2,000 कर्मचारी हड़ताल पर! दुनिया का मशहूर कॉफी ब्रांड स्टारबक्स में ड्रेस कोड बना संघर्ष का कारण, जानें इतिहास और कॉफी के जादू का रहस्य

Starbucks Dress Code Controversy: स्टारबक्स की कॉफ़ी पूरे विश्व में लोगों को काफी पसंद आती है वहीँ इस कंपनी के 2,000 से ज्यादा कर्मचारी अपने हक की लड़ाई के लिए हड़ताल पर हैं।

Jyotsna Singh
Published on: 17 May 2025 6:29 PM IST
Starbucks Dress Code Controversy
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Starbucks Dress Code Controversy

Starbucks Dress Code Controversy: कॉफी की सुगंध से हर सुबह की शुरुआत करने वाले लाखों अमेरिकियों के लिए बीते कुछ दिन कुछ अलग रहे। जिन स्टोरों से उन्हें रोज़ गर्मागर्म कैपुचीनो या कारमेल मैकियाटो मिलता था, उन दरवाज़ों पर ताले लटक रहे हैं। वजह? स्टारबक्स के 2,000 से ज्यादा कर्मचारी अपने हक की लड़ाई के लिए हड़ताल पर हैं। ये सिर्फ वर्दी का मामला नहीं है, यह आत्म-सम्मान, पहचान और अधिकारों की लड़ाई है जहां एक एप्रन, एक रंग, और एक नीति हजारों जिंदगियों पर असर डाल रही है। आइए जानते हैं इस विषय पर विस्तार से -

क्या है ड्रेस कोड विवाद

12 मई से लागू किए गए नए ड्रेस कोड के मुताबिक, अब अमेरिका और कनाडा के स्टारबक्स स्टोरों में काम करने वाले बरिस्ताओं को केवल खाकी, काले या नीले डेनिम बॉटम्स और काली शर्ट पहननी होगी, जिसके ऊपर प्रतिष्ठित हरा एप्रन होगा। यह बदलाव कंपनी की छवि को ‘एकीकृत’ और ‘ब्रांड फोकस्ड’ बनाने के इरादे से किया गया है।


लेकिन यूनियन का आरोप है कि इससे कर्मचारियों की व्यक्तिगत अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाया जा रहा है। पहले, बरिस्ता अपने फैशन और पर्सनैलिटी के अनुसार गहरे रंगों की शर्ट या पैटर्न वाले कपड़े पहन सकते थे। अब वे खुद को एक जैसी भीड़ का हिस्सा महसूस कर रहे हैं जहां रचनात्मकता और स्वतंत्रता की कोई जगह नहीं।

कितना व्यापक है हड़ताल का असर

स्टारबक्स वर्कर्स यूनाइटेड के अनुसार, अमेरिका में करीब 570 स्टोर यूनियन के तहत आते हैं, और इनमें से लगभग 120 स्टोर इस हड़ताल में शामिल हो चुके हैं। करीब 2,000 से ज्यादा कर्मचारी कार्यस्थल से दूर हैं। कंपनी ने बयान में कहा है कि 99% स्टोर अब भी खुले हैं और केवल कुछ स्टोर ही कुछ घंटों के लिए प्रभावित हुए हैं। कंपनी के मुताबिक, कर्मचारियों को अगर विरोध करना ही है तो वे काली शर्ट पहनकर भी काम कर सकते हैं, लेकिन यूनियन इसे ‘नैतिक रूप से अनुचित’ समझ रही है।


