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Sikandar Mahan Ka Itihaas: एक योद्धा जिसने दुनिया को अपने कदमों में झुका दिया, जानिए सिकंदर महान की जीवनगाथा
Alexander The Great Biography: सिकंदर महान इतिहास के सबसे बड़े विजेताओं में से एक थे।उन्होंने अपने छोटे जीवनकाल में एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया और आज भी उन्हें इतिहास के महानतम योद्धाओं में गिना जाता है।
History Of Alexander The Great: इतिहास के पन्नों में अनेक महान योद्धाओं का नाम दर्ज है, लेकिन उनमें से एक नाम जो सदैव अमर रहेगा, वह है सिकंदर महान (Alexander The Great)। सिकंदर को उनकी अजेयता के लिए जाना जाता है। अपने अल्प जीवनकाल में उन्होंने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की और कभी किसी युद्ध में पराजित नहीं हुए। सिकंदर महान, जिसे अलेक्जेंडर द ग्रेट के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन यूनान के एक महान राजा और सेनापति थे। उनका जन्म 356 ईसा पूर्व मैसेडोनिया के पेला में हुआ था और वे राजा फिलिप द्वितीय और रानी ओलंपियास के पुत्र थे।सिकंदर की जीवनी में उनकी अद्वितीय सैन्य उपलब्धियाँ और उनके द्वारा स्थापित विशाल साम्राज्य की कहानी शामिल है, जो उन्हें इतिहास के सबसे महान सैन्य नायकों में से एक बनाती है। यह प्रश्न आज भी शोध और चर्चाओं का विषय बना हुआ है कि "आखिर क्यों सिकंदर को कोई हरा नहीं सका?" इस लेख में हम सिकंदर महान के जीवन, उनकी विजयगाथाओं और उनकी अपराजेयता के कारणों का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
सिकंदर महान का प्रारंभिक जीवन(The early life of Alexander the Great)
सिकंदर महान (अलेक्जेंडर द ग्रेट) का जन्म 20 जुलाई 356 ईसा पूर्व में मैसेडोनिया(वर्तमान ग्रीस) के पेल्ला नगर में हुआ था। वह मैसेडोनिया के राजा फिलिप द्वितीय और रानी ओलंपियास (King Philip II and Queen Olympias) के पुत्र थे। बचपन से ही सिकंदर में असाधारण प्रतिभा के संकेत दिखाई देने लगे थे। उनके पिता एक शक्तिशाली योद्धा और कुशल रणनीतिकार थे, जबकि उसकी माता उन्हें यह विश्वास दिलाती थीं कि वह देवताओं का वंशज है, जिससे उसमें अदम्य आत्मविश्वास विकसित हुआ।
सिकंदर(Alexander The Great) की शिक्षा-दीक्षा अत्यंत उच्च स्तर की थी। 13 वर्ष की आयु में उन्हें महान ग्रीक दार्शनिक अरस्तू (Aristotle) का शिष्य बनने का अवसर मिला। अरस्तू ने उन्हें राजनीति, युद्ध रणनीति, विज्ञान, दर्शन, साहित्य और चिकित्सा जैसी महत्वपूर्ण विषयों की शिक्षा दी। इसी दौरान सिकंदर ने "इलियड" और "ओडिसी" जैसे ग्रंथों का गहन अध्ययन किया, जिससे उसमें एक विजेता बनने की प्रेरणा उत्पन्न हुई।
युवावस्था में ही सिकंदर ने अपनी क्षमता का परिचय देना शुरू कर दिया। 16 वर्ष की आयु में, जब सिकंदर के पिता युद्ध अभियान पर गए हुए थे, तब सिकंदर ने मैसेडोनिया की राजधानी की जिम्मेदारी संभाली। 18 वर्ष की आयु में 338 ईसा पूर्व में हुए चेरोनिया के युद्ध में ग्रीक नगर-राज्यों पर विजय प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस युद्ध में उनकी सैन्य कुशलता ने उसे एक महान योद्धा के रूप में स्थापित कर दिया।
राजगद्दी की प्राप्ति(Ascension to the throne)
336 ईसा पूर्व में उनके पिता की हत्या हो गई, जिसके बाद सिकंदर मात्र 20 वर्ष की आयु में मैसेडोनिया के राजा बने। राजा बनते ही सिकंदर ने विद्रोही ग्रीक नगर-राज्यों को पराजित कर अपने शासन को मजबूत किया और फिर अपने जीवन के सबसे बड़े उद्देश्य, विश्व विजय की ओर कदम बढ़ाया।
सिकंदर द्वारा सैन्य अभियान और विजय(Military campaigns and victories of Alexander)
मैसेडोनिया के सिंहासन पर बैठते ही सिकंदर ने सैन्य अभियानों की शुरुआत की। उन्होंने एशिया माइनर, फारस, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की उनकी सबसे प्रसिद्ध विजयों में से एक थी पोरस के खिलाफ हाइडस्पीज़ की लड़ाई, जिसमें उन्होंने एक शक्तिशाली भारतीय राजा को हराया
सिकंदर की प्रमुख विजयगाथाएँ(The major conquests of Alexander the Great)
