Shardiya Navratri Day 9: महानवमी पर माँ सिद्धिदात्री की पूजा का सही तरीका और आध्यात्मिक महत्त्व

Shardiya Navratri Day 9: नवरात्री के नौवे दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है ।

Shivani Jawanjal
Published on: 17 Sept 2025 4:33 PM IST
Shardiya Navratri Day 9
X

Shardiya Navratri Day 9

Shardiya Navratri Day 9: शारदीय नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख और पावन पर्व है। यह पर्व नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के साथ अत्यंत श्रद्धा से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी या दुर्गा नवमी कहा जाता है। यह दिन माँ दुर्गा के अंतिम स्वरूप माँ सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। 'सिद्धिदात्री' का अर्थ है – सिद्धियाँ प्रदान करने वाली। माना जाता है कि इस दिन माँ दुर्गा की उपासना करने से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियाँ, यश, ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। आइये जानते है इस दिन का महत्त्व और संपूर्ण पूजाविधि ।

नवमी तिथि कब है?

शारदीय नवरात्रि 2025 का नवां दिन यानी महानवमी 1 अक्टूबर 2025, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। इस तिथि पर भक्त शक्ति की साधना का चरम रूप प्राप्त करते हैं और विशेष रूप से हवन का आयोजन करते हैं। कई स्थानों पर अष्टमी और नवमी को संयुक्त रूप से भी कन्या पूजन किया जाता है।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप


माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत ही सुंदर और दिव्य बताया गया है। उनका शरीर सफेद और चमकदार होता है। उनके चार हाथ होते हैं – एक में चक्र, दूसरे में गदा, तीसरे में शंख और चौथे में कमल होता है। वे अक्सर कमल के फूल पर बैठी दिखाई देती हैं और कभी-कभी सिंह पर सवार रूप में भी वर्णित की जाती हैं। माँ सिद्धिदात्री के भक्तों में देवता, दानव, यक्ष, गंधर्व, सिद्ध और साधक सभी शामिल होते हैं। माना जाता है कि उनकी कृपा से भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप मिला था। नवदुर्गा में उनका यह रूप बहुत शक्तिशाली और शुभ माना जाता है।

माँ सिद्धिदात्री की कथा

पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि जब ब्रह्मांड बन रहा था, तब भगवान शिव ने माँ दुर्गा की कड़ी तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ सिद्धिदात्री ने उन्हें आठ खास सिद्धियाँ दीं - अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इन शक्तियों की मदद से भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर रूप धारण किया। इसी वजह से माँ को सिद्धिदात्री कहा जाता है। उनकी कृपा से देवताओं, ऋषियों और भक्तों को भी विशेष शक्तियाँ मिलीं, जिससे ब्रह्मांड का सही तरीके से संचालन हो पाया।

नवमी का महत्व

नवरात्रि की नवमी तिथि बहुत खास मानी जाती है क्योंकि इस दिन शक्ति साधना अपने चरम पर होती है। इस दिन लोग माँ सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और मन की शांति व मोक्ष की कामना करते हैं। नवमी के दिन कन्या पूजन और हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से जीवन के दुख दूर होते हैं और घर में सुख-शांति, सफलता और सिद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन को महानवमी भी कहा जाता है और खास पूजा-पाठ व अनुष्ठान किए जाते हैं।

माँ सिद्धिदात्री की पूजा-विधि

प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।

माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर विशेष ध्यान माँ सिद्धिदात्री पर करें।

कलश और दीपक प्रज्वलित करें और धूप, पुष्प, चंदन, रोली, अक्षत अर्पित करें।

देवी को विशेषकर लाल और गुलाबी पुष्प अर्पित करें।

भोग में खीर, हलवा, नारियल, नारियल लड्डू और मौसमी फल चढ़ाएँ।

"ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः" मंत्र का 108 बार जप करें।

दुर्गा सप्तशती के श्रीसूक्त और सिद्धिदात्री स्तुति का पाठ लाभकारी माना जाता है।

अंत में आरती कर परिवार और भक्तगणों में प्रसाद वितरित करें।

माँ सिद्धिदात्री का प्रिय भोग

माँ सिद्धिदात्री को खुश करने के लिए भक्त खीर, हलवा, पूड़ी, चने, नारियल और मौसमी फल का भोग लगाते हैं। खासकर खीर और चने-पूड़ी का भोग बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और माँ का आशीर्वाद मिलता है। माना जाता है कि इन प्रिय भोगों को अर्पित करने से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियाँ और कल्याण प्राप्त होता है।

नवमी का शुभ रंग

नवरात्रि के नौवें दिन का शुभ रंग गुलाबी होता है। यह रंग प्रेम, दया और करुणा का प्रतीक माना जाता है। गुलाबी रंग हमें सिखाता है कि रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखना कितना जरूरी है। इस दिन गुलाबी रंग पहनने से मन में सकारात्मकता आती है और घर का माहौल खुशहाल रहता है।

नवमी पर कन्या पूजन

नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को शक्ति का प्रतीक मानकर उनके चरण धोकर उन्हें आसन पर बिठाया जाता है। उसके बाद उन्हें तिलक किया जाता है और पूरी, काले चने, हलवा, मिष्ठान एवं फल आदि का भोजन कराया जाता है। पूजा के उपरांत उन्हें दक्षिणा, वस्त्र या उपहार देकर आशीर्वाद लिया जाता है। मान्यता है कि कन्या पूजन करने से साधक को समस्त देवी आशीर्वाद देती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

आध्यात्मिक और लौकिक फल

माँ सिद्धिदात्री की उपासना से भक्तों को सिद्धियों और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इससे आत्मविश्वास, वैभव और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। जीवन के संकट और कष्ट दूर होकर परिवार में आनंद और सुख-शांति रहती है। राजकीय, सामाजिक और व्यावसायिक कार्यों में सफलता मिलती है। साथ ही साधक का मन अध्यात्मिक दिशा में अग्रसर होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

Admin 2

Admin 2

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!