में धन-समृद्धि और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
अष्टमी का शुभ रंग
नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी पर मोर-परी हरा रंग पहना जाता है। यह रंग नीले और हरे का सुंदर मिश्रण है और इसे पहनने से जीवन में ताजगी, खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा आती है। इस दिन इस रंग का चुनाव करना शुभ माना जाता है और यह मां महागौरी की कृपा को आकर्षित करने में मदद करता है।
अष्टमी पर कन्या पूजन की परंपरा
नवरात्रि में मां शक्ति को खुश करने का सबसे उत्तम तरीका अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन करना माना जाता है। इस पूजन में आमतौर पर 2 से 9 साल तक की कन्याओं के साथ एक सुहागिन स्त्री को भी आमंत्रित किया जाता है। आमंत्रित कन्याओं के चरण धोकर साफ आसन पर बैठाया जाता है और उन्हें पूरी, चने, हलवा आदि प्रसाद चढ़ाकर भोजन कराया जाता है। इसके बाद कन्याओं को तिलक, पुष्प, वस्त्र और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। माना जाता है कि इस पूजन से मां दुर्गा विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं और साधक की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। कन्या पूजन नवरात्रि व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे श्रद्धा और भक्ति से करना शुभ माना जाता है।
अष्टमी तिथि के आध्यात्मिक और लौकिक फल
मां महागौरी की पूजा से भक्तों के पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की वृद्धि होती है। इससे विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सुगमता आती है। भक्तों को संतान सुख और परिवार में खुशहाली प्राप्त होती है साथ ही रोग, शारीरिक कष्ट और मानसिक तनाव कम होकर उत्तम स्वास्थ्य मिलता है। इस पूजा से मन की शांति, स्थिरता और आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में आर्थिक समृद्धि, मान-सम्मान और सामाजिक मान्यता प्राप्त होती है। साधक के आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र सक्रिय होकर आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग बनते हैं। मां महागौरी की आराधना से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सफलता तथा सुख-संपदा की प्राप्ति होती है।
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