पर्सिया विजय (334-331 ईसा पूर्व):- सिकंदर ने एशिया माइनर (वर्तमान तुर्की) पर आक्रमण किया और ग्रेनिकस (Granicus) युद्ध में पर्सियनों को पराजित किया। इसके बाद, 333 ईसा पूर्व में हुए इस्सुस (Issus) युद्ध में उसने पर्सिया के राजा डेरियस तृतीय को हरा दिया। आखिरकार, 331 ईसा पूर्व में गौगामेला (Gaugamela) युद्ध में डेरियस तृतीय की अंतिम हार हुई और सिकंदर ने पूरे पर्सिया पर कब्जा कर लिया।
मिस्र विजय (332 ईसा पूर्व):- 332 ईसा पूर्व में सिकंदर ने बिना किसी संघर्ष के मिस्र पर अधिकार कर लिया। मिस्र के लोगों ने उन्हें सम्मानपूर्वक 'फराओ' की उपाधि दी। उन्होंने वहाँ अलेक्जेंड्रिया नामक एक प्रसिद्ध नगर की स्थापना की, जो बाद में ज्ञान, संस्कृति और व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना।
भारत अभियान (327-325 ईसा पूर्व):- सिकंदर ने हिन्दुकुश पर्वत पार कर तक्षशिला (वर्तमान पाकिस्तान) तक अपना साम्राज्य बढ़ाया। 326 ईसा पूर्व में हुए हाइडेस्पेस (Hydaspes) युद्ध में उन्होंने राजा पोरस को हराया। हालांकि, पोरस की बहादुरी से प्रभावित होकर उन्होंने उसे अपना मित्र बना लिया। सिकंदर की योजना भारतीय क्षेत्र में और आगे बढ़ने की थी, लेकिन उनकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया, जिससे वे वापस लौट गए।
सिकंदर की सैन्य रणनीति(Sikandar's military strategy)
सिकंदर की सैन्य रणनीति में उनकी घुड़सवार सेना की गतिशीलता और उनके द्वारा अपनाई गई फालानक्स संरचना का महत्वपूर्ण योगदान था। फालानक्स एक घनी और मजबूत सैन्य संरचना थी जो दुश्मन के हमलों को रोकने में सक्षम थी और साथ ही साथ दुश्मन पर भारी दबाव डालने की अनुमति देती थी। सिकंदर की सेना की गतिशीलता ने उन्हें दूर-दूर तक तेजी से अभियान चलाने की अनुमति दी, जिससे वे अपने दुश्मनों को आश्चर्यचकित कर सकते थे और उन पर अचानक हमला कर सकते थे।
सिकंदर की नेतृत्व क्षमता(Sikandar's leadership ability)
सिकंदर की नेतृत्व क्षमता उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। वह अपने सैनिकों के साथ बहुत करीबी संबंध बनाने में सक्षम थे और उनकी वफादारी हासिल करने में सफल रहे। सिकंदर ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी और उन्हें प्रेरित किया, जिससे उनकी सेना में एकजुटता और साहस की भावना पैदा हुई।
सिकंदर को कोई हरा नहीं सका - क्यों?( No one could defeat Alexander - why?)
सिकंदर को उनके जीवनकाल में कोई भी युद्ध में नहीं हरा सका, इसके कई कारण थे।
उत्कृष्ट सैन्य रणनीति:- सिकंदर एक महान सैन्य रणनीतिकार थे। वे हर युद्ध में नयी रणनीति अपनाते थे। वे अपने दुश्मनों की कमजोरी को पहचानकर उसी के अनुसार युद्ध योजना बनाते थे। उनकी ‘फालेन्क्स (Phalanx)’ नामक सैन्य व्यवस्था अत्यधिक प्रभावी थी जो एक घनी और मजबूत सैन्य संरचना थी जो दुश्मन के हमलों को रोकने में सक्षम थी।
अनुशासित और शक्तिशाली सेना:- उनकी सेना अत्यधिक अनुशासित और प्रशिक्षित थी। सैनिकों को कठिन प्रशिक्षण दिया जाता था, जिससे वे किसी भी परिस्थिति में युद्ध के लिए तैयार रहते थे।
अत्याधुनिक हथियार और तकनीक:- सिकंदर की सेना के पास उस समय के सबसे आधुनिक हथियार थे। उनके सैनिक लंबी भालाओं (Sarissas) का उपयोग करते थे, जिससे वे दूर से ही दुश्मन पर वार कर सकते थे।
नायकों की पहचान और प्रोत्साहन:- सिकंदर अपने सैनिकों को व्यक्तिगत रूप से पहचानते थे और उन्हें प्रोत्साहित करते थे। वह स्वयं भी अपने सैनिकों के साथ युद्ध में अग्रिम पंक्ति में लड़ते थे। वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने सैनिकों के साथ समान रूप से संघर्ष करते थे।
गतिशीलता और आश्चर्य का तत्व:- सिकंदर की सेना की गतिशीलता ने उन्हें दूर-दूर तक तेजी से अभियान चलाने की अनुमति दी, जिससे वे अपने दुश्मनों को आश्चर्यचकित कर सकते थे और उन पर अचानक हमला कर सकते थे।
सांस्कृतिक और राजनीतिक समझ:- सिकंदर ने जीते हुए क्षेत्रों में स्थानीय संस्कृतियों और राजनीतिक प्रणालियों का सम्मान किया और उन्हें अपने साम्राज्य में शामिल किया। इससे उन्हें स्थानीय समर्थन मिला और उनका साम्राज्य मजबूत हुआ।
कूटनीतिक कौशल:- उन्होंने अपनी विजय के बाद शत्रु राज्यों के राजाओं और सैनिकों को सम्मान दिया, जिससे वे उनके प्रति वफादार बने रहे। उन्होंने स्थानीय रीति-रिवाजों को अपनाया, जिससे जनता में उनकी लोकप्रियता बढ़ी।