स्टारबक्स का मालिक कौन है

स्टारबक्स की शुरुआत 1971 में सिएटल, वॉशिंगटन में हुई थी, लेकिन इसे वैश्विक ब्रांड बनाने का श्रेय हावर्ड शुल्ट्ज को जाता है। उन्होंने 1987 में कंपनी को खरीदा और इटली की कॉफी संस्कृति से प्रेरित होकर इसे एक ‘कॉफीहाउस अनुभव’ में बदला, जहां लोग सिर्फ कॉफी पीने नहीं, बल्कि मिलने, काम करने और आराम करने आते हैं। आज, स्टारबक्स एक सार्वजनिक रूप से लिस्टेड कंपनी है, यानी इसके शेयर स्टॉक एक्सचेंज में खरीदे और बेचे जा सकते हैं। वर्तमान में इसके सीईओ लकसमैन नरसिंम्हन हैं, जिन्होंने 2023 में यह भूमिका संभाली।


स्टारबक्स का इतिहास, कैसे बना एक साधारण स्टोर ‘कॉफी का पर्याय’

स्टारबक्स की शुरुआत तीन दोस्तों जेरी बाल्डविन, ज़ेव सिगल और गॉर्डन बाउकर ने की थी। वे कॉफी बीन्स और उपकरण बेचते थे, लेकिन ब्रांड को विस्तार और दिशा तब मिली जब हावर्ड शुल्ट्ज ने इसे खरीदा। उन्होंने इसे इटली के ‘एस्प्रेसो बार’ की तर्ज पर बदल दिया, जहां ग्राहक आराम से बैठकर कॉफी का आनंद लेते हैं। 1990 के दशक में स्टारबक्स ने आक्रामक विस्तार किया, पहले अमेरिका में और फिर दुनिया भर में। आज, इसके 80 से ज्यादा देशों में 38,000 से अधिक स्टोर हैं। कॉफी की।

खासियत और क्या है स्टारबक्स की पहचान

स्टारबक्स की खासियत सिर्फ कॉफी नहीं, बल्कि उसका अनुभव है महक, वातावरण, ग्राहक सेवा और पर्सनलाइज़ेशन बेहद खास है। जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां कस्टमाइजेशन की सुविधा के चलते आप अपनी पसंद के अनुसार दूध, सीरप, तापमान और शुगर का चुनाव कर सकते हैं। यहां प्रोडक्ट क्वालिटी का खास खयाल रखा जाता है। कंपनी 100% अरेबिका बीन्स इस्तेमाल करती है, जिसे नैतिक सोर्सिंग के ज़रिए खरीदा जाता है। इस काफी ब्रांड की खूबी है कि यहां हर मौसम के लिए स्पेशल फ्लेवर मौजूद मिलता है। जैसे पंपकिन स्पाइस लट्टे, पेपरमिंट मोका जो त्योहारों के अनुसार लॉन्च होते हैं।

कीमत क्यों है इतनी ज्यादा

इस कॉफी की ब्रांड वैल्यू की बात करें तो स्टारबक्स सिर्फ कॉफी नहीं, एक ‘प्रीमियम अनुभव’ बेचता है। स्थायी स्रोत और गुणवत्ता के चलते कंपनी केवल प्रमाणित और नैतिक रूप से प्राप्त बीन्स का उपयोग करती है, जिससे लागत अधिक होती है।

लोकेशन और वातावरण

हाई-रेंट एरिया, खूबसूरत इंटीरियर्स, फ्री वाई-फाई जैसी सुविधाएं जो एक खास वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। जो कि यहां सर्व की जाने वाली कॉफी की कीमत में जुड़ जाती हैं। कस्टमर एक्सपीरियंस-प्रशिक्षित बरिस्ता, मोबाइल ऑर्डरिंग, लायल्टी प्रोग्राम आदि सुविधाएं ग्राहकों को जोड़े रखती हैं।

क्या इस हड़ताल का भविष्य पर असर पड़ेगा


ये हड़ताल केवल ड्रेस कोड का मुद्दा नहीं है बल्कि यह कर्मचारियों की स्वतंत्रता, पहचान और काम के सम्मान की मांग का प्रतीक बन चुकी है। अगर कंपनी इस विरोध को अनदेखा करती है, तो यह उसके ब्रांड की छवि पर असर डाल सकता है। दूसरी ओर, अगर दोनों पक्ष समझौते की ओर बढ़ते हैं, तो यह एक मिसाल बन सकती है जहां कॉरपोरेट और कर्मचारी दोनों सम्मान के साथ सह-अस्तित्व में रह सकें।

