Famous Painter Vincent Van Gogh: अमर चित्रकार विन्सेंट वान गॉग की क्या थीं 'कान काटने' की त्रासदी

Famous Painter Vincent Van Gogh Wikipedia: दुनिया के जाने माने कलाकार विन्सेंट वान गॉग प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपने जीवन में केवल एक ही पेंटिंग बेची थी। उनके साथ एक त्रासदी हुई थी, जिसके बाद उन्हें मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 10 April 2025 1:49 PM IST
Vincent van Gogh Biography: अमर चित्रकार विन्सेंट वान गॉग की क्या थीं कान काटने की त्रासदी
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Vincent van Gogh (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Vincent van Gogh Cut Off His Ear: कभी आपने ऐसा कलाकार देखा है जिसकी पेंटिंग्स करोड़ों में बिकती हैं, पर जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी में बस एक ही पेंटिंग बेची? ऐसे ही थे विन्सेंट वान गॉग (Vincent van Gogh)। एक ऐसा नाम जो आज विश्व कला के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है, पर जिसने जीवन में गुमनामी, गरीबी और मानसिक पीड़ा का सामना किया। उसकी तूलिका से निकली हर रेखा उसके दिल की आवाज़ थी। उसके रंग सिर्फ रंग नहीं, उसकी पीड़ा के प्रमाण थे।

वान गॉग का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्ची प्रतिभा अक्सर समय से पहले होती है और वह समय से लड़ते हुए खुद को साबित करती है। आइए जानते हैं वान गॉग के जीवन, संघर्ष, कृतित्व और उनकी रहस्यमयी मृत्यु से जुड़े पहलुओं के बारे में विस्तार से -

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि (Vincent van Gogh Biography In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

विन्सेंट विलेम वान गॉग का जन्म 30 मार्च, 1853 को नीदरलैंड्स के एक छोटे से गाँव ज़ुंडर्ट में हुआ था। उनके पिता थियोडोरस वान गॉग (Theodorus van Gogh) एक डच रिफॉर्म चर्च के पादरी थे और माता अन्ना कोर्नेलिया (Anna Carbentus van Gogh) एक कला प्रेमी महिला थीं। वान गॉग के जन्म से एक साल पहले उनके माता-पिता का पहला बेटा (जिसका नाम भी विन्सेंट था) मृत जन्मा था। इस घटना का उनके मानसिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा।

प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने कुछ समय तक हेग में स्थित एक आर्ट डीलर कंपनी 'Goupil & Cie' में काम किया। यहीं से उनकी कला में रुचि शुरू हुई, पर मन अस्थिर रहा। 1876 में उन्होंने धर्म प्रचारक बनने का प्रयास किया और गरीब खनिकों के बीच बोरिनेज़ (बेल्जियम) में काम किया, पर चर्च ने उन्हें हटा दिया क्योंकि वे जरूरत से ज्यादा संजीदगी से जीवन जी रहे थे। यहीं से उन्होंने चित्रकला को अपना धर्म बना लिया।

कला का सफर और मानसिक संघर्ष (Vincent van Gogh Journey of Art and Mental Struggle)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1880 के बाद वान गॉग ने कला को अपना जीवन बना लिया। उन्होंने आत्म-प्रशिक्षण लिया और धीरे-धीरे एक अद्वितीय शैली विकसित की जो उनके आंतरिक संघर्षों की सजीव अभिव्यक्ति थी। उनकी प्रारंभिक कृतियों में अंधेरे रंगों का प्रयोग था, जो उनके गहरे मानसिक अवसाद को दर्शाते थे।

उनकी प्रसिद्ध शुरुआती कृति ‘The Potato Eaters’ (1885) सामाजिक यथार्थवाद की बेहतरीन मिसाल है, जिसमें उन्होंने ग्रामीण श्रमिकों के जीवन की कठोरता को चित्रित किया। हालांकि, 1886 में पेरिस में उनके आगमन के बाद उनके रंग बदले। वहाँ उन्होंने प्रभाववाद (Impressionism) और जापानी चित्रशैली से प्रेरणा ली। उन्होंने हल्के, चमकीले रंगों और मोटी ब्रश स्ट्रोक्स के माध्यम से एक अनोखा शैलीगत प्रयोग किया।