स्टारबक्स की कहानी सिर्फ एक ब्रांड की नहीं, एक विचार की है। एक कप कॉफी लोगों को कैसे जोड़ सकता है, कैसे संघर्ष की वजह बन सकता है, और कैसे बदलाव का प्रतीक बन सकता है यह इस हड़ताल ने साबित कर दिया है। सवाल सिर्फ कपड़ों का नहीं है, सवाल क्या किसी कर्मचारी की पहचान को एक ड्रेस कोड में बांधा जा सकता है?

भारत में स्टारबक्स हड़ताल का असर

अमेरिका में जारी यह हड़ताल फिलहाल भारत में ऑपरेशनल स्टारबक्स स्टोर्स पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं डाल रही है। भारत में स्टारबक्स का संचालन Tata Starbucks Private Limited नामक जॉइंट वेंचर द्वारा किया जाता है, जो Tata Group और Starbucks Corporation (USA) के बीच की साझेदारी है। यहां की यूनियन और लेबर कानून अमेरिका से अलग हैं, इसलिए अमेरिका की हड़ताल भारत में सीधे तौर पर लागू नहीं होती।

हालांकि प्रत्यक्ष हड़ताल नहीं हो रही, लेकिन कॉर्पोरेट स्तर पर दबाव, ब्रांड की छवि पर प्रभाव, और कर्मचारियों की जागरूकता के रूप में कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव दिख सकते हैं। जैसे कि कर्मचारियों में जागरूकता बढ़ेगी। भारत में काम करने वाले स्टारबक्स कर्मचारियों को भी यह समझ आने लगा है कि यूनियनाइजेशन और सामूहिक आवाज़ कैसे काम करती है।

ग्राहकों की धारणा पर असर

कुछ जागरूक उपभोक्ता सोशल मीडिया के ज़रिए अमेरिका में हो रहे संघर्ष के प्रति सहानुभूति जता रहे हैं। इससे ब्रांड की सोशल इमेज पर असर पड़ सकता है।

ग्लोबल नीतियों में समीक्षा

अगर ड्रेस कोड जैसे फैसले में अमेरिका में बदलाव होता है, तो हो सकता है कि ऐसी नीतियां भारत जैसे देशों में लागू करने से पहले कंपनी ज्यादा संवेदनशीलता दिखाए। भारत में भी Tata Starbucks कर्मचारियों के लिए ड्रेस कोड लागू है, लेकिन यह स्थानीय संस्कृति और कार्य वातावरण के अनुसार थोड़ा लचीला है। अब तक भारत में इस ड्रेस कोड पर कोई विरोध नहीं हुआ है, लेकिन अमेरिका में चल रही बहस के बाद कर्मचारी समूहों में इस पर चर्चा जरूर हो सकती है।


ब्रांड इमेज पर असर

भारत में स्टारबक्स एक प्रीमियम ब्रांड की तरह देखा जाता है। अगर वैश्विक स्तर पर इसके खिलाफ नेगेटिव न्यूज आती है, तो इसका ग्राहकों के भरोसे पर असर हो सकता है, खासकर मेट्रो सिटी के युवा ग्राहकों में। भारत में स्टारबक्स की संचालन प्रणाली और स्थानीय साझेदारी अलग होने के कारण, अमेरिका की हड़ताल का सीधा असर नहीं है, लेकिन वैश्विक ब्रांड होने के नाते कंपनी को भारत जैसे उभरते बाजारों में भी कर्मचारी संतुष्टि और ब्रांड छवि पर विशेष ध्यान देना होगा। यदि अमेरिका में इस आंदोलन का असर गहरा और दीर्घकालिक होता है, तो भविष्य में भारत सहित अन्य देशों में भी कर्मचारियों की मांगों और नीतियों को लेकर नई चर्चाएं और बदलाव देखे जा सकते हैं।

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