‘गौगिन' से मित्रता और कान काटने की घटना

1888 में वान गॉग दक्षिण फ्रांस के आर्लेस शहर चले गए जहाँ उन्होंने 'येलो हाउस' (Yellow House) नामक स्थान पर अपना स्टूडियो स्थापित किया। उन्होंने कलाकारों का एक समुदाय बनाने का सपना देखा और अपने मित्र पॉल गौगिन को वहां आमंत्रित किया। शुरू में सब कुछ अच्छा चला, पर दोनों की कला और स्वभाव में बहुत अंतर था। गौगिन आत्मविश्वासी और व्यवस्थित थे जबकि वान गॉग संवेदनशील और मानसिक रूप से अस्थिर। अक्टूबर 1888 में उनके बीच झगड़ा हुआ, जिसके बाद वान गॉग ने भावनात्मक टूटन में आकर अपना बायाँ कान काट लिया और उसे एक वेश्या को सौंप दिया। यह घटना कला इतिहास की सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक है।

इस घटना के बाद उन्हें मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं उन्होंने कई कालजयी पेंटिंग्स बनाईं, जिनमें ‘Starry Night’ (1889) प्रमुख है। यह पेंटिंग उनके मानसिक और भावनात्मक तूफान की प्रतीक मानी जाती है।

थियो का अटूट साथ (Vincent van Gogh True Friend Theo van Gogh)

वान गॉग के जीवन में यदि कोई व्यक्ति सच्चा साथी रहा, तो वह थे उनके भाई थियो वान गॉग। थियो ने न केवल उन्हें आर्थिक सहायता दी बल्कि मानसिक सहारा भी बना रहा। वान गॉग के पत्रों से ज्ञात होता है कि दोनों भाइयों के बीच गहरा भावनात्मक संबंध था। ये पत्र उनकी मनःस्थिति और कला-दर्शन का आईना हैं।

रहस्यमयी मृत्यु (Vincent van Gogh Mysterious Death)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

वान गॉग की मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है। 27 जुलाई, 1890 को उन्होंने फ्रांस के औवेर-सुर-ओइस नामक गाँव में खुद को 7 मिमी लेफौचेक्स रिवॉल्वर से सीने में गोली मार ली, पर चमत्कारिक रूप से वे दो दिन तक जीवित रहे। उनके अंतिम शब्द थे: ‘La tristesse durera toujours’ ( दुख हमेशा रहेगा)। हालांकि, 2011 में कुछ शोधकर्ताओं ने तर्क दिया कि संभवतः वे खुद को मारने के लिए मानसिक रूप से सक्षम नहीं थे और पास के कुछ किशोरों ने गलती से उन्हें गोली मार दी थी। परंतु वान गॉग ने स्वयं किसी को दोष नहीं दिया, जिससे यह रहस्य और गहरा हो गया। उनकी मृत्यु के छह महीने बाद उनके भाई थियो का भी निधन हो गया। दोनों भाई आज नीदरलैंड में एक साथ दफन हैं।

मृत्यु के बाद की प्रसिद्धि

विन्सेंट वान गॉग के जीवनकाल में उनकी एकमात्र बेची गई पेंटिंग थी ‘The Red Vineyard’, पर उनकी मृत्यु के बाद उनके कार्य को पहचान मिली।

आज उनकी पेंटिंग्स विश्व के प्रमुख संग्रहालयों में प्रदर्शित हैं और उनकी नीलामी कीमतें मिलियनों डॉलर में होती हैं। उनकी आत्मकथात्मक कला ने आधुनिक कला की नींव रखी और उन्हें एक्सप्रेशनिज़्म का अग्रदूत माना जाता है।

एक अमर कलाकार

वान गॉग का जीवन कला, दर्द, संवेदना और संघर्ष का संगम था। उन्होंने रंगों के माध्यम से वह व्यक्त किया जो शब्द नहीं कह सके। वे मानसिक रूप से अस्थिर थे, पर उनकी कला ने लाखों लोगों को जीवन का अर्थ दिया। उनकी पंक्तियां आज भी हमारे मन को छू जाती हैं: “मैं अपने सपनों में चित्र बनाता हूं और फिर अपने चित्रों में जीवन खोजता हूं।"

वान गॉग अकेले थे, पर आज पूरी दुनिया उनके साथ है। उन्होंने अपने समय में न सही, पर कालांतर में वह स्थान पाया जो उन्हें मिलना चाहिए था, एक अमर कलाकार के रूप में, जिसने दर्द को सुंदरता में बदला